गुरुवार, 9 जुलाई 2009

६ प्रदेश चर्चा

पंजाब : यूरेनियम प्रदूषण के शिकार बच्च्े
- सेव्वी सौम्या मिश्रा
यह अविश्वसनीय प्रतीत होता है कि पंजाब, जहां किसी भी तरह का कोई सैन्य या असैन्य परमाणु संयत्र नहीं है वहां के बच्चें में यूरेनियम और रेडियोधर्मिता के चिन्ह पाए गए है । प्रदूषण की इस पराकाष्ठा की गंभीरता को समझने की जरूरत है । रासायनिक कीटनाशकों से फैलने वाले प्रदूषण के पश्चात् पंजाब में यूरेनियम प्रदूषण गंभीर पर्यावरणीय प्रश्न खड़े कर रहा है । वे संख्या में १४९ हैं और अधिकांश १३ वर्ष से कम उम्र के बच्च्े हैं वैसे उनमें से कुछ वयस्क भी हैं और इन सभी का पंजाब स्थित बाबा फरीद विशेष बाल केंद्र में आत्मविमोह (ऑटिज्म), बाल मस्तिष्क पक्षाघात (सेरब्रल पाल्सी) एवं मस्तिष्क अवरूद्घता का ऊपचार चल रहा है । इनमें से अधिकतर पजाब से व कुछ तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और कुछ तो विदेश से भी हैं । ये सभी आजकल इसलिए चर्चा के केन्द्र में हैं क्येांकि इनमें से अधिकांश के बालो में यूरेनियम पाया गया है । यह खोज अनायास ही हुई । ब्रिटेन की एक विष वैज्ञानिक केरीन स्मित (टाक्सिकालाजिस्ट) ने पिछले वर्ष फरीदकोट स्थित इस केन्द्र का भ्रमण किया था । वे इतने व्यापक पैमाने पर मस्तिष्क विकार एवं विकास अवरूद्धा के पीछे के कारण को खोजना चाहती थीे । उन्होंने इस केंद्र से १४९ बच्चें और वयस्कों के बालों के नमूने इकटठे कर उन्हें जांच के लिए जर्मनी भेजा । बालों के इन नमूनों मं से अधिकतर में टिन, सीसा, एल्यूमिनियम, मैगनीज और लौहे जैसी भारी धातुएं पाई गई । सुश्री स्मित को इन नतीजों से कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि जहरीले रसायन और उनकी प्रवृत्ति का अध्ययन करने वाली चिकित्सक के नाते इन नमूनों को जांच पर भेजने के पूर्व ही उन्हें आशंका थी कि ये भारी धातुएं बालों में मौजूद हो सकती हैं । जिसकी उम्मीद उन्हांने नहीं की थी वह थी बालों में यूरेनियम की मौजूदगी । ८० प्रतिशत से अधिक नूमनों में बालों में यूरेनियम की उपस्थिति पाई गई । सुश्री स्मित का कहना है कि -`` हम तो यूरेनियम के लिए जांच ही नहीं कर रहे थे बल्कि भारी धातु के जहरीलेपन से संबंधित जांच कर रहे थे । इसी दौरान एकाएक यूरेनियम के लक्षण दिखाई दिए। प्रयोगशाला की रिपोर्ट में कहा गया है कि नमूनों में यूरेनियम के स्तर को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह बीमारी उत्पन्न कर सकता है । '' सात वर्षीय युवराज के पिता देविन्दर सिंह का कहना है, `नमूने में यूरेनियम पाए जाने से मैं अत्यंत दु:खी हूँ मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मेरे बच्च्े का क्या होगा ? युवराज का यहां मस्तिष्क पक्षाघात का उपचार चल रहा है। स्मित मार्च के अंतिम सप्तह में कुछ और नमूने इकठ्ठा करने आई थीं । उन्होंने भारी धातु जिसमें यूरेनियम शामिल है को नियंत्रित करने संबंधी उपचार के पूर्व एवं बाद में मरीजों के मूत्र के नमूने भी लिए हैं । सुश्री स्मित का कहना है कि यह शरीर में यूरेनियम के स्तर को दर्शा देगा । जून में इन परीक्षणों के नतीजों के आने की संभावना है । केन्द्र में प्राकृतिक चिकित्सा , स्नायुरोग चिकित्सा एवं योग के माध्यम से उपचार किया जाता है यहां के प्राकृतिक चिकित्सक हरीश बाबू का कहना है कि इस बात का परीक्षण करना अनिवार्य है कि क्या यूरेनियम आत्मविमोह जैसी बीमारियों का कारण बनता है ? दक्षिण अफ्रीका में जन्मी स्मित को आठ वर्ष पूर्व इस केन्द्र का पता एक आत्मविमोह ग्रस्त बालक अंकित शर्मा के माध्यम से चला । अंकित उस समय सात वर्ष का था और बोत्सवाना में रहता था । जब स्मित के उपचार से उसमें कोई लाभ नजर नहीं आया तो २००६ में अंकित के अभिभावक उसे फरीदकोट स्थित इस केंद्र में ले जाए । अंकित की स्थिति में आए परिवर्तन से प्रेरित होकर स्मित गतवर्ष यहंा आई । लुधियाना (पंजाब) में कार्यरत् स्त्रीरोग विशेषज्ञ नीलम सोधी का कहना है कि पंजाब पहले से ही कीटनाशकों के मिश्रण और भूजल मेंभारी धातुआें की मौजूदगी को भुगत रहा है । यह कहना काफी जल्दबाजी होगी कि आत्मविमोह का कारण यूरेनियम है । यह स्नायुमंत्र में पहुंच रहे किसी अन्य रसायन से भी संभव है । नमूनों में यूरेनियम की मौजूदगी से कई लोग चक्कर में पड़ गए हैं क्येंाकि इस इलाके में यूरेनियम की केाई खदान मौजूद ही नहंी है । इस संबंध में यहंा एक अन्य बात जो चर्चा है वह यह है कि यहां यूरेनियम इराक से आया होगा जहां पर अमेरिकी सेना ने युद्घ में इसका प्रयोग किया था । एक गैर सरकारी सगठन माईन्स, मिनरल एण्ड पीपुल के संयोजक आर.श्रीधर का कहना है कि `ताप विद्युत गृह में उपयोग में आने वाले कोयले में भी यूरेनियम जैसे रेडियोधर्मी पदार्थ होने की बात पाई गई है ।' फरीदकोट केद्र के निदेशक प्रितपालसिंह को भी इसमें आपसी संबंध नजर आता है । इसकी वजह यह है कि समीप स्थित जिले भटिंडा में एक ताप विद्युत गृह है एवं जिन १४९ नमूनों की जांच हुई है उनमें से ४० बच्च्े और वयस्क भटिंडा के ही निवासी हैं । सुश्री स्मित द्वारा यूरेनियम के चिन्ह पाए जाने से हड़कंप मच गया है । मुम्बई से परमाणु ऊर्जा विभाग का एक दल ६ अप्रेल को फरीदकोट पहुंच गया है । जांच दल के सदस्य स्वप्नेश मल्होत्रा ने सूचना दी कि हमने फरीदकोट केंद्र से बालों एवं मिट्टी, पानी और खाद्य पदार्थोंा के नमूने एकत्रित कर लिये हैं । राज्य सरकार ने भी एक पांच सदस्यीय जांच दल भेजा है । इस दल ने भी फरीदकोट केन्द्र से मिट्टी और पानी के नमूने लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय को भेजे हैं । अपना नाम गुप्त् रखे जाने की शर्त पर एक चिकित्सक ने बताया कि पांच बच्चें और उनके अभिभावकों के बाल, खून एवं मूत्र के नमूने एकत्रित कर उन्हें भाभा परमाणु शोध केन्द्र मुम्बई भेजा गया है । ऐसे अभिभावक जो कि उनके बच्चें के बालों के नमूनों में यूरेनियम की उपस्थित से तारतम्य बैठाने का प्रयास कर रहे थे राज्य सरकार के दल की कार्यप्रणाली से विचलित हो गए हैं । एक अभिभावक देविन्दरसिंह का कहना है `उन्होंने हमारी सहमति लेने तक की जहमत नहीं उठाई। वे बहुत ही क्रूर और असंवेदनशील थे । उन्होंने मेरे बच्च्े के सिर से एकाएक बाल उखाड़ लिए । उन्हांेने एक ही सिरिंज और सुई से परिवार के सभी सदस्यों के खून के नमूने ले लिए ।' उनका कहना था कि अभिभावक इतने गुस्से में आ गए थे कि वे सरकार पर दावा लगाना चाहते थे परंतु गुस्सा ठंडा होते ही उन्होंने माना कि इस बात में कोई दम नहीं है । ***
::: चिपको संदेश :::
क्या है , जंगल के उपकारमिट्टी, पानी और बयार ।
मिट्टी पानी और बयार,ये है जिंदा रहने के आधार ।।

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