मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

१३ पर्यावरण समाचार

अब सख्त होगा वन्य जीव संरक्षण कानून
बाघों की मौत का बढ़ता आंकड़ा रोकने मेंे नाकाम हो रही सरकार अब वन्य जीव संरक्षण कानून सख्त करने में जुट गई है । मौजूदा कानून में सजा के प्रावधान सख्त बनाए जाएंगे । केंद्रिय वन और पर्यावरण मंत्रालय इस संबंध में विधेयक मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश करने की तैयारी कर रहा है । केंद्रिय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के मुताबिक वन्य जीव संरक्षण कानून, १९७२ में बदलाव का खाका तैयार किया जा रहा है । कानून में सजा के नए प्रावधानों को फेरा कानून की तर्ज पर नया रूप दिया जा रहा है । गौरतलब है कि खत्म हो चुके फेरा कानून में एजेंसियों को विदेशी धन संबंधी नियमों के उल्लंघन पर सीधे गिरफ्तारी का अधिकार था । सख्त कानून की वकालत करते हुए श्री रमेश ने कहा कि फिर कोई संसार चंद सामनें नहीं आए, इसके लिए जरूरी है कि वन्य जीव संरक्षण कानून को मजबूत बनाया जाए । उल्लेखनीय है कि वन्य अंगों के अवैध व्यापारी संसार चंद को गिरफ्तार हुए पांच साल हो गए हैं, लेकिन उसकी काली करतूतों की कड़ियां जांच एजेसिंयां आज तक समेट नहीं पाई हैं । वन्य जीवों के खिलाफ अपराधों पर नजर रखने वाली संस्था ट्रेफिक के मुताबिक दक्षि ण एशिया में वन्य जीव अंगों की तस्करी अवैध हथियों के बाद दूसरा सबसे बड़ा गोरखधंधा है ।
देश मेंे तेजी से बढ़ रहा है ई-कचरा
देश में दिनों-दिन ई-कचरा बढ़ता जा रहा है । यदि यह इसी गति से बढ़ता गया तो वर्ष २०१२ तक देश में आठ लाख टन ई-कचरा पैदा होने की आशंका है । पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश ने लोकसभा में बताया कि केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष २००५ में देश में एक लाख ४६ हजार ८०० टन ई-कचरा पैदा हुआ था जिसके वर्ष २०१२ तक बढ़कर आठ लाख टन हो जाने की आशंका है । पर्यावरण मंत्रालय ने ई-कचरे सहित अन्य खतरनाक कचरों के समुचित प्रबंधन एवं निपटारे के लिए खतरनाक कचरा प्रबंधन रखरखाव एवं सीमा पार यातायात नियम २००८ बनाए हैं । नियमों के अनुसार ई-कचरे के निपटारे में संलग्न इकाइयों का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकृत होना जरूरी है । विश्व में उर्वरकों का सबसे अधिक और विपणन करने वाली सहकारी समिति इंडियन फॉरमर्स फर्टिलाइजर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने कार्बन के्रडिट से करीब चार करोड़ रूपए अर्जित किए हैं । इफको द्वारा कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी किए जाने पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क क्रॅन्वेशन ने ८०६३६ टन सर्टिफाइड इमिशन रिडक्शन का प्रमाणपत्र जारी किया था, जिसने उसे करीब चार करोड़ रूपए दिलाए । इफको की फूलपुर इकाई को प्राकृतिक गैस आधारित बनाने से कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आई हैं ।
गंगा की डॉल्फिनों को खतरा
संरक्षित जीव का दर्जा प्राप्त् गंगा की डॉल्फिनों को किसानों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कीटनाशकों से खतरा है । नदी में फिलहाल २,००० से भी कम डॉल्फिनें बची हैं । पर्यावरणविदों का मानना है कि गंगा में प्रदूषण का स्तर कम रखने और नदी की न्यूनतम गहराई को बरकरार रखने के लिए और शोध कार्योंा की जरूरत है । इन उपायों के बाद ही डॉल्फिनें अपने प्राकृतिक परिवेश में प्रजनन कर सकेगी । मछुआरों द्वारा नायलोन के जाल का अत्यधिक उपयोग, खेती में रसायनों का इस्तेमाल और उद्योगों द्वारा सीधे गंगा नदी में छोड़े जा रहे हानिकारक कचरे के कारण डॉल्फिनों का वजूद खतरे में पड़ गया है । डॉल्फिनों को बचाने के लिए एक्शन प्लान बना रही कमेटी के सदस्य व वैज्ञानिक संदीप बेहेरा ने कहा कि गंगा की डॉल्फिनों का प्राकृतिक पर्यावास बिलकुल खत्म हो गया है । यदि औद्योगिक और कृषि कार्यक्रमोंहो रहे प्रदूषण को कम किया जा सके तो डॉल्फिन को खत्म होने से रोका जा सकता है । श्री बेहेरा बताया कि नरोरा, कानपुर और इलाहाबाद ऐसे स्थान हैं, जहां डॉल्फिने काफी संख्या में नजर आती हैं । यह इस बात की निशानी है कि इन स्थानों पर नदी का पानी अच्छी क्वालिटी का है। ऐसे स्थानों की संख्या बढ़ना चाहिए ।***

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