सूचना आयोग ने एंडरसन के भागने की जानकारी मांगी
दुनिया की भीषणतम औद्योगिक विपदा यूनियन कार्बाइड की गैस त्रासदी के गुनहगार वॉरेन एंडरसन के बारे में अब केंद्रीय सूचना आयोग को वो बारे सबूत चाहिए, जिन परस्थितियों में एंडरसन ने भारत छोड़ा । इसके लिए आयोग ने ३० नवंबर की डेडलाइन तय की है ।
केन्द्रीय सूचना आयोग ने विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया है कि भोपाल गैस त्रासदी के अभियुक्त वारेन एंडरसन को सुरक्षित रास्ता मुहैया कराने पर वह सूचना उपलब्ध कराए । मंत्रालय के खिलाफ शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पारदर्शिता पैनल ने कहा कि ३० नवंबर तक निर्देश का पालन किया जाए । उन्होंने कहा कि शिकायकर्ता को संबंधित फाइलों को देखने की भी अनुमति दी जा सकती है । और आरटीआई अधिनियम के अनुसार दस्तावेजों की सत्यापित प्रतियां और जरूरत पड़ने पर फाइल नोटिंग भी मुफ्त में उपलब्ध कराई जाए ।
याचिकाकर्ता अभिषेक शुक्ला ने विदेश मंत्रालय से जानना चाहा था कि किन परिस्थितियों में यूनियन कार्बाइड का तत्कालीन प्रमुख यहां से निकल कर चला गया था । मंत्रालय ने १८ मई को दिए गए आरटीआई आवेदन का कोई जवाब नहीं भेजा जबकि आवेदन मिलने के ३० दिनों के भीतर जवाब देना आवश्यक होता है कि जिसके बाद आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई गई ।
सूचना आयुक्त अन्नपूर्णा दीक्षित ने अपने आदेश में कहा कि आयोग विदेश मंत्रालय के जनसूचना अधिकारी को निर्देश देता है कि शिकायतकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी को वह ३० नवंबर २०१० तक उपलब्ध कराए ।
एंडरसन ने त्रासदी के तीन दिनों के बाद दो-तीन दिसंबर १९८४ को भोपाल का दौरा किया था । भोपाल पहुंचने पर स्थानीय पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और बाद में एक स्थानीय अदालत ने उसे जमानत दे दी । लेकिन सात दिसंबर को एंडरसन देश छोड़कर भाग गया और तब से वह भगोड़ा है । उसे दिल्ली आने के लिए कथित तौर पर मध्यप्रदेश सरकार के एक विमान का उपयोग करने की अनुमति दी गई जहां से वह अमेरिका लौट गया । सीबीआई वर्ष १९९३ से वारेन एंडरसन के प्रत्यर्पण की लगातार कोशिश करती रही
है । बहरहाल अमेरिकी विदेश मंत्रालय भोपाल गैस लीक मामले में एंडरसन के प्रत्यर्पण को राजी नहीं हुआ है ।
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