रविवार, 18 सितंबर 2011

संपादकीय

क्या सूरज से उठेगा सौर तूफान

सौरमंडल के मुखिया सूर्य की तेजी से बढ़ती गतिविधियां (सौर विकिरण तूफान) संचार उपग्रहों के लिए काल बन सकती हैं । सूर्य की गतिविधियां अभी अपेक्षाकृत काफी निष्क्रिय स्थिति में है, लेकिन वैज्ञानिक अनुमान लगा रहे है कि वर्ष २०१३-१४ के दौरान सौर गतिविधियां चरम स्थिति में होगी ।
खगोलशास्त्री की भाषा में इस स्थिति को श्रेणी पंाच (एक्स क्लास) सौर तूफान
कहा जाता है । इसी अवधि के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सूर्य की गतिविधियों के अध्ययन के लिए आदित्य-१ का प्रक्षेपण करेगा । भारतीय तारा भौतिकी संस्थान के पूर्व प्राध्यापक प्रो. रमेशचन्द्र कपूर का कहना है कि सूर्य की गतिविधियां में बदलाव एक सामान्य खगोलीय घटना है । सूर्य अपने कक्षा की परिक्रमा के दौरान एक बार काफी नगण्य गतिविधि की स्थिति में होता है तो एक बार अत्यधिक गतिविधि की स्थिति में । लेकिन, सौर तूफान जैसी स्थिति संचार उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकती है । ऐसे में संचार उपग्रह शार्ट सर्किट के शिकार हो सकते है, जिससे संचार और टीवी प्रसारण प्रभावित हो सकता है । वर्ष १८५९ और १९२१ में ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई थी, तब दुनिया के कई हिस्सों में टेलीग्राफ की तारों को नुकसान पहुंचा था । हर ११ वर्ष बाद सूर्य की गतिविधियां चरम पर पहुंच जाती हैं । इस दौरान सूर्य से काफी मात्रा में ऐसे पदार्थो का उत्सर्जन होता है, जो संचार उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकते हैं ।
हमारे देश में उपग्रहों की निगरानी कर्नाटक के हासन और मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी केन्द्र से की जाती है अंतरिक्ष में खराब मौसम और अत्यधिक विकिरण के कारण कई बार उपग्रहों का नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट जाता है । वैज्ञानिकों की टीम हर पल इन उपग्रहों पर निगरानी रखती है, जैसे ही किसी उपग्रह का फैसिलिटी से संपर्क टूटता है अथवा अन्य कोई समस्या आती है, खतरे की घंटी बज उठती है । इसरो भी सौर तूफान जैसी स्थिति में संचार उपग्रहों की सुरक्षा को लेकर योजनाएं बना रहा है । सौर तूफान जैसी स्थिति के अलावा आम दिनों में भी अंतरिक्ष विज्ञानियों को उपग्रह की पल-पल की गतिविधियों की निगरानी रखनी पड़ती है ।




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