तारे गिनना पुरानी आदत है
अमेरिका के एक खगोल शास्त्री ने आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके दर्शाया कि आकाश में तारों की गति को रिकॉर्ड करने का काम आज से कम से कम ३३०० वर्ष पूर्व शुरू हो चुका था । यह निष्कर्ष उन्होंने खुदाई में मिली मिट्टी की एक प्राचीन शिला की मदद से निकाला है । मिट्टी की ये शिलाएं ६८७ ईसा पूर्व की हैं । इन पर तारों-नक्षत्रों के लगभग २०० अवलोकन खुदे हुए हैं इसकी लिखाई शंकु लिपि में है जो मध्य पूर्व की लिपि थी । ये शिलाएं बेबीलोन में बनी थीं और इन्हें मुलापिन नाम से जाना जाता है । हालांकि ये शिलाएं करीब ७०० ईसा पूर्व की हैं मगर अधिकांश पुरातत्ववेत्ता मानते हैं कि इन पर जो खगोलीय तथ्य अंकित हैं वे कहीं अधिक प्राचीन हैं । लुइसियाना विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री ब्रैड शेफर यह जानना चाहते थे कि आखिर ये अवलोकन कितने पुराने हैं और अध्ययन के आधार पर उनका निष्कर्ष है कि ये अवलोकन १३७० ईसा पूर्व यानी आज से करीब सवा तीन हजार वर्ष पूर्व के आकाश से मेल खाते हैं । जैसे इनमें यह अवलोकन है कि कोई तारामंडल किस दिन पूर्व से उदय होता दिखता है । ये तारीखें बदलती रहती हैं क्योंकि पृथ्वी अपनी अक्ष पर थोड़ी डोलती है । विभिन्न तारामण्डलों के लिए इन तारीखों की गणना के आधार पर शेफर ने यह पता लगाया कि ये अवलोकन किस समय के हो सकते हैं । दूसरा काम उन्होंने यह किया कि यह भी पक्का कर लिया कि ये अवलोकन किस स्थान से लिये गए होंगे । १०० किमी. की घट-बढ़ के अंदर यह स्थान ३५.१ डिग्री उत्तरी अक्षांश पर स्थित रहा होगा । इस अक्षांश पर निनोवा और असुर जैसे असीरियाई शहर पड़ते हैं । अपने परिणाम अमेरिकन एस्ट्रॉनॉमिकल सोसायटी के समक्ष प्रस्तुत करते हुए शेफर ने बताया कि इससे स्पष्ट होता है कि ये अवलोकन बेबीलोन के हैं । शेफर के इस अध्ययन से काफी समय से चली आ रही बहस को विराम मिलेगा। अब तक इतिहासकार उक्त शिला के एक-एक तारे या तारामण्डल को लेकर गणनाएं व तर्क करते रहे हैं, लेकिन शेफर के इस काम को काफी प्रभावशाली माना जा रहा है ।
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