सोमवार, 23 जुलाई 2007

प्रसंगवश

जलवायु को थामना आसान नहीं
जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर्सरकारी पैनल यानी आई. पी. सी. सी. की ताजा रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन को सीमित करना जरूरी है और यह काफी कम लागत में संभव भी है । यू.एस.ए. जैसे कुछ देशों का कहना है कि इन गैसों, खासकर कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन पर बहुत कठोर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की गई, तो विश्व में आर्थिक मंदी आएगी । आई. पी. सी. सी. के कार्यकारी समूह की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक तापमान वृद्धि के भयंकरतम प्रभावों से बचने के लिए ग्रीन हाऊस गैसों को जिस सीमा तक कम करना होगा उसमें वर्ष २०३० तक विश्व के कु ल आर्थिक उत्पादन का ३ प्रतिशत खर्च होगा - यानी प्रति वर्ष करीब ०.१२ प्रतिशत । पहले जो अनुमान लगाए गए थे, उनकी तुलना में यह बहुत सस्ता है । मगर इसमें कई अगर-मगर हैं । जैसे यू.एस. अधिकारियों का मत है कि इतने से भी दुनिया में आर्थिक मंदी आएगी । इसलिए ग्रीन हाऊस गैसों की सीमा थोड़ी बढ़ाकर तय करना बेहतर होगा । आई. पी. सी. सी. की उपरोक्त रिपोर्ट में मानकर चला गया है कि यदि हम वैश्विक तापमान में वृद्धि को २ डिग्री सेल्सियस से कम रख सकें तो इसके असर बहुत खतरनाक नहीं होंगे । इसके लिए वायुमण्डल में ग्रीनहाऊस गैसों की मात्रा को ४५०-५०० पी. पी. एम. के बीच स्थिर करना होगा । फिलहाल वायुमण्डल में इन गैसों की मात्रा ४३० पी. पी. एम. के तुल्य है और इसमें प्रतिवर्ष २ पी. पी. एम. की वृद्धि हो रही है । यदि हम ५३५ पी. पी. एम. पर टिकना चाहते हैं, तो इस सदी के मध्य तक ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में ५०-८५ प्रतिशत की कटौती करनी होगी । इसके लिए ऊर्जा का अधिक कार्यकुशल उपयोग और वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों का उपयोग करना ही पर्याप्त् होगा। अलबत्ता यदि हम थोड़ी ढील दें और कोशिश करें कि ग्रीनहाऊस गैसों की मात्रा को ५३५-५९० के बीच स्थिर हो तो खर्च और भी कम होगा । तब हमें २०३० तक विश्व के आर्थिक उत्पादन का मात्र ०.२-२.५ प्रतिशत खर्च करना होगा । यदि ग्रीनहाऊस गैसों और तापमान को थोड़ा और ऊपर जाने दें तो ऊर्जा के कार्यक्षम उपयोग से दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद के ०.६ प्रतिशत के बराबर लाभ भी संभव है ।

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