सोमवार, 14 सितंबर 2009

१३ पर्यावरण समाचार

दस महीने में ही पूर्ण हो गया चंद्रयान मिशन ?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान आयोग (इसरो) ने चंद्रयान प्रथम मिशन को अपनी तरफ से पूर्ण होने की घोषणा कर दी है वह भी तब जबकि चंद्रयान का संपर्क धरती से टूट गया है । ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जिस मिशन को इसरो ने २ वर्ष के लिए भेजा था वह दस महीने में कैसे पूर्ण हो गया ? २२ अक्टूबर २००८ को चंद्रयान को अंतरिक्ष में भेजा गया था । अंतरिक्ष में भेजने के बाद भी एक - दो बार चंद्रयान में गड़बड़ी की खबरें जरूर आई थीं, परंतु इसरो ने बाद में इसके ठीक होने की बात कही थी । चंद्रयान को ८नवंबर २००८ को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया था। इस सफलता के बाद भारत ने चीन और जापान को अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर कड़ी टक्कर दी थी। परंतु क्या कारण रहा कि दो वर्ष पूर्व ही इसे पूर्ण मान लिया गया । इसरो के अनुसार चंद्रयान ने कक्षा में ३१२ दिन पूर्ण कर लिए और चंद्रमा की कक्षा में ३४०० चक्कर लगाए । २९ अगस्त की सुबह चंद्रयान १ से संपर्क टूट गया था । चंद्रयान १ मिशन का सबसे पहला उद्देश्य तो यही था कि चंद्र की कक्षा में पूर्ण रूप से भारतीय तकनीक के माध्यम से चंद्रयान को भेजा जाए । इसके अलावा चंद्रयान के साथ भेजे गए उपकरणों के माध्यम से चंद्रमा का तीन आयामी एटलस बनाना इसके अलावा चंद्रमा की सतह के हाई रिजॉल्यूशन तस्वीरें लेना, जिनसे चंद्रमा के सतह पर मौजूद रासायनिक तत्वों के जैसे मैग्निशियम , एल्युमिनियम, सिलिकॉन, कैल्सियम आदि के बारे में जानकारी लेना। इसके अलावा भविष्य में चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग के बारे में आवश्यक जानकारी जुटाना भी शामिल था । चंद्रयान १ प्रतिदिन ५३५ चित्र धरती पर भेजता था । इस संपूर्ण प्रोजेक्ट पर ३८० करोड़ रूपए खर्च हुए और इसका भार १३८० किलोग्राम था । चंद्र की कक्षा में पहुंचने के बाद ६७५ किग्रा. तथा इम्पेक्टर को छोडने के बाद इसका वजन ५२३ किलोग्राम था । इसमें ९० किलो के वैज्ञानिक उपकरण लगे हुए थे जिनमें ६ भारतीय , पांच विदेशी उपकरण थे । ***

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