नये अल नीनो से भारत पर असर की संभावना
मानसून की बेरूखी से बेहाल भारत की परेशानी अगले साल और बढ़ सकती है। पहले से ही सूखे का सामना कर रहे देश में यह संकट गहराने का खतरा पैदा हो गयाहै । लंदन के मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि नया अल नीनो शुरू हो चुका है, जिसकी वजह से भारत, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया को गंभीर सूखे का सामना करना पड़ सकता है । उनका दावा है कि साल २०१० सबसे गरम वर्षोंा में से एक हो सकता है । १९९७-९८ अल नीनो और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव की वजह से १९९८ दुनिया का सबसे गरम साल था । इसकी वजह से दक्षिण पूर्व एशिया में जबर्दस्त सूखा पड़ा था और जंगलों मेें आग लगने की भी घटनाएं हुई थी, जिससे इलाके में आसमान पर काला धुंआ छा गया था । द इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक नए अन नीनों की वजह से भारत, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया भी सूखे से जूझेंगे, वहीं दक्षिण अमेरिका में भारी बारिश होगी । ब्रिटेन में इसकी वजह से बहुत ज्यादा ठंड और गर्मी पड़ेगी । हालांकि अब तक के पूर्वानुमानों के मुताबिक अल नीनों १९९८ के जैसा नहीं है । लेकिन यह दूसरा सबसे ताकतवर अल नीनो हो सकता है इससे चिंतित अंतराष्ट्रीय बीमा कंपनियों, कमोडिटी व्यापारियों, व्यापारियों, विज्ञापन एजेंसियोंं ने इस अल नीनो पर गहरार्द से नजर रखनी शुरू कर दी है । इसका आर्थिक और सामाजिक प्रभाव काफी गहरा हो सकता है । ब्रिटेन में हैडेल स्थित विभाग के शोध और पूर्वानुमान केन्द्र में प्रोफेसर क्रिस फॉलेंड के मुताबिक पिछले सालों के मुकाबले अब हमें ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग का सामना करना पड़ सकता है । सच कहें तो अब ऐसा महसूस भी होने लगा है । गौरतलब है कि प्रशांत महासागर गरम है । इसकी वजह से दुनिया में हवाआें की प्रक्रिया और प्रभावित होती है । इसका तापमान बदलने से दुनिया के मौसम में बदलाव हो जाता है । यदि समुद्र की सतह के तापमान में औसत ते ०.५ डिग्री सेल्सियस के ऊपर वृद्धि होती है तो उसे अल नीनो के रूप में परिभाषित किया जाता है । लकिन अमेरिका राष्ट्रीय मौसम सेवा के पूर्वानुमान केन्द्र के मुताबिक नया अल नीनो इससे कहीं मजबूत है । केन्द्र से जारी रिपोर्ट में कहा गया हैै कि प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा पर समुद्र की सतह का तापमान औसत से ०.५ - १.५ डिग्री तक ऊपर रहता है । पूर्वानुमान कहते हैं कि अल नीनो की स्थिति आगे और तेज होगी । इसके उत्तरी दक्षिणी गोलार्ध में २००९-१० की ठंड तक जारी रहने की उम्मीद है । प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा पर दक्षिण अमेरिका से पश्चिम की तरफ बहने वाली गर्म धाराआें को अल नीनो कहा जाता है । इस प्रक्रिया में पूर्व की तरफ सतह पर गर्म धाराएं बहने लगती हैं । इससे पूर्वी प्रशांत महासागर में पानी गर्म हो जाता है, जबकि सामान्य तौर पर यह ठंडा रहता है ।
स्वछता के पर्याय फिनाइल से हो सकता है कैंसर
भारत के मध्यवर्गीय परिवारों में `स्वच्छता' का पर्याय समझे जाने वाले `फिनाइल' आधारित जीवाणुनाशकों तथा चूहों से निपटने के लिए दशकों से इस्तेमाल होते आ रहे सफेद `नेप्थालीन' गोलियों में कैसर फैलाने वाले तत्व होते है । देश की अग्रणी स्वच्छता रसायन निर्माता शेवरन लेबोरेट्रीज ने यह दावा किया है । कंपनी के महाप्रंबधक मधु कुमार ने बताया कि फिनाइल आधारित जीवाणुनाशको तथा नेप्थिलिन बॉल में मौंजूद कड़े रसायन स्वास्थ्य के लिए बेहत खतरनाक है । कई अध्ययनो में इनमें कैसरकारक तत्व होने की बात सामने आई है । इसके साथ ही एयरोसॉल आधारित एयर फ्रेशनर्स भी मानव स्वास्थ्य के लिए काफी घातक है ।श्री कुमार ने कहा कि दुर्भाग्य से अब भी इन रसायनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। लंबें समय से इनके इस्तेमाल की आदत की वजह से हमें इनकी सुगंध से ही सफाई का एहसास होता है । पर यह सही नही है । उन्होंने कहा यह न केवल स्वास्थ्य के लिए बेहद् खतरनाक होते है बल्कि इनमें कई विषाणुओ और जीवाणुआें का भी सफाया संभव नही है । श्री कुमार ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि अब भी भारत में लगभग नब्बे प्रतिशत स्वच्छता संबंधी रसायनों को स्थानीय कंपनियां फिनाइल,एयरोसोल तथा सोप ऑयल की मदद से बिना किसी विशेष मानदंड के बनाती है । इनकी जगह गैर फिनाइल और पर्यावरण मित्र कार्बनिक कीटनाशी रसायनों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है । ***
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