शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

जनजीवन
इलेक्ट्रॉनिक कचरे का प्रबंधन
दिलीप भाटिया

    ई-वेस्ट बिजली और इलेक्ट्रॉनिक के वेउत्पाद हैं, जो उपयोगी न रह गए हों और कुछ कीमती सामग्री निकालने के लिए जिन्हें ठिकाने पर पहुंचाना हो या फिर अलग-थलग करना हो । यह कचरा आईटी एवं दूरसंचार उपकरणों तथा कंप्यूटर, टेलीविजन, मोबाइल फोन, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, ड्रायर, वीसीआर, स्टीरियो, कॉपियर और फैक्स मशीन जैसी बिजली व इलेक्ट्रॉनिक ई एंड ई उपभोक्ता सामग्री से उत्पन्न होता है । 
    ई एण्ड ई उत्पाद ठोस वस्तुएं होती हैं, जो भारी धातुआें, पॉलिमर्स, ज्वाला प्रतिरोधकों, पॉलिक्लोरिनेटेड, बाईफिनाइल्स वगैरह जैसी सामग्री से बनी होती है । इनके कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं ।
    कैथोड रे ट्यूब टेलीविजन में लगी होती है, जिसमें सीसा, पारा, कैडमियम और बेरिलियम एवं ब्रोमिनेटेड ज्वाला प्रतिरोधक होते हैं । 
     मोबाइल फोन में ५० अलग-अलग पदार्थ होते हैं, जिनमें बेस धातुएं (जैसे तांबा, टिन), विशेष धातुएं (जैसे कोबॉल्ट, इंडियम, एंटीमनी)और कीमती धातुएं (जैसे चांदी, सोना, पैलेडियम) होती हैं । सबसे ज्यादा पाया जाने वाला पदार्थ तांबा (९ ग्राम) होता है, जबकि कीमती धातुआें की मात्रा सिर्फ मिलीग्राम में होती है (करीब २५० मि.ग्रा. चांदी, २४ मि.ग्रा. सोना और ९ मि.ग्रा. पैलेडियम) लिथियम-आयन बैटरी में करीब ३.५ ग्राम कोबॉल्ट होता है ।
    ऐसा अनुमान है कि दुनिया में हर साल करीब ५०० लाख टन ई-वेस्ट पैदा होता है । यूएसए में इसकी मात्रा करीब ३० लाख टन, चीन में २५ लाख टन, युरोपीय संघ में ८०-९० लाख टन है । भारत करीब १० लाख टन ई-वेस्ट पैदा करता है । यह अनुमान है कि आने वाले वर्षोंा में ई-वेस्ट की मात्रा और भी बढ़ जाएगी ।
    ई-वेस्ट को अगर वातावरण में कोई प्रक्रियाकिए बिना छोड़ दिया जाए तो ई-वेस्ट में मौजूद कई विषैले पदार्थोंा से पर्यावरण को तथा मनुष्य के स्वास्थय को गंभीर क्षति पहुंच सकती है । ई-वेस्ट में पाए जाने वाले कुछ रसायनों के प्रभाव आगे बताए गए हैं ।
    ब्रोमिनेटेड ज्वाला प्रतिरोधक वातावरण में आसानी से घुल-मिल नहीं सकते और इनके दीर्घकालिक प्रभाव से याददाश्त एवं सीखने की काबिलियत पर बुरा असर पड़ता है । ब्रोमिनेटेड ज्वाला प्रतिरोधक के प्रभाव में अक्सर देखा गया है कि गर्भवती महिलाएं ऐसे बच्चें को जन्म देती हैं, जिन्हें व्यवहार सम्बंधी समस्याएं होती हैं, क्योंकि ये प्रतिरोधक एस्ट्रोजन एवं थाइरॉइड के क्रियाकलाप में बाधा डालते हैं ।
    सीसा लगभग सभी कंप्यूटर मॉनीटरोंऔर टेलीविजन सेटों में पाया जाता है । इससे बच्चें में मंदबुद्धि के लक्षण विकसित होने लगते हैं और मनुष्य की प्रजनन प्रणाली, तंत्रिका तंत्र और रक्त संचार तंत्र को गंभीर क्षति पहुंचती है ।
    कैडमियम लैपटॉप कंम्प्यूटर एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणोंमें की रिचार्जेबल बैटरियों में पाया जाता है । यह गुर्दे और हडि्डयों को नुकसान पहुंचा सकता है । कैडमियम पर्यावरण मेंसंचित हो सकता है तथा मनुष्यों के लिए यह अत्याधिक विषैला होता है, विशेषकर गुर्दे एवं हडि्डयों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है ।
    पारा सपाट स्क्रीन वाले मॉनिटरोंऔर टेलीविजन सेटों के लाइटिंग उपकरणों में पाया जाता है, जो तंत्रिका प्रणाली, गुर्दे और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है तथा मां के दूध द्वारा यह छोटे बच्चें के शरीर मेंभी पहुंच सकता है ।
    हेक्सावेलेंट क्रोमियम यौगिक एक जाना-माना कैंसर जनक है, जो ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की धात्विक हाउसिंग बनाने में इस्तेमाल होता है ।
    प्रिंटेड सर्किट बोर्डोंा, कनेक्टरों, प्लास्टिक कवर और केबल के लिए पीवीसी केबलिंग का इस्तेमाल किया जाता है । जलाने या जमीन में गाड़ने पर पीवीसी वातावरण में डायऑक्सीजन छोड़ते हैं, जो मनुष्य की प्रजनन एवं रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं ।
    बहुमूल्य एवं खतरनाक पदार्थोंा की जटिल संरचना के कारण, ई-वेस्ट को संभालने में ऐसे विशिष्ट या उच्च् तकनीकी तरीकों की जरूरत होती है, जिनमें ज्यादा से ज्यादा सामग्री हासिल हो और मनुष्यों एवं पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे । दुर्भाग्य से ऐसे विशिष्ट तरीके बहुत ही कम प्रयुक्त होते हैं और दुनिया का ज्यादातर ई-वेस्ट विकासशील देशों में पहुंचता है, जहां  उसमें से कीमती सामग्री निकालने या फिर से उपयोग हेतु उसके पुर्जे अलग-अलग करने के लिए अक्सर अपरिष्कृत तकनीकोंका इस्तेमाल किया जाता है । इन तकनीकों से असुरक्षित श्रमिकों ओर उनके आसपास के वातावरण को खतरा उत्पन्न हो जाता है ।
    इसके अलावा, सामग्री निकालने के लिहाज से भी ये तरीके पूरी तरह से कारगर नहींहोते, क्योंकि इन मामलों में आम तौश्र पर सोने और तांबे (जिनकी प्रािप्त् भी ठीक से नहींे हो पाती) की प्रािप्त् पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, जबकि अन्य पदार्थ यूं ही छोड़ दिए जाते हैं, जो मनुष्य के स्वास्थय एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं ।
    ई-वेस्ट निपटान के लिए घटाने, बारंबार उपयोग करने और पुन:चक्रण की मिली-जुली रणनीति अपनाई जानी चाहिए । वस्तुआेंके उत्तम चयन एवं रखरखाव द्वारा ई-वेस्ट की मात्रा को घटाया जा सकता     है । चालू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणोंको दान करने या किसी को सस्ते में बेच देने के जरिए इनका पुन:उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है । जिन पुर्जोंा की मरम्मत नहीं की जा सकती, उन्हें पुन:चक्रित किया जाना   चाहिए । ई-वेस्ट उत्पादों को ठिकाने लगाने के लिए सिर्फ प्राधिकृत रिसाइक्लरोंको ही इसकी अनुमति होनी चाहिए ।

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