मंगलवार, 27 फ़रवरी 2007

हुआ सबेरा

बाल गीत


दुर्गाप्रसाद शुक्ल आजाद


लगता जैसे धुऑं सबेरा।

हुआ सबेरा हुआ सबेरा॥

सूरज आया, भोर हुआ,

चिड़ियां फिर से बोली।

अन्धकार को दूर भगा,

दुनिया ने आंखें खोली।

हरा-हरा सा सुआ सबेरा।

हुआ सबेरा, हुआ सबेरा।

नई उमंगे नई तरंगें,

नई रोशनी लायी।

महकी-महकी प्रकृति सुहानी,

ले मधुर अंगड़ाई॥

छुई, मुई ने छुआ सबेरा।

हुआ सबेरा, हुआ सबेरा॥

अपना सपना टूट गया,

धुप्प अंधेरा फूट गया।

चले काम पर सब प्राणी,

ताजापानी कुऑं सबेरा।

हुआ सबेरा, हुआ सबेरा॥

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