शनिवार, 28 अप्रैल 2007

पर्यावरण समाचार

१२ पर्यावरण समाचार

जलवायु परिवर्तन पर आईपीसीसी की विशेष रिपोर्ट जारी

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण विकास कार्यक्रम के अधीन जलवायु परिवर्तन के अध्ययन के लिए गठित सरकारी पैनल आईपीसीसी ने बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में आयोजित बैठक में एक विशेष रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह बात खुलकर सामने आई है कि मानव प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर स्वयं अपना अस्तित्व खत्म करने के रास्ते पर दौड़ रहा है। इस छेड़छाड़ ने न सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाया है बल्कि पूरी दुनिया के सुरक्षा के सामने एक सवालिया निशान लगा दिया है।

इस बैठक में लगभग सौ देशों के लगभग २५०० प्रतिनिधियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चर्चा की । यह रिपोर्ट मुख्य रूप से धरती के बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन के व्यापक प्रभावों के प्रति मानव और अन्य जीव-जंतुआें की संवेदनशीलता और अनुकूलन क्षमता को लेकर तैयार की गई है। रिपोर्ट में बताया गया कि जलवायु परिवर्तन के कारण धरती पर मानव समेत समस्त जीव-जंतुआें के लिए भयावह संकट उत्पन्न होना सुनिश्चित लग रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले कुछ दशकों में जीव-जंतुआें की अनेक प्रजातियाँ पूरी तरह विलुप्त हो जाएँगी।

इस रिपोर्ट में क्षेत्रीय आधार पर इन प्रभावों के व्यापक अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है हम अपना अस्तित्व खत्म करने के रास्ते पर तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रकृति का दोहन लगातार होने के कारण पिछले कुछ वर्षो से ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है।

ईपीसी के अध्यक्ष भारतीय वैज्ञानिक डॉ. राजेन्द्र पचौरी और पैनल के अध्यक्ष ओसवाल्डो गांजियानी की उपस्थिति में जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन की यह प्रक्रिया इतनी भयावह हो गई हे कि कुछ ही समय बाद में एक से दो डिग्री की मामूली वृद्धि के नतीजे भी भयावह होंगे, जो पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह चरमरा देने में सहायक सिद्ध होगा।

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