मंगलवार, 3 जून 2008

१४ प्रदेश चर्चा

म.प्र. : गेहूँ की आग से झुलसते गांव
रामकुमार गौर
मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के मकोड़िया गांव के कृषक रघुवीर लोवंशी और उसके तीन भाईयों के आँसू उस दिन थम नही रहे थे । २२ वर्षीय लड़की की हालत पागलों जैसी हो रही थी । कारण था गांव में लगी आग । इस आग में रघुवीर का घर पूरी तरह झुलस गया । हरे पेड़ जल पाए । खलियान में बंधे दो जानवर भी जल गए । इस घटना से रघुवीर पूरी तरह बर्बाद हो गया था । गौरतलब है गत अप्रैल माह में खेत में गेहूँ की नरवाई (गेहूँ काटने के बाद नीचे का हिस्सा) में लगाई गई आग के कारण मकोड़िया गांव में आग लग गई थी । देखते ही देखते गांव के ४० मकान और इनमेंं रखा करीब डेढ़ करोड़ रुपये का गृहस्थी का सामान व अनाज जलकर खाक हो गया । मकोड़िया गांव की यह घटना नरवाई की आग से इतनी बड़े नुकसान की इस वर्ष की सबसे बड़ी घटना है । लेकिन बात होशंगाबाद जिले के इस गांव की ही नहींहै, मध्यप्रदेश के गेहूँ प्रधान किसी भी गाँव के लिए यह आम घटना हो गई है । अप्रैल माह में ऐसी दर्जनों घटना देखी जा सकती हैं, जिनमें किसानों के घर खेत की फसल, जानवर, हरे पेड़ आदि जलकर खाक हो गये । नरवाई में लगाई जा रही आग से खेतों के हरे पेड़ तो जलते ही हैं साथ ही इस आग ने कई जगह तो सड़क के बाजू में लगे वर्षो पुराने पेड़ो को भी जला डाला है । गर्मी के दिनों में ऐसे दर्जनों पेड़ किसी भी सड़क किनारे देखे जा सकते हैं जो कि राख में तब्दील हो चुके है या मात्र ठूंठ ही रह गये हैं । नरवाई की आग जहां बेकसूर लोगों की क्षति पहुँचा रही है वहीं इसने प्रशासन की नाक में दम कर रखा है । होशंगाबाद जिले की सोहागपुर तहसील के तहसीलदार कहते है कि एक तहसील में एक फायर ब्रिगेड है और एक दिन में तीन से चार आगजनी सूचना एक समय में मिल रही है ऐसे में व्यवस्था बनाना बड़ा मुश्किल हो गया है । एस.डी.एम. के अनुसार सोहागपुर तहसील में नरवाई बुझाने में अप्रैल माह के अंत तक लगभग एक लाख रुपये का डीजल जल चुका है। नरवाई में आग लगाने से किसान भी बाज नहीं आ रहे हैं । नरवाई की आग से होश्ंगाबाद जिले की पिपरिया नगर पालिका का दमकल विभाग भी परेशान है । मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने साफ तौर पर कहा कि अब नरवाई में आग लगने की घटनाआें में पिपरिया का दमकल आग बुझाने नहीं जायेगा । उन्होने कहा कि नगरीय प्रशासन के साफ आदेश है कि ऐसे स्थानों पर दमकल न भेजें दमकल विभाग रोज-रोज की आग की घटनाआें से परेशान है । हाल ही में एक स्थान पर आग बुझाने गये दमकल के ड्रायवार और कंडक्टर आग की लपट में झुलस गये । नरवाई लगाई में लगाई जा रही आग के प्रत्यक्ष दुष्परिणाम तो आये दिन सामने आ ही रहे हैं । इसके अप्रत्यक्ष नुकसान भी हैं जिन पर हमें विचार करने की आवश्यकता है । नरवाई में लगाई जा रही आग से भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है और वातावरण दूषित हो रहा है आग से भूमि के कार्बनिक पदार्थ नष्ट हो रहे हैं, जिसका सीधा असर पैदावार पर पड़ेगा । कृषि विभाग से प्राप्त् जानकारी के मुताबिक नरवाई की आग मेें नरवाई तो जल रही है साथ ही जमीन में उत्पादन में सहयोग करने वाले जीवाणु भी दम तोड़ रहे हैं । पैदावार को बढ़ाने वाले बैक्टीरिया और वायरस आग में नष्ट हो रहे हैं । यह तापमान को बढ़ाने में भी सहायक है । यदि नरवाई में लगाई जा रही आग पर विचार किया जावे तो ज्ञात होगा कि पिछले दस वर्षो में यह घटनायें ज्यादा देखी जा रही हैं । यही नहीं प्रतिवर्ष आग का कहर बढ़ता ही जा रहा है । इन दस सालों में खेती में बड़े पैमाने पर मशीनीकरण हुआ है । साथ ही खेतों की मेढ़ समाप्त् होने से भी आग को फैलने में आसानी हो गई है । एक तरफ जहां मशीनीकरण से किसान को कम मेहनत एवं समय की बचत हो रही है वहीं उसके सामने नई समस्यायें आ रही है जिनका विकल्प खोजने की आवश्यकता है । पहले मिश्रित खेती की जाती थीं। इससे आग लगने का खतरा कम रहता था क्योंकि यदि आग लगती भी थी तो दूसरे खेत में आग लगने का कोई खतरा नहीं रहता था । परन्तु वर्तमान समय में एकल खेती करने के कारण चारों तरफ गेहँू ही गेहँू नजर आता है । कटाई के बाद किसान को सबसे अच्छा तरीका नरवाई में आग लगाना ही सूझता है । यदि किसान न भी चाहे तो भी उसका खेत जलना ही हैं क्योंकि नरवाई जलते जलते उड़कर जाती है एवं अगले खेत में आग लगा देती है । ***

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