सोमवार, 30 अगस्त 2010

७ प्रदेश चर्चा

महाराष्ट्र : प्रदूषण को वैधानिक मान्यता
राजिल मेनन

अपना घर साफ रखने के लिए हम पड़ौसी के घर में कचरा नहीं फेक देते । परंतु हमारे नगर निगमों ने इसे परम्परा का रूप दे दिया है । बिना सोचे समझे निम्न आय वर्ग की बस्तियों के पास कचरा घर बना दिए जाते हैं और उनके बीमार पड़ने पर दोष उनकी आर्थिक स्थिति को दिया जाता है । इस खतरनाक प्रवृत्ति से छुटकारा पाना आवश्यक है ।
मुंबई के उपनगर चेम्बूर के निवासी अपने फेफड़ों में हो रही बीमारी के लिए नजदीक में हो रहीे जमीन भराई के परिणामस्वरूप हो रहे प्रदूषण को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । इस संदर्भ में स्थानीय हृदयरोग विशेषज्ञ संदीप राणे यह जानना चाहते थे कि क्या देवनार में हो रही जमीन की भराई से मृत्यु भी हो रही है ? उनके पास इस संबंध में सन् २००८ में मुंबई के के.ई.एम. अस्पताल द्वारा कराया गया एक अध्ययन भर था । इसके अनुसार चेम्बूर के धूम्रपान न करने वाले ८२ प्रतिशत निवासी फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित है । इसके बाद उन्होंने कानून के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दिया । इससे उन्हें काफी मदद मिली ।
नगर पालिका से प्राप्त् मृत्यु के आंकड़ों से पता चला कि चेम्बूर में २००७-०८ के दौरान हुई मौतों में से २५ प्रतिशत का कारण श्वास संबंधी बीमारियाँ हैं । चेम्बूर में मौतों के कारण में फेफड़ों में गंभीर अवरोध संबंधी बीमारी एवं अस्थमा प्रमुख थे । अवैज्ञानिक तरीके से कचरा फेंकने के विरूद्ध संघर्षरत स्मोक अफेक्टेड रेजिडेन्ट फोरम (धुंआ प्रभावित नागरिक फोरम) के एक सदस्य राणे का कहना है कि इस खोज ने हमारे अभियान को अधिक शक्ति प्रदान की है । देवनार के निकट अवैज्ञानिक तरीके से कचरा फेंकने से जबरदस्त प्रदूषण फैल रहा है और इसके परिणामस्वरूप मौंते हो रही है ।
नगर पालिका के अधिकारी इस दावे को नकार रहे हैं । नगर निगम के सह कार्यकारी अधिकारी स्वास्थ्य अधिकारी गिरीश पी.अंबे का कहना है कि माटुंगा और चेम्बूर की तुलना नहीं हो सकती । माटुंगा में मध्यम व उच्च् आय वर्ग निवास करता है और चेम्बूर में मध्यम और निम्न आय वर्ग की मिश्रित आबादी है । आर्थिक स्तर भी व्यक्तियों के स्वास्थ्य की स्थिति का निर्धारण करता है ।
श्री राणे अब इन आंकड़ों को उच्च् न्यायालय में प्रस्तुत करने की योजना बना रहे हैं जो कि देवनार भूमि भराव मामले में अवमानना याचिका पर विचार कर रही है । नागरिक फोरम ने गत वर्ष न्यायालय में तब अवमानना याचिका दायर की थी जब नगर निगम ने वहां कचरा फेंकना नहीं रोका । कचरा स्थल पर कचरे का जलना प्रदूषण का प्रमुख स्त्रोत है । हाल ही में उच्च् न्यायालय की समिति ने स्थल पर अपने निगरानी भ्रमण के दौरान पाया कि जैविक स्वास्थ्य अपशिष्ट को नष्ट करने वाले भस्मक में प्लास्टिक की बोतलें एवं सिरिंज भी जलाई जा रही है । कानूनन इसकी अनुमति नहीं है । श्री राणे जो कि इस समिति के सदस्य भी हैं, का कहना है ठेकेदार ने स्वीकार किया है कि अस्पताल से आने वाले अपशिष्ट जिसमें मानव अंग एवं पटि्टयां (इन्हें भस्मक में जलाने की अनुमति है) शामिल है के साथ दूसरे अपशिष्ट भी मिला देता है ।
वायु की गुणवत्ता के अध्ययन भी निवासियों के दावों की पुष्टि करते हैं । राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिक शोध संस्थान (एमईआरआई) के मुंबई कार्यालय और के.ई.एम. अस्पताल द्वारा इस वर्ष मार्च के किए गए अध्ययन से पता चला है कि देवनगर मे भूमि भराव के नजदीक बसी दो बस्तियों में फॉरमाल्डेहाइड की मात्रा अधिक पाई गई है । राणे का कहना है कि फॉरमाल्डेहाइड से कैंसर होता है । भराव के स्थान के नजदीक फॉरमाल्डेहाइड तब बनता है जब अपशिष्ट में सूर्य के प्रकाश और आक्सीजन के रिएक्शन से मीथेन गैस निकलती है । चेम्बूर में पेट्रोकेमिकल्स और रासायनिक खाद के उद्योग भी हैं जो कि इस रसायन को सीधे हवा मे छोड़ते हैं ।
अपने दोवोंे को पुख्ता करने के लिए राणे को अभी और प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे । के.ई.एम. अस्पताल के पर्यावरण शोध केन्द्र की विभागाध्यक्ष अमिता अठावले का कहना है कि चेम्बूर के वातावरण में इन विषैले पदार्थोंा के कण काफी ज्यादा हैं परंतु चेम्बूर और देवनार में हुई मौतों को इनसे जोड़ने से पहले निवासियों की जेनेटिक ग्रहणशीलता, स्वास्थ्य का इतिहास, धूम्रपान और शराब पीने की आदतों पर भी गौर करना होगा । उनका कहना है कि अभी तो हम इस भूमि भराव से ज्यादा से ज्यादा बीमार होने की पुष्टि कर सकते हैं । ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विशेषज्ञों ने भी रहवासियों का समर्थन किया है । गैर सरकारी संस्था वेस्ट मेनेजमेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अमिय साहू का कहना है कि नगर निगम गौराई स्थित भूमि भराव स्थल को बंद करने में कामयाब रही है और अब वह यही गलती देवनार में दोहरा रही है ।
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