मंगलवार, 18 नवंबर 2014

पर्यावरण समाचार
भोपाल गैस त्रासदी के जिम्मेदार की मौत

    अमेरिकी कम्पनी यूनियन कार्बाइड के प्रमुख रहे और भोपाल गैस त्रासदी मामले में भगोड़ा करार दिए जा चुके वारेन एडरसन की मौत हो चुकी है । एडरसन की मौत २९ सितम्बर को ही हो गई थी । लेकिन खबर अब सामने आई है । १९८४ में २-३ दिसम्बर की दरमयानी रात में भोपाल में यूनियन कार्बाइड के प्लांट से गैस रिसने से हजारों लोगों की मौत हुई थी और लाखों लोग प्रभावित हुए थे । इनके परिजनों को आज भी इंसाफ का इंतजार है । लेकिन एंडरसन की मौत के साथ ही इंसाफ की उम्मीद भी खत्म हो    गई । भोपाल गैस कांड में हजारों की मौत का कारण बनी यूनियन कार्बाइड कंपनी के मुखिया वॉरेन एम एंडरसन की अमेरिका में मौत हो गई है । वह ९२ साल के थे । न्यूयॉर्क टाइस की खबर के मुताबिक, एंडरसन की मौत २९ सितम्बर को लोरिडा के वीरो बीच स्थित घर में हुई है । तब घरवालों ने इस घोषणा नहीं की थी ।
    ०२ दिसम्बर १९८४ को घटित भोपाल गैस त्रासदी भारत के इतिहास में वह काला अध्याय है जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सकेगा । भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट में २ दिसम्बर को आधी रात में मिथाइल आइसोनेट (एमआईसी) के रिसाव के कारण हजारों की तादाद में लोगों की मृत्यु हो गई । सरकारी आकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर तीस हजार लोग मारे गए थे । लेकिन हमेशा की तरह यह सिर्फ सरकारी आंकड़ा था और मरने वाले की संख्या और भी ज्यादा थी ।
    घोर लापरवाही के कारण गैस कार्बाइड कारखाने में मिथाइल आइसोसायनाइड गैस का रिसाव हुआ था । मिथाइल आइसोसायनाइड के सिराव ने न सिर्फ फैक्ट्री के आसपास की आबादी को अपने चपेट में लिया था, बल्कि हवा के झोको तक अपना कहर फैलाया था । गैस रिसाव से सुरक्षा का इंतजाम तक नहीं था । दो दिन तक फैक्ट्री से जहरीली गैसों का रिसाव होता रहा । फैक्ट्री के अधिकारी गैस रिसाव को रोकने के इंतजाम करने की जगह खुद भाग खड़े हुए थे ।
    एक अनुमान के अनुसार गैस की चपेट में आने से करीब १५ हजार लोगों की मौत एवं पांच लाख् से अधिक लोग घायल हुए थे । जहरीली गैस के चपेट में आने से सैकड़ों लोगों की बाद में मौत हो गई, यही नहीं आज भी हजारों पीड़ित इसके प्रभाव से मुक्त नहीं है ।

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