गुरुवार, 19 नवंबर 2009

८ प्रदेश चर्चा

उड़ीसा : वे लोगों को मारना चाहते हैं
कृष्णा वडाका
मैं डोंगरिया कोंध जनजाति का एक सदस्य हूं और मुझे मेरी इस पहचान पर गर्व है । मैं नियमगिरि की पहाड़ियों में रहता हूं । इस पहाड़ी पर हमारे देवताआें का भी निवास हैं न हमें और न हमारे पुरखों को इस बात की जरा सी भी आशंका नहीं थी कि किसी दिन हमारे घर और जीवनशैली को खतरा पैदा होगा । परंतु हम पर अब यह कहर बरपा चुका है। हम नहीं जानते कि तब हमारा क्या होगा जब वेदान्त की मशीनें उन पहाड़ियों को खोदने लगेगी जो कि हमारा पारम्परिक निवास है । मेरे गांव का समझदार पुजारी जानी मुझसे कहता है कि मेरे माता-पिता, दादा, परदादा पीढ़ियों से यहां रहते आए हैं । मैं नहीं जानता कि यहां सबसे पहले कौन आया था । परंतु मैं इतना तो जानता हूं कि मेरे पूर्व इन जंगलों में रहते थे और अब उनकी आत्मा यहां निवास करती है जो हमें वर्षा, तूफान, जानवरों और बीमारियों से बचाती है । मैंने अपने जीवन के ४७ साल इन जंगलों और पहाड़ियों में फल और जंगल की अनेक चीजों को इकट्ठा करते हुए एवं डोंगर खेती के द्वारा सब्जी और कोदो उगाते हुए बिताए हैं । मैं तलहटी के कस्बे में जाकर अपने इन उत्पादों को बेचता आयाहूँ । मैं अपने परिवार में बच्चें के साथ यहां रहता हूं । मैं आपको कैसे बता सकता हूँ कि उनके बच्च्े भी इन पहाड़ियों और जंगलों में खेल पाएंगे क्योंकि मुझे तो अब इस बात का भी भरोसा नहीं है कि मेरे अपने बच्च्े मेरे अपने इस गांव में बड़े हो भी पाएंगें कि नहीं । क्या आप नहीं जानते कि वेदान्त यहां पहुंच चुकी है? क्या आपने तलहटी में बसे छोटे से कस्बे से गुजरते हुए ट्रकों का शोर नहीं सुना ? वे उसमें मशीनें लादकर लाए हैं । ऐसी मशीनें जो हमारी सुंदर पहाड़ी नियमगिरि को लील जाएगीं । वे कहते हैंं कि हमारी नियमगिरि पहाड़ियां की चट्टानों में एल्युमिनियम नामक बहुत मूल्यवान खनिज है । उन्होने मुझे यह भी बताया कि यह पहाड़ियों की शुरूआत से ही इनमें हैं । मेरे पूर्वजों ने कभी इसकी परवाह नहीं की । क्योंकि जब हमारे देवता नियम राजा ने हमें जमीन के ऊपर ही इतना सबकुछ दे रखा है तो हम अपने पैरों के नीचे की जमीन से कुछ भी निकालकर क्यों खाएं ? क्या एल्यूमिनियम हमारे जीवन, हमारी पहाड़ियों फौर हमारे जंगलों से भी आिाऎाउ महत्वपूर्ण है ? वे कहते हैं कि एक युद्ध लड़ा जाएगा, बहुत बड़ा युद्ध । इसके लिए बहुत सारे हथियारों की आवश्यकता पड़ेगी । एल्यूमिनियम एक ऐसी धातु है जिससे ऐसे हथियार बनाए जाएंगे लो लाखों लोगों को मार सकते हैं। वे लाखो को क्यों मारना चाहते हैं ? क्या वे हम लोगों जैसे बैठकर आपस में निपटारा नहीं कर सकते ? हमें भी महसूस हो गया है कि एल्यूमिनियम बहुत ही ताकतवर धातु है वे लोग हमारे गांव में आए और हमसे इस जगह को छोड़ने को कहा । वे सब कुछ खोद डालना चाहते हैं । आपको उधर क्षितिज दिखाई पड़ रहा है न ? वे उस क्षितिज से इस क्षितिज तक का सब कुछ अपनी मशीनें से तहस-नहस कर डालेंगे । आप कभी लांजीगढ़ गए हैं? ये वो जगह है जहां वेदांत की मशीनों ने कार्य करना शुरू भी कर दिया है । उन्होंने मेरे आदिवासी साथियों को जंगल से बेदखल कर दिया है और उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा भी कर लिया है। उन्होंने कहा था कि वे उनके लिए घर बनाएंगे, बनके बच्चें को पढ़ाएंगे, उन्हें काम और अन्य सुविधाएं भी देंगे । वे झूठ हैं । उन्होंने कुछ भी नहीं दिया, बल्कि सारे पेड़ काट डाले और वहां एक ऐसा कारखाना लगा दिया जो खूब सारा सफेद धुंआ भर छोड़ता है । चारों और इतनी धूल हो गई है कि लोग बीमार पड़ने लगे हैं । वहां बहने वाली छोटी धाराएं (नदिया) अब हमारी प्यास नहीं बुझाती । उनमें से ढेर सारी तो सूख गई है । वे हमारे यहां की महिलाआें को बड़े अजीब ढंग से देखते हैं । हमें इस बात का डर है कि वे हमारी स्त्रियों को भी ले जाएंगे । वो अभी तक हमसे इसलिए दूर हैं क्योंकि उन्होंने हमारे कंधो पर टंगी कुल्हाड़ी और हाथों में चाकू देख लिया है । दोस्तों, वेदान्त की मशीनों और किराए के सैनिकोंसे मुक्ति दिलाने में हमारी मदद कीजिए । हम हमारी पहाड़ियों, नदियांे और जंगलों के बिना जिंदा रह सकते हैं । हम कहीं और रह ही नहीं सकते भले ही एल्यूमिनियम मिले या न मिले । ***

कोई टिप्पणी नहीं: