शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

संपादकीय 
म.प्र. में किसानों की विदेश अध्ययन यात्रा
म.प्र. में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर खेती के नये तौर-तरीके सिखाने के लिए मुख्य मंत्री किसान विदेश अध्ययन यात्रा योजना के रूप में नई राह खोली है । योजना में कृषि, उद्यानिकी, खाघ प्र-संस्करण, पशु पालन और डेयरी विकास, मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास से जुड़े प्रगतिशील कृषकों को उनकी रूचि और व्यवसाय के अनुसार आधुनिक तकनीकों के प्रयोग मेंअग्रणी देशों की यात्रा करवायी जायेगी । यात्रा में वास्तविक और प्रगतिशील कृषक ही भाग ले सकेंगे । ये किसान नये वैदेशिक ज्ञान, उपकरण, प्रयोग और विधियों की जानकारी समझेगे तथा उसे अन्य किसानों में बाँटेगे । 
योजना केवल एक-दो भ्रमण कार्यक्रम तक सीमित नहींरहेगी, बल्कि प्रतिवर्ष २०-२० किसान के दो-तीन अध्ययन दल अलग-अलग देशों की विदेश यात्रा पर जायेंगे । इनके साथ एक-एक कृषि वैज्ञानिक तथा एक-एक विषय-विशेषज्ञ भी रहेगा । खाद्य और पोषण की भावी चुनौतियों का सामना करने के लिये परम्परागत खेती के अतिरिक्त पाश्चात्य देशों में अपनाई जा रही आधुनिक खेती से परिचित करवाने किसानों को विदेश भ्रमण करवाया जा रहा है । 
राज्य शासन ने खेती को लाभकारी बनाने का संकल्प लिया है, जिसके लिये किसानों को काफी सुविधाएं दी जा रही है । किसान विदेशों में कम सिंचाई के उपयोग से अधिक उत्पादन लेना, खाद्यान्न तथा तिलहनी फसलों के उत्पादन में आधुनिकतम यंत्रों के प्रयोग से अधिक उत्पादकता आदि की विधि जान सकेंगे । फल-फूल और सब्जी उत्पादन के लिये कृत्रिम मौसमी परिस्थितियाँनिर्मित कर सुरक्षित एवं सुनिश्चित उपज प्राप्त् करने जैसी तकनीकों को हमारे किसान भी प्रत्यक्ष रूप से देख-समझ कर अपना सकते हैं । इसी प्रकार पशु-पालकों को भी दुग्धोत्पादन के क्षेत्र में बहुत सारी तरकीबें समझकर डेयरी व्यवसाय को सुदृढ़ करने का अवसर मिलेगा । कृषि विपणन के क्षेत्र में उत्पादन के साथ प्रबंधन, प्र-संस्करण और विपणन के प्रमुख सूत्र भी इस अध्ययन यात्रा में किसानों को सीखने को मिलेंगे । किसानों के लिये तय किये गये विदेशी दौरों में मुख्य रूप से हॉलैण्ड, जर्मनी, कनाडा, अमेरिका, स्पेन, दक्षिण अमेरिका के चिली, पेरू एवं ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैण्ड, केन्या, आस्ट्रेलिया, दक्षिण एशिया तथा राज्य शासन द्वारा चयनित अन्य देशोंको भी सम्मिलित किया जा सकेगा । प्रगतिशील किसानों के कुल २० सदस्यीय समूह में से सामान्य वर्ग के ४, अनुसूचित जनजाति वर्ग के ३, विशेष उपलब्धियाँ वाले ३, पुरस्कृत किसान ३, सामान्य महिला कृषक ४, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिला किसान ३ की संख्या मेंरहेगे । इस प्रकार यात्रा दल ५० प्रतिशत कृषि वर्ग के किसान और २५-२५ प्रतिशत उद्यानिकी एवं पशु पालन, मछली-पालन वर्ग से होगे । 
योजना अध्ययन भ्रमण पर होने वाले व्यय पर लघु-सीमांत कृषकों को ९० प्रतिशत अनुदान, सामान्य वर्ग के किसानों को ५० प्रतिशत, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के कृषकों को ७५ प्रतिशत अनुदान की पात्रता होगी । दस दिवस के प्रस्तावित प्रशिक्षण में विदेशी कृषि प्रक्षेत्रों पर ऑन फार्म ट्रेनिंग के लिये २ दिवस, अनुसंधान केन्द्रों के भ्रमण एवं वैज्ञानिकों से तकनीकी जानकारी प्राप्त् करने के लिये ३-४ दिवस, विदेशी बाजारों का घूमकर भण्डारण, विपणन, प्र-संस्करण तथा बाजार व्यवस्था को समझने के लिये एक दिन तथा अंतर्राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी/एक्सपो आदि देखने के लिये एक दिन निर्धारित किया गया है । 
जिले मेंकिसानों का चयन कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी । समिति में पशु पालन, मत्स्य-पालन तथा उद्यानिकी के जिला स्तर के अधिकारी सदस्य एवं उप संचालक कृषि सदस्य सचिव होगें । समिति द्वारा ५ किसान का चयन पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा किया जायेगा । राज्य स्तर पर चयन समिति के सचिव संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास वरीयता क्रम देते हुए सूची का संधारण करेगे । सूची की प्रभावशीलता एक वर्ष होगी । विदेश भ्रमण के लिये किसानोंके दल का निर्धारण कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी जिसका अनुमोदन मुख्यमंत्री द्वारा किया जायेगा । विदेशों  से अध्ययन भ्रमण करने के बाद इन किसानों को विभागीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों में मास्टर ट्रेनर्स के रूप में उपयोग किया जायेगा जिससे उनके अनुभवों का लाभ अन्य किसानों को मिल सकेगा । 

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