शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

कृषि जगत 
मॉन्सेंटो : एक अशालीन सम्राट
अल्फे्रडोअसीडो
अमेरिका में जीनांतरित फसलों के पक्ष में पारित कानून को मॉन्सेंटो संरक्षण अधिनियम की संज्ञा देने से स्पष्ट हो गया है कि अमेरिकी शासन व्यवस्था बड़े कारपोरेट घरानों के कब्जे में है ।  मेक्सिको में जीनांतरित मक्का को लेकर शुरू  हुआ आंदोलन पहले पड़ोसी देशों में फैला और धीरे-धीरे इसका विस्तार पूरी दुनिया में हो रहा है । पिछले दिनों ५२ देशों के ४०० शहरों में २० लाख से ज्यादा लोगों ने प्रदर्शन किए है । दु:खद यह है  कि भारत के नौकरशाह व कतिपय राजनीतिज्ञ अमेरिका से भी आगे जाकर ऐसा कानून बनाने की प्रक्रिया में हैंजिसमें शिकायतकर्ता को ही अपनी बात सिद्ध करना होगी वरना उसे आर्थिक दंड और सजा हो सकती है । 
मॉन्सेंंटो शासन का पर्याय है । जीवन के बुरे से बुरे कार्य के कुुछ सकारात्मक पक्ष हो सकते हैं, लेकिन जीनांतरित (जीएम) फसलों और जहरीले कीटनाशकों का निर्माण करने वाली यह कंपनी तो दुनिया की अर्थव्यवस्था, जैव विविधता और लोगों के स्वास्थ्य को बर्बाद कर रही है । अमेरिकी संसद द्वारा अमेरिका में जीनांतरित फसलों के पक्ष में पारित मॉन्सेंटो संरक्षण अधिनियम को राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा मार्च में हस्ताक्षर कर कानून बनाने और अमेरिकी सर्वोच्च् न्यायालय द्वारा जीवित जीवाणुओं के पेटेंट को सही  ठहरा देने के बाद विश्वभर में २५ मई को इस बहुराष्ट्रीय कंपनी के खिलाफ विश्वव्यापी प्रदर्शन हुए । इसमें सरकारों के हित एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों के अंर्तसंबंधों को भी उजागर किया गया । 
मॉन्सेंंटो के पास भ्रष्ट बनाने की जबर्दस्त ताकत है । इसका पिछले वर्ष का सकल लेनदेन १४ खरब डॉलर था और इसने अमेरिका के सर्वोच्च् न्यायलाय या राष्ट्रपति एवं मैक्सिको के सरकारी अफसरों एवं सांसदों को अपनी बातों से सहमत कराने में ६० लाख डॉलर खर्च किए थे । अपने आपको अत्यधिक तकनीकी सक्षम बताने वाली इस कंपनी का एकमात्र उद्देश्य है कानूनों को बदलकर एवं पेटेंट में हेराफेरी कर एकाधिकार प्राप्त कर खाद्यों के माध्यम से कानूनी तौर पर लोगों एवं राष्ट्रों को लूटना । 
परंतु हाल ही में जीनांतरित खाद्यों से होने वाले खतरों को लेकर यह महाकाय कंपनी लोगों के गुस्से की जद में है । पिछले वर्ष फ्रांस के केहन विश्वविद्यालय के एक अध्यन में जीनांतरित मक्का एनके ६०३ एवं खरपतवार नाशक राउंडअप या फाइना (ग्लायफास्फेट) के स्तनधारियों पर प्रतिकूल प्रभाव सामने आए । यहां चूहों को दो वर्ष तक पर्यावरण में मौजूदगी जितना यह खाद्य खिलाया गया । 
इसके परिणामस्वरूप ये स्तन केंसर, गंभीर हारमोनल, किडनी एवं लीवर खराबी के साथ ही साथ असमय मृत्यु के शिकार भी हुए है । पिछले अप्रैल में ही जाने माने वैज्ञाानिक स्टीफन सेनेफी एवं एंथोनी सेमसल इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि विश्व में सर्वाधिक प्रयोग में आनेवाला खरपतवारनाशक ग्लायफास्फेट, मनुष्यों के पाचन तंत्र पर घातक प्रभाव डालता है जो कि पश्चिमी भोजन पद्धति से जुड़ी बीमारियों जैसे पेट संबंधी रोग, मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग, संतानहीनता, नैराश्य, मानसिक रोगों, कैंसर एवं अल्जीमर्स का कारण भी है ।
अपने और अपने बच्चें के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित मेक्सिको वासियों ने स्वास्थ्यकर भोजन और पारंपरिक मक्का के समर्थन में मॉन्सेंटों के खिलाफ एक दिवसीय वैश्विक विरोध दिवस का आव्हान किया था । उन्होंने भुट्टा उत्सव मनाया और वहां के राष्ट्रपति से मांग की, कि वे इस महाकाय कृषि रसायन कंपनी के दबाव में न आएं एवं जनता की बेहतरी पर ध्यान दें । अनेक राजनीतिक, सामाजिक एवं पर्यावरण संगठनों से जुड़े हजारों युवा एवं कलाकारों के समूहों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम किए एवं पैलेस ऑफ फाईन आर्ट (ललित कला भवन)   से क्रांति के स्मारक तक जुलूस निकाला । उत्सव जैसे माहौल में वे ढोल, नुक्कड़ नाटकों, संगीत एवं नृत्य करते हुए चल रहेथे । साथ ही उनके हाथों में हाथ से बनी तख्तियों पर लिखा था । मॉन्सेंटो, घर (नरक) लौटा, हम तुम्हारे वैज्ञानिक परीक्षण का सामान नहीं हैं और सबसे लोकप्रिय नारा था, मॉन्सेंटो बाहर जाओ, इसी के साथ मार्चिंग धुन की तर्ज पर गाया जा रहा था । 
हमें फलियां चाहिए, हमें मक्का चाहिए, हम मॉन्सेंटो को अपने देश से बाहर देखना चाहते     है । वहां मौजूद लोगों का कहना था कि कार्यकर्ताआें की नई पीढ़ी ने न केवल जीनांतरित फसलों को नकार दिया हैै, लेकिन वे इस बात को लेकर भी सुनिश्चित है  कि मॉन्सेंटो जैसे निगम केवल हमारे भोजन के लिए ही खतरा नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन और इस ग्रह के लिए भी खतरा हैं । इस तरह के जमीनी आंदोलन के शुरू होने से आशा बंधी है कि अब कई देश एक साथ  आकर काम करेंगे । क्योंकि अब विरोध प्रदर्शन सिर्फ गैर सरकारी संगठ न ही आयोजित नहीं कर रहे हैं बल्कि सामान्य लोग भी स्वमेव इसमें शामिल होकर मॉन्सेंटों संरक्षण अधिनियम को रद्द करने की   आवाज उठा रहे हैं । इसलिए यह लड़ाई प्रतीकात्मक हैै और दोनों पक्षों का बहुत इस पर कुछ दांव पर लगा है । 
गौरतलब है कि मैक्सिको मक्का के वैश्विक उद्गम स्थल हैं, लेकिन वैज्ञानिकों, उत्पादकों एवं उपभोक्ताआेंकी चेतावनियोंं को नकारते हुए पूर्व प्रशासकों ने जीनांतरित मक्का की खुले खेतों में प्रयोगात्मक खेती करने की अनुमति दे दी थी । इससे उत्साहित होकर मॉन्सेंटो एवं अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने देश के उत्तरी भाग में स्थित सिनालोआ एवं रिमाडलिपास प्रांतों में १० लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती करने के हेतु आवेदन किया । सरकार ने संभवत: आवंटित समय सीमा में इसका जवाब नहीं दिया । लेकिन मॉन्सेंटो ने इसके बावजूद इस वर्ष मार्च में दावा बढ़ा दिया और उत्तरी राज्यों चिहुआहुआ, कोमाहुइला एवं डुरांगों में करीब १ करोड़ १० लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इसको व्यावसायिक खेती हेतु आवेदन   किया । 
मैक्सिको के अधिकारी एवं राजनीतिज्ञ कमोवेश मॉन्सेंटो के पक्ष में हैं । वे तो सन् २००५ से जीनांतरित फसलों के लिए रास्ता बनाने में जुटे हुए हैं । लेकिन जनता की अनिच्छा और राजनीतिक हानि के चलते मामला अभी तक अटका हुआ है । लेकिन इस जमीनी आंदोलन ने खाद्य सार्वभौमिकता एवं पारंपरिक बीजों के सहेजने हेतु बीज बैंकों की आवश्यकता हेतु स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता पैदा की हैं । २५ मई को प्रदर्शन ने स्पष्ट कर दिया है  कि मान्सेंटो और जीनांतरित मक्का दोनों को ही अब मैक्सिको में फैलने में दिक्कत आएगी । गौरतलब है कि इसके पहले मैक्सिको सिटी में जनवरी में इसी विषय को लेकर ९ दिन की भूख हड़ताल भी हो चुकी  है ।
मक्का के बिना कोई देश नही, यूनियन ऑफ कंसर्मड साइंटिस्ट एवं ग्रीन पीस, मैक्सिको जैसे आंदोलनों ने सार्वजनिक वक्तव्य एवं संगठनात्मक प्रदर्शन कर पारंपरिक मक्का के पक्ष में माहौल बनाया है । साथ ही जीनांतरित फसल नहीं चाहिए । नारे को जगह, जगह प्रदर्शित भी किया है  । इतना सब कुछ लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को होने वाली हानियों के मद्देनजर उपजी गहरी संवेदना से उपजा है और इसके पीछे महज भावनाएं नहीं बल्कि ऐसे वैज्ञानिक तथ्य भी हैं, जिन्हें ऐसे वैज्ञानिकों खोजा है, जिनका कि कोई विरोधाभासी हित नहीं है ।
लेकिन मॉन्सेंटों के उत्पादों से गंभीर खतरे रोज ही उद्घाटित हो रहे है । वहीं कंपनी इन बातों को फैलाने वाले एवं इस तरह के अध्ययनों को सार्वजनिक करने वाले वैज्ञानिकों को बदनाम करने में खूब दम-खम लगा रही है । एक शालीन कारपोरेट इन सब बातों का उत्तर चिंताजनक एवं स्वतंत्र अध्ययन कराकर जनता की सुरक्षा हेतु इन उत्पादों को बाजार से वापस लेकर देता । लेकिन मॉन्सेंटो एक शालीन कारपोरेट नहीं है । आज नहीं तो कल उसे वहजो पैदा कर रहा है उसकी जवाबदारी तो लेना ही होगी ।

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