गुरुवार, 18 अगस्त 2016

पर्यटन 
चार साल में चांद की सैर
शर्मिला पाल

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लगातार हो रही प्रगति बताती है कि साल २०२० अंतरिक्ष में मानव की आवजाही का प्रस्थान बिन्दु होगा और २०५०-५५ तक मानव की अंतरिक्ष में आमदरफ्त आम हो जाएगी । अगले चार दशक के भीतर ही अंतरिक्ष की सैर अमीरों के लिए नया शगल होगा । इसके लिए देशी-विदेशी और निज सुविधाआें की भरमार  होगी । 
एक दशक यानी २०३० तक मंगल पर जाने, बसने का सपना सच होने में किंचित संदेह हो सकता है पर पृथ्वी की निचली कक्षाआें तक घूम आना, अंतरिक्ष को छूकर लौटना, किसी क्षुद्रग्रह पर जाकर कुछ घंटे ठहरना, टहलना, चांद की सैर की योजना बनाना, चांद पर उतरकर मून वॉक कर धरती पर लौटनी का रोमांचक शौक पूरा करना तो लोग शुरू कर ही देंगे । 

यह शुरूआती सफर अगले दो तीन दशकों में आम हो जाएगा । अमरीकी अंतरिक्ष संगठन नासा ही नहीं, चीन और युरोपीय संगठन सीरखे दर्जन भर दूसरे देश भी इस दिशा में सक्रिय हैं । भारत भी मानव सहित अंतरिक्ष यान भेजने की तैयारी में है । 
देशों के अलावा कई निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष पर्यटन के क्षेत्र में नयापन और अकूत मुनाफे की संभावना देख इस क्षेत्र में कूद पड़ी है । यहां तक कि वे अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक रसद इत्यादि पहुंचाने की सेवा भी देने लगी है और अपने सुविधायुक्त यानों का गुणगान भी करने लगी है । मानव सहित सुविधाजनक अंतरिक्ष यान विकसित होने, अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने, अंतरिक्ष में सब्जी उगाने, जीवाणु विकसित करने तथा अंतरिक्ष पर्यटन के कार्यक्रमों और इससे संबंधित दूसरे प्रयासों मे आई तेजी तथा शोध और निरन्तर तीव्र विकास को देखकर यह कहा जा सकता है कि इस पीढ़ी के बच्च्े बड़े होकर अंतरिक्ष यात्रा के रोमांच का आनंद लेने को तैयार होंगे । 
अंतरिक्ष यात्रा के लिए यान की तकनीक लगभग तैयार है । पर इससे पहले जरूरत है एक अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण की जहां यान रूके, यात्री ठहरें, स्पेसवॉक कर  सकें । नासा के साथ मिलकर काम कर रही निजी कंपनी बैग्लो एयरोस्पेस का दावा है कि २०२० तक वह बी-३३० नाम प्राइवेट स्पेश स्टेशन स्थापित कर लेगी । यह अंतरिक्ष स्टेशन मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से छोटा पर अधिक तकनीक सक्षम और सस्ता होगा । ३३० घन मीटर के इस स्पेस स्टेशन पर ६ अंतरिक्ष पर्यटक आसानी से रह सकेंगे । 
यदि यह सफल रहता है तो यह साबित हो जाएगा कि इसी तरह के स्पेश स्टेशन सस्ते में बनाए जा सकेगे । यह परियोजना जारी है । देर हुई तब भी वह २०२५ तक अपना उद्देश्य अवश्य पा लेगी । रूस इस जुगाड़ में है कि जब २०२० में अंतर्राष्ट्रीय स्पेश स्टेशन का कार्यकाल खत्म हो जाएगा तो वह अपनी हिस्सेदारी अलग कर वहां ऑर्बाइटल पायलेट एसेंबली एंड एक्सपेरीमेंट कॉमप्लेक्स खोलेगा । यहां मानव सहित अंतरिक्ष यान आएंगे । और फिर यहां से आगे मंगल, शनि इत्यादि ग्रहों तक मानव सहित यान की यात्रा के मंसूबे बांधे जाएंगे । चीन भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या मीर की तरह अपना मल्टी मॉड्यूल अंतरिक्ष स्टेशन विकसित कर रहा   है । संभवत: २०२२ में वह अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित कर लेगा । 
तमाम अंतरिक्ष स्टेशन बन जाने के बाद उनमें होड़ शुरू होगी जिसमें पर्यटकों को वहां ले जाने और धन कमाने की प्रतिस्पर्धा खास  होगी । 
चांद अंतरिक्ष पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण होगा । इसे देखते हुए रूस, चीन, अमेरिका जैसे देशों के अलावा यूरोपीय स्पेस एजेंसी भी इस प्रयास में लगी है कि अगले पांच सालों में चांद की यात्रा सुगम बनाई जा सके । भारत भी भले ही वह अंतरिक्ष स्टेशन बनाकर अंतरिक्ष में अपना अड्डा बनाने की जुगत में न हो पर मानव सहित अंतरिक्ष यान चांद पर भेजने को तैयार है । नासा का चांद पर लंबे समय तक रहने और फिर वापस आने वाला नए तरीके का यान तकरीबन तैयार कर चुका है । वह २० से ४० टन तक वजन लेकर बेहद कम समय में चांद पर पहुंचने वाले इस यान का परीक्षण करने ही वाला है । 
चांद की अलावा क्षुद्रग्रह भी अंतरिक्ष पर्यटन के लिए बहुत पसंदीदा स्थल होने लगा है । बहुत से क्षुद्रग्रह ऐसे पर्यटन स्थल मे शुमार होंगे जिनके बारे में कम जानकारी होगी और उनके तमाम हिस्से बेहद रोमाचांक, सामान्य ग्रहों से अलग विशेषता रखने वाले और अछूते   होंगे । नासा अंतरिक्ष उपकरणों की मदद से कुछ क्षुद्रग्रहों को ठेल कर जबरिया चांद की स्थिर कक्षा में स्थापित करने की सोच रहा है । ये भी दर्शनीय अंतरिक्ष पर्यटन स्थल होंगे । एक दो दशक बीतते - बीतते पर्यटन के लिए उपयुक्त कुछ और अनूठे क्षुद्रग्रहों की खोज होना नितांत संभव है जिसके चलते अंतरिक्ष पर्यटकों की रूचि बढ़ेगी और इस धंधे मे लगी कंपनियां औश्र एडवेचर पसंद लोग उधर रूख करेगें । 
उधर मगल पर मानव को पहुंचाने के लिए कई देशों और कंपनियों ने कमर कस रखी है । नासा का दावा है कि वह २०३० तक मानव को मंगल की सैर करा    देगा । इसके लिए वह मंगल की खाक छान रहे मौजूदा रोवर के आंकड़ों की पड़ताल तो कर ही रहा है, मंगल की सतह पर मनुष्य को उतारने की संभावनाआें को समझने के लिए २०२० में एक और रोवर भेजेगा । यह रोवर बताएगा कि मंगल पर मानव के पैर रखने और टिकने के लिए किन तकनीकी विशेषताआें की आवश्यकता है । मंगल का सफर लंबा है इसलिए अलग तरीके से विचार करना होगा 

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