बुधवार, 21 मई 2008

संपादकीय

औषधि परीक्षण में पारदर्शिता का सवाल
पिछले दिनों एक अध्ययन की खबर ने औषधि अनुसंधान के क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी । यह अध्ययन दवाइयों के परीक्षणों को लेकर था । मीडिया ने इस अध्ययन को अपनी चिर-परिचित सनसनीखेज शैली में प्रस्तुत किया । यह कहा गया कि उक्त अध्ययन से पता चला है कि दवाइयां असरदार नहीं होती । अलबत्ता, यह अध्ययन कहीं अधिक गंभीर मुद्दे उठाता है । इस अध्ययन को करने वाले शोधकर्ता पिछले वर्षो में किए गए दवा परीक्षणों के आंकड़ों का विश्लेषण करना चाहते थे । वे यह देखना चाहते थे कि दवाइयों के परीक्षणों के आंकड़े उनकी प्रभाविता के बारे में क्या कहते हैं । उन्होंने कुछ दवाइयों को चुना था । अंतत: शोधकर्ताआें को यू.एस. खाद्य व औषधि प्रशासन से यह जानकारी सूचना के अधिकार का उपयोग करके प्राप्त् करनी पड़ी थी । यह अपने आप में चिंता का विषय है । जब यह जानकारी प्राप्त् हुई, जो काफी आधी-अधूरी थी । इन गुमशुदा आंकड़ों के चलते उन्हें अपना अध्ययन सीमित करना पड़ा था । बहरहाल, जो आंकड़े प्राप्त् हुए, उनसे पता चला है कि दवाइयों के कई क्लिनिकल परीक्षण शुरू तो किए जाते हैं, मगर नकारात्मक परिणाम मिलने पर उन्हें प्रकाशित ही नहीं किया जाता । परिणाम यह होता है कि दवाई को मंजूरी दिलवाने के लिए मात्र सकारात्मक परिणाम ही प्रस्तुत किए जाते हैं । इससे औषधि विज्ञान का काफी नुकसान होता है और दवाइयों का सही आकलन भी नहीं हो पाता । यह मांग काफी समय से की जाती रही है कि सारे क्लिनिकल परीक्षण के आंकड़े प्रकाशित किए जाएं मगर ऐसा होता नहीं है । इसे सुनिश्चित करने के उपाय कुछ हद तक ही सफलहुए हैं । जैसे चिकित्सा पत्रिकाआें के संपादकोंकी एक अंतर्राष्ट्रीय समिति ने यह मांग की थी कि शोधकर्ता सारे क्लिनिकल परीक्षणों का ब्यौरा अनिवार्य रूप से रजिस्टर में दर्ज करें । इसके बाद एक महीने में यू.एस. नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ में दर्ज क्लिनिकल परीक्षणों की संख्या लगभग दुगुनी हो गई थी । इसी प्रकार से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी समस्त क्लिनिकल परीक्षणों का पंजीकरण `वैज्ञानिक व नैतिक दायित्व' घोषित किया है । इन प्रयासों के बावजूद स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ है । आज भी क्लिनिकल परीक्षण पर शोध करने वालों को खोज-खोज कर ऐसे परीक्षणों के आंकड़े इकट्ठे करने पड़ते हैं । उपरोक्त सीमित सफलता के मद्दे नजर अब यह मांग उठ रही है कि यह भी अनिवार्य होना चाहिए कि सारे क्लिनिकल परीक्षणों के परिणाम भी प्रकाशित हों ।

कोई टिप्पणी नहीं: