बुधवार, 21 मई 2008

४ विरासत

कहानी कहते पत्थर
सुश्री नंदिता छिब्बर
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की चंबल घाटी में स्थित पुरातन मंदिर श्रृंखला के अवशेषों तक पहुंचने पर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीक्षक के.के. मुहम्मद ने एक आदमी को वहां धूम्रपान करते पाया तो उन्हें बड़ा धक्का लगा । रोकने पर उस आदमी ने रूखे स्वर में कहा सदियों से ये मंदिर हमारे रहे हैं और यहां हमारी मर्जी चलती है । उनके सहायक ने सलाह दी कि यह आदमी कुख्यात डकैत निर्भय सिंह गुर्जर हैं अत: हमें किसी तरह का झंझट मोल नहीं लेना चाहिए । श्री मुहम्म्द के लिए तो यह एक अच्छा मौका था उन्होंने गुर्जर से कहा देखों हमें पुलिस या उसके मुखबिर मत समझो । हम भारतीय पुरातत्व विभाग से आए हैं और इस मंदिर श्रृंखला का जीर्णोद्धार करना चाहते हैं । काफी समझाने पर गुर्जर मान गया और उसने जीर्णोद्धार के लिए सहमति और सहयोग का आश्वासन भी दिया । बटेश्वर मंदिर के ये पुरावशेष डकैतों के लिए पीढ़ियों से छुपने का स्थान रहे हैं । पुरातत्व विभाग द्वारा सन् १९२० में ही इसे सुरक्षित स्थान घोषित किया जा चुका था । किंतु जीर्णोद्धार की शुरूआत जनवरी २००५ में जाकर हो पाई । इससे पहले के सभी प्रयास डकैतों ने निष्फल कर लिए थे । लेकिन मुहम्मद का मानना है कि डकैतों की वजह से इस जगह को एक तरह से संरक्षण ही मिला और महत्वपूर्ण चीजें इधर-उधर न होने से बच गई । एक समय इन्हें भूतेश्वर मंदिर भी कहा जाता था । पुरा विभाग के अनुसार आठवीं सदी में बने इन मंदिरों मंे से ज्यादातर शिव मंदिर हैं । इसके अवशेष चम्बल नदी के नजदीक लगभग एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं । इन मंदिरों के खंडित होने के बारे में विभाग के पास दो तर्क हैं एक तो यह कि ये प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त हुए और दूसरे कि चम्बल नदी ने अपना रूख बदला इस वजह से इसका कुछ हिस्सा डूब में आ गया । लेकिन वस्तुत: विभाग के पास दोनों ही तर्को के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं है । सन् २००५ में जीर्णोद्धार शुरू करते समय माना जा रहा था कि यहां १०८ मंदिर थे लेकिन खुदाई करने पर पुराविदों को पता चला कि यहां लगभग ३०० से ४०० मंदिर मौजूद रहे होंगे । एक-एक मंदिर को फिर से ठीक हपने वाली शक्ल देना किसी (जिग-सा) पहले को हल करने जैसा ही था, मुहम्मद का कहना था फिर हमारे पास कोई पुराना नक्शा या चित्र भी नहीं था इसलिए हर पत्थर को नक्काशी के आधार पर ही फिर जोड़ा गया । उन्होंने आगे बताया कि इस तरह से एक-एक पत्थर ढूंढ-ढूंढकर जोड़ना बहुत श्रमसाध्य कार्य था लेकिन पुराविदों का मानना है कि इसके बावजूद किसी एक मंदिर का पत्थर दूसरे में लग जाने की संभावना बिल्कुल नहीं है । डकैतों ने भी जीर्णोद्धार के दौरान न सिर्फ परहेदारी की बल्कि कभी-कभी तो काम में भी हाथ बंटाया । उन्हीं की वजह से खनन माफिया भी कोई हरकत नहीं कर पाया । लेकिन ऐसा नवम्बर २००६ तक ही चल पाया क्योंकि तभी उत्तरप्रदेश की स्पेशल फोर्स ने गुर्जर को मार गिराया। इसके बाद बलुआ पत्थर के अवैध उत्खनन का काम पुन: शुरू हो गया (एक सरकारी आकलन के आकलन के अनुसार इस अवैध कारोबार का आकार १००० करोड़ रूपए का है) उत्खनन के धमाकों की वजह से पैदा कंपन से नवनिर्मित मंदिरों को बहुत क्षति पहुुंची । चिंचित श्री मुहम्मद ने मध्यप्रदेश की तत्कालीन पर्यटन मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को जानकारी दी तो उन्होंने खनन पर तत्काल रोक लगवाई। परंतु कुछ समय में इन खनन माफियों को फिर से मौका मिल गया । श्री मुहम्मद ने पुन: राज्य के खनिज मंत्री, जिला कलेक्टर एवं राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री से रोक की गुहाई लगाई लेकिन खनन माफिया अपने धन और बाहुबल के दम पर सन् २००७ में पूरे वर्ष पुरातत्व विभाग को रोके रखने में सफल रहा । अंत में हताश होकर श्री मुहम्मद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख के.सी. सुदर्शन के यहां गुहार लगाई । इसका अपेक्षित परिणाम भी मिला, राज्य सरकार ने क्षेत्र में अवैध खनन रूकवा दिया । पुरातत्व विभाग ने अपने मुख्यालय को जीर्णोद्धार कार्य के बारे में शुरूआत से लेकर वर्तमान तक की स्थिति की विस्तृत रपट भेजी जो केन्द्रीय पर्यटन मंत्री अम्बिका सोनी के समक्ष भी रखी गई । श्रीमती सोनी ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को यह कहते हुए एक पत्र लिखा कि आपको बटेश्वर मंदिर श्रृंखला इलाके में चल रहे अवैध उत्खनन के बारे में जानकारी है साथ ही साथ आपको यह भी ज्ञात है कि इसकी वजह से मंदिरों को नुकसान पहुंच रहा है । इस बारे में राज्य सरकार को इसके सचिव, कलेक्टर और पुलिस विभाग के माध्मय से बार-बार सूचित करने के बावजूद उत्खनन जारी है । श्रीमती यशोधरा राजे हालांकि एक बार इसे कुछ समय के लिए बंद करवा चुकी हैं लेकिन यह पुन: प्रारंभ हो गया । पुरातत्व विभाग की ओर से उत्खनन माफिया द्वारा बाहुबल के इस्तेमाल की शिकायतें प्राप्त् हुई हैं । अब तक बटेश्वर मंदिर श्रृंखला के पच्चीस मंदिरों का पुननिर्माण सम्पन्न हो चुका है । इसमें सरकार को चालीस लाख रूपये की लागत आई है । पुरातत्व विभाग १०८ मंदिरों के जीर्णोद्धार की मंशा रखता है किंतु इसमें धन की कमी आड़े आ रही है । भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने क्षेत्र में आधारभूत सुविधाआें हेतु २ करोड़ रूपए मंजूर किए हैं । श्री मुहम्मद ने मंत्रालय के विशेष पर्यटन कोष से एक करोड़ रूपए की अतिरिक्त मांग की है । पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का अनुमान है कि कार्य पूरी तरह समाप्त् करने में अभी पांच वर्ष और लगेंगे । पुरातन मंदिरों के जीर्णोद्धार मुहम्मद इन मंदिरों को दिल्ली, आगरा, ग्वालियर पर्यटन मानचित्र में एक महत्वपूर्ण तीर्थ पर्यटन स्थल के रूप में देखते हैं । ***

1 टिप्पणी:

rsdwivedi.com ने कहा…

सुन्दर और सारगर्भित जानकारी देने के लिए लेखक महोदय को बहुत बहुत साधुवाद।