बुधवार, 23 नवंबर 2011

संपादकीय

भारत में कार पार्किंग की बढ़ती समस्या

भारत के महानगरों की बिगड़ती फिजा और उपलब्ध स्थान के विवेकहीन इस्तेमाल को देखते हुए विशेषज्ञ इन शहरों में कार पार्किंग व्यवस्था को सुधारने के लिए सुझाव देने को आगे आए हैं ।
पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित एनजीओ सेंटर फॉर साइंस और एन्वायर्मेंाट (सीएसई) ने एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जिसमें सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि, देश-विदेश के विशेषज्ञ और शहरों के नियमन के लिए जिम्मेदार अधिकारी शामिल हुए और उन्होंने इस बात पर चर्चा की कि एक रहने योग्य शहर के लिए पार्किंग व्यवस्था कैसीहो ।
सम्मेलन में प्रमुख बात यह उभरी कि बड़े शहरों में पार्किंग की समस्या के मुख्य कारण कारोंपर बढ़ती निर्भरता और पार्किंग सुविधा का मुफ्त में उपलब्ध होना हैं । सीएसई की अनुमिता रॉय चौधरी कहती है इसका हल यह नहीं है कि पार्किग के लिए जगह बढ़ाई जाए बल्कि यह है कि यातायात के अन्य तरीकों को बढ़ावा दिया जाए और जगह को अन्य महत्वपूर्ण कार्यो के लिए मुक्त किया जाए ।
दिल्ली की लगभग १० प्रतिशत शहरी जमीन पार्किंग के लिए इस्तेमाल होती है लेकिन कार मालिक इस पार्किंग मेंइस्तेमाल हो रही जमीन के लिए बहुत कम शुल्क अदा करते हैं । कारें कुल सवारियों में मात्र १४ प्रतिशत को ढोती हैं मगर वे सड़कों, पैदल चलने वाले स्थानों और हरित स्थानों को पूरी तरह घेर लेती हैं । पार्किंग के कारण प्रदूषण, भीड़भाड़, ट्रॉफिक की धीमी गति और ईधन की बर्बादी जैसी अन्य समस्याएं पैदा होती है।
वाहन-जनित प्रदूषण को कम करने व शहरी भूमि के बेहतर उपयोग के लिए इस सम्मेलन में पार्किग के बेहतर प्रबंधन, भुगतानशुदा पार्किंग और यातायात के अन्य तरीकों को बढ़ावा देना जैसे उपाय सुझाए गए । दिल्ली में १००० लोगों पर ११५ कारें है और प्रति १०० वर्ग मीटर दो से तीन पार्किंगस्लॉट दिए गए है । हाल में भारतीय प्रदूषण नियंत्रण ्रप्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट से सिफारिश की है कि शहरों में और अधिक पार्किंगकी जगहों पर विराम लगाया जाए । प्रत्येक कार मालिक अपनी कार पार्किंग की जगह के लिए पैसा दे ।





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