रविवार, 19 फ़रवरी 2012

पर्यावरण समाचार

स्पेशल कमांडो करेंगे अब बाघों की सुरक्षा

देश में बाघों को बचाने की नाकाम होती कोशिश के बीच कर्नाटक सरकार ने नई पहल की है । कर्नाटक ने बाघों की सुरक्षा के लिए स्पेशल टाइगर फोर्स का गठन किया है । इस फोर्स को जंगलों में तैनात किया गया है, ताकि बाघों का शिकार रोका जा सके ।यह देश की पहली फोर्स है जिसे हथियारों के साथ इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने की खास ट्रेनिंग दी गई है ।
स्पेशल टाइगर फोर्स के लोगों को हर पल चौकस रहकर शिकारियों के मंसूबों को बेनकाब करने की ट्रेनिंग दी गई है । हर माहौल में इन्हें अपनी और बाघ की सुरक्षा की ट्रेनिंग दी गई है । कर्नाटक में करीब ३०० बाघ रहते हैं, यानि देश में अगर सबसे ज्यादा बाघ किसी राज्य में है तो वो है कर्नाटक । कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व में १५० बाघ हैं । लिहाजा इन बाघों की रक्षा एक बड़ी चुनौती है ।
स्पेशल टीम को एक साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद बांदीपुर टाइगर रिजर्व में तैनात किया गया है । हथियारों के अलावा इनको वॉकी टॉकी और जीपीएस से लैस किया गया है, ताकि पल पल की जानकारी मुख्यालय तक पहुंच सके । कर्नाटक सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य में बांघों को बचाने में मदद मिलेगी ।
अधिकारियों के अनुसार स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के सामने बाघों को मध्यप्रदेश के भावरिया ट्राइब से बचाने की चुनौती है । वन विभाग के मुताबिक मध्यप्रदेश की भावरिया जाति जिन्हेें बहेलिया ट्राइव से भी जाना जाता है । वो कर्नाटक में घूस आई है । ये जाति बाघों का शिकार करने के लिए जानी जाती है । ये शिकारी बेहद चालाक होते है । माना जाता है कि एक बार ये बाघों के जंगल में घुस जांए तो बिना शिकार किए वापस नहीं लौटते हैं । पिछले ६ सालों में ५० से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है, जिनमें २० बाघों की मौत शिकार की वजह से हुई है ।

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