मंगलवार, 10 जून 2014

पर्यावरण समाचार
हवा, पानी व मिट्टी को बचाना है 
    पर्यावरण का प्रश्न आज की पीढ़ी के लिये नयी चुनौती है । पर्यावरण संरक्षण की चिंता करना प्रत्येक व्यक्ति का सामाजिक दायित्व है । हवा, पानी और मिट्टी हमारे जीवन के बुनियादी आधार है, इन्हें बचाकर ही हम अपने जीवन को बचा कर रख सकेगें ।
    उक्त आशय के विचार युवाआें को समर्पित संस्था युवामके व्यक्तितव विकास शिविर में पर्यावरण दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पर्यावरणविद् डॉ.खुशालसिंह पुरोहित ने व्यक्त किये । गोष्ठी की अध्यक्षता समाज सेवी गुस्ताद अंकलेसरिया ने की । विशेष अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार श्रेणिक बाफना व युवाम संचालक पारस सकलेचा उपस्थित थे । 


 अतिथि स्वागत अरूण तिवारी, जितेन्द्र जायसवाल, कमल सोलंकी, पंकज चिढ़ार, संजय देसवानी एवं स्नेहा असरानी ने किया । गोष्ठी के पूर्व पर्यावरण पर केन्द्रित सामान्य ज्ञान स्पर्धा का आयोजन हुआ, इसमें१३ वर्षीय बालक तनय पुरोहित ने प्रथम स्थान प्राप्त् किया । इस स्पर्धा में करीब २५० युवाआें ने भाग लिया जिसमें द्वितीय पुरस्कार शिवम सिंह एवं तृतीय पुरस्कार राकेश आचार्य को दिया गया । दीपेन्द्रसिंह सोलंकी, गुरूदीप सोढ़ी व अर्पणा साधु को सांत्वना पुरस्कार मिला ।     

    जन शिक्षण संस्थान रतलाम द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में ग्राम बांगरोद में पर्यावरण डाइजेस्ट के सम्पादक एवं पर्यावरणविद् डॉ. खुशालसिंह पुरोहित के मुख्य आतिथ्य में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
    ग्राम पंचायत के सरपंच शंकरलाल कार्यक्रम अध्यक्ष थे । संस्थान के निदेशक जी.एस. राठौर, कार्यक्रम सहायक संजय जोशी ने अतिथियों का पुष्पहारों से स्वागत किया । कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री राठौर ने कहा कि भोजन, पानी एवं हवा के बगैर हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते । प्रकृति की इस सौगात को हम कर्ज समझकर कम से कम जीवन में एक पौधा लगाकर उसे बड़ा वृक्ष बनाकर प्रकृतिके इस कर्ज को चुका सकते है ।
    कार्यक्रम को सरपंच  शंकरलाल ने सम्बोधित करते हुए संस्थान एवं डॉ. खुशालसिंहजी को साधुवाद देते हुए बताया कि समाज सेवा का यह कार्य अनुकरणीय है तथा हम अन्य लोगों को भी पर्यावरण को स्वच्छ रखने हेतु वृक्षारोपण करने हेतु प्रेरित करेंगे । 



     कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज विश्व भर में पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है, सर्वप्रथम सन् १७३० में राजस्थान के खेजडली गाँव की अमृता नामक महिला ने खेजड़ी का वृक्ष कटने से बचाने के लिए अपने प्राणों की आहूती दी, उससे प्रेरित होकर गाँव के सैकड़ों लोगों ने वृक्षों को बचाने हेतु अपने प्राणों की आहूतियाँ दी तब तत्कालीन राजा को जब पता चला तो उन्होनें वृक्ष को काटना मानव हत्या के समान दर्जा देकर वृक्षों की कटाई पर रोक लगाई।
    आपने बताया कि मानव जीवन को सुरक्षित रखना है तब सरकार के साथ-साथ समाज को भी अपनी हिस्सेदारी निभाना पड़ेगी । सरकार पौधा रोपण करे तो समाज उसकी सुरक्षा कर उन्हें बड़ा वृक्ष   बनायें । आपने बताया कि हवा, पानी एवं मिट्टी आज खतरे में है, इन्हें सहेजकर रखना होगा तभी इसकी कमी से बचा जा सकेगा ।
    पौधारोपण के बाद कार्यक्रम में उपस्थित महिलाआें ने संगोष्ठी में भाग लेते हुए कई प्रश्न भी किए जिनके डॉ. पुरोहित ने जवाब दिए । इस अवसर पर महिलाआें को पौधे वितरित किए गए । कार्यक्रम का संचालन संजय जोशी एवं आभार कु. सत्यप्रभा ने किया ।

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