सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

विज्ञान-जगत
सितारों के सफर की तैयारी तेज
संध्या रायचौधरी
    सितारोंतक पहुंचने का मतलब हम अपने सौर मण्डल के पार दूसरे ग्रहों तक पहुंच जाएंगे । हो सकता है इसी प्रयास में कोई दूसरी पृथ्वी या परग्रही जीव ही मिल जाए । मानवता की यह सबसे बड़ी छलांग अभी कम से कम तीन साल दूर    है ।
    वैज्ञानिकों ने सितारों के सफर की तैयारी खास तेज कर ली है और निकट भविष्य में इस क्षेत्र से कई आशाप्रद समाचार सुनने को मिलने वाले हैं, भले ही अभी हम सितारों को न छू सकें पर इसकी ठोस भूमिका आने वाले कुछ बरसों में बनने वाली है । इस क्षेत्र और सितारों तक मानव निर्मित सूक्ष्म उपग्रह भेजने की दिशा में चल रहे शोध, विकास और प्रयोग बताते है कि यदि कोई बड़ी अड़चन न आई और शोध प्रयोगों की रफ्तार ऐसी ही बनी रही तो तीन से चार दशक के भीतर ही हम अपने सौर मण्डल के बाहर के सबसे नजदीकी तारे तक अपनी बात पहुंचा देगे और उसकी खोजर खबर जुटाने की स्थिति में होंगे । 
 सफलता की संभावना
    धरती मानवता का पलना है  पर क्या यह जरूरी है कि हम हमेशा पलने में ही रहेें ? साठ साल पहले जब हमने धरती की कक्षा को पार किया था तो यह आश्चर्यजनक और उत्साह मिश्रित स्मरणीय अवसर    था । चांद को छू लिया और अब मंगल पर हमारे जाने की तैयारी है, यान तो गया । पर इतना सब कुछ होने के बावजूद सितारों को छूने का हमारा सपना अभी तक सपना ही    है । किसी का सशरीर दूसरे सौर मण्डल के किसी तारे पर पहुंचना तो खैर अभी असंभव है । मगर तारों तक मानव निर्मित कोई वस्तु या उपग्रह के बारे में अब लगने लगा है कि भविष्य में सफलता हासिल हो सकती है ।
आशा की किरण सौर ऊर्जा
    सितारों तक जाने में सबसे बड़ी बाधा दूरी है । वॉयेजर १ को १९७७ में लांच किया गया था और कुल ३७ सालों में अपने सौर मण्डल से बाहर निकल सका । सबसे नजदीकी तारा भी हमसे ४.३ प्रकाश वर्ष दूर है । एक प्रकाश वर्ष का अर्थ है एक साल में प्रकाश द्वारा तय की गई दूरी । लगभग तीन लाख प्रति कि.मी. की गति से प्रकाश एक वर्ष में ९५ खरब कि.मी. दूरी नाप लेता है । आज सबसे तेज गति का अंतरिक्ष यान प्रकाश की गति का अधिकतम ०.०६ प्रतिशत ही पा सकता है । ऐसे में हम दस बीस तो क्या सैकड़ों साल में भी वहां पहुंचने में कामयाब नहीं होने वाले । जाहिर है एक यात्रा में कई जीवन लग जाएंगे । ऐसे में दो ही रास्ते है या तो बतौर यान धरती का कोई विशाल हिस्सा भेजा जाए जिसमें लोग जीवनयापन करते बीसियों पीढ़ियों बाद सितारों पर पहुंचे, या फिर इतना सूक्ष्म यान हो कि उसे अत्यधिक तीव्र गति से बेहद कम समय में सितारों तक पहुंचाया जा सके । दूर जाना है तो ज्यादा ईधन चाहिए जो भार बढ़ाकर गति कम कर देगा । ऐसे में आशा की किरण बनी है सौर ऊर्जा ।
मददगार सौर पाल
    शोधार्थी ५० साल से इस सिद्धांत पर काम कर रहे हैं कि सौर ऊर्जा अंतरिक्ष यात्रा के लिए सबसे हलका और मुफीद ईधन हो सकता  है । फोटान या प्रकाश कणों से धक्का मारकर संवेग पाने की अवधारणा नई नहीं है । फोटोनिक्स विभाग के विज्ञानी डायरेक्ट एनर्जी सिस्टम पर काम कर रहे हैं । यह लेसर से आगे की चीज है जो एक तरह से लेसर प्रक्रियाआें का समूह है । वे इससे क्षुद्र ग्रहों को निशान बनाकर इन्हें नष्ट करेंगे ।
    इसी विध्वसंक सोच में अंतरग्रहीय यात्रा की गुत्थी का सुलझाव भी मिला है । प्रकाश के कणों या फोटान में संवेग या गति का गुण होता है । यदि कोई चीज उसके रास्ते में आए या उस पर सवार कर दी जाए तो वह उसे ठेल कर गंतव्य तक ले जा सकता है । ऐसे में सूर्य की रोशनी से सोलर सेल या सौर पाल बनाने में अंतरिक्ष यानों के पास सूर्य प्रकाश के रूप में अनंत ईधन होगा । असीमित ईधन से अंतरिक्ष यान खगोलीय दूरियों को पार करने में सक्षम होगा । सौर पाल के सहारे प्रकाश की गति के आसपास की गति पाई जा सकती है । इस तरह नजदीकी तारे तक हम ५-६ साल में पहुंच जाएंगे । पर जो यान भेजा जाए वह बेहद हल्का हो : पतले से कागज सरीखा । इसके लिए स्पेस चिप की कल्पना की जा सकती है ।
४०,००० वेफर स्पेश शिप   
    वेफरसेट मिनिएचर स्पेश क्राफ्ट यानी स्पेश चिप का आकार तो कुल मिलाकर १० सेंटीमीटर का ही होगा और कुल भार एक ग्राम से अधिक नहीं होगा पर इसमें एक सामान्य स्मार्टफोन के बराबर विशेषताएं होगी । कैमरे के साथ सूचना संचार की तमाम खुबियां और कई तरह के सेंसर होंगे । ऊर्जा तो उसे सोलर सेल से मिल ही रही   होगी । किसी रेगिस्तानी और शुष्क तथा ऊंचे स्थान से इसे एक अरब वॉट की लेसर समूह के क्षमता वाले केन्द्र से १०० मिगाबाइट की ताकत से आकाश में प्रक्षेपित किया   जाएगा । जल्द ही अपने सौर पाल के सहारे प्रकाश की बीस फीसदी गति पा लेंगे । तमाम प्रयोगों के बाद पाया गया कि यदि एक ग्राम का स्पेश चिप हो और उसे एक मीटर के सौर पाल से भेजा जाए तो वह चौथाई प्रकाश गति से सफर करता हुआ आधे घंटे में मंगल पहुुंच जाएगा और २० साल में सबसे नजदीक तारे अल्फा संटौरी तक । यही नहीं इस तरह के लेसर समूह वाले विशाल सौर पाल से १०० टन का स्पेस क्राफ्ट भी भेजा जा सकता है पर उसे अल्फा संटौरी तक पहुंचने में २२,००० साल लगेंगे ।
    इसलिए अभी यह सोचना फिजूल है । फिलहाल अगले दो दशक के भीतर तैयार होने वाला उपग्रह नैनो ही सही पर एक बार प्रयोग सफल होने के बाद हर साल हम ऐसे ४०,००० वेफर स्पेश शिप लांच कर सकते हैं, जिनसे अलग-अलग तरह की सूचनाएं हासिल की जा सकती   है ।
२०५० तक संदेशों की उम्मीद
    यूरी गगरिन जिस साल अंतरिक्ष में पहुंचे थे यूरी मिलनर उसी साल पैदा हुए थे । मिलनर का नाम यूरी उसी खुशी में रखा गया था । आज यूरी भी सितारे छूने की बात कह रहे है । रूसी धनपति यूरी मिलनर, भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग और  फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने मिलकर स्टार शॉट कार्यक्रम लांच किया है । उद्देश्य है सितारों तक पहुंचना । इस परियोजना में मिलनर ने शुरूआती १० करोड़ डॉलर लगा दिए हैं । मिलनर और उनका इंस्टीट्यूट नोदक या ईधन के लिए एंटी मैटर पर भी दांव लगाने जा रहे हैं ।
    भौतिकविदों का कहना है कि तकनीकी तौर पर संभव है और बहुत सस्ता पड़ेगा । हम निकट भविष्य में ही तारे पर स्पेश शिप और स्पेश चिप भेजने जा रहे हैं । मिलनर के विचार में वाकई  दम है और यह विश्वसनीय भी है । प्रकाश कणों के सहारे सितारों तक पहुंचना भले ही अभी अवधारणा के स्तर से जस ही आगे हो पर भौतिकी के सिद्धांत इसका सर्मथन करते हैं ।
तकनीकी चुनौतियां
    फिलहाल इन व्यावहारिक समस्याआें का कोई जवाब अभी नहीं है कि इतने छोटे से स्पेश क्राफ्ट को अंतरग्रहीय धूल से टकरा कर खत्म होने से बचाने के लिए किया जाएगा या फिर इसकी गति कम करने या यान को रोकने की क्या तकनीक    है ? इस परियोजना के लिए यूरी मिलनर के निवेश वाले एक      अरब डॉलर तो शोध में ही स्वाहा   हो  जाएंगे । फिर आगे क्या      होगा ?
    इस रास्ते में अभी बहुत सी तकनीकी चुनौतियां हैं, विकास के तमाम काम होने है । उधर वैज्ञानिक इसका परिणाम अपने जीवन काल में ही देखना चाहते हैं । पर सौर पाल के बारे में शोध और उसके विकास और वेफर सेट के निर्माण के लिए यदि एक दशक दिया जाए तथा सबसे नजदीकी सितारे तक पहुंचने का समय इसमें और जोड़ दे तो यह समय तीस साल बैठता है । इसका मतलब यदि हम सही दिशा में लगातार सफलता पाते हैं तो २०५० से पहले सितारों से संदेशा मिलने की उम्मीद कर सकते है ।

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