गुरुवार, 31 मई 2007

रचनात्मक पत्रकारिता की आधी शताब्दी

संपादकीय

रचनात्मक पत्रकारिता की आधी शताब्दी

पिछले दिनों हिंदी की समाचार विचार सेवा सर्वोदय प्रेस सर्विस (सप्रेस) ने अपनी सेवा के ४७ वर्ष पूर्ण कर ४८ वें वर्ष में प्रवेश किया। हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में स्थापित इस फीचर सेवा से १४ राज्यों के २५० से अधिक दैनिक, नियतकालिक तथा रचनात्मक संस्थाएं, शैक्षिक संस्थाएं एवं विभिन्न जन संगठन जुड़े हुए है।

सप्रेस द्वारा हिंदी भाषी अखबारों के लिए राष्ट्रीय समस्याआें, रचनात्मक कार्योंा, ग्रामीण विकास, पर्यावरण और विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, जनहित के मुद्दों और गांधी विचारों आदि विषयों से जुड़े हजारों आलेखों व समाचारों का प्रकाशन किया जा चुका है। विगत् ४७ वर्षों में सप्रेस द्वारा सैकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय लेखकों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताआें और विचारकों के लगभग ६ हजार से अधिक आलेख प्रकाशित हुए है।

पिछले दो वर्षो से पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर सप्रेस ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान और पर्यावरण केन्द्र के सहयोग से हिंदी में डाउन टू अर्थ फीचर्स पाक्षिक विशेष फीचर सेवा भी आरंभ की है। इसके अलावा सप्रेस द्वारा विगत् १२ वर्षो से मलेशिया स्थित थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क संस्था के सहयोग से भी पर्यावरण-विकास व सामाजिक मुद्दों पर लेखों का पाक्षिक प्रकाशन किया जा रहा है।

ज्ञातव्य है कि सन् १९६० से प्रारंभ हुई सप्रेस समाचार विचार सेवा का कार्यभार सर्वोदयी विचारक स्व. महेन्द्रकुमार ने उठाया था और सन् २००३ में अपने निधन तक उन्होंने ४३ वर्षो तक सप्रेस को मानद संपादक के रूप में अपनी सेवाएं दी। उनके निधन के बाद से उनके मित्रों के सहयोग से अब तक सप्रेस सेवा नियमित रूप से जारी है।

युवा पीढ़ी में गांधी विचार और सर्वोदय दर्शन के प्रचार का जो कार्य सप्रेस के माध्यम से महेन्द्र भाई ने चार दशक तक लगातार किया, उसकी देश में दूसरी कोई मिसाल नहीं है। रचनात्मक आंदोलनों और समाज परिवर्तन के कार्यक्रमों के लिये सप्रेस एक मंच बना जिससे सरकार और समाज के सामने सामान्य जन की पीड़ा और उसकी वाणी मुखर हुई। अपनी आधी शताब्दी की यात्रा में सप्रेस ने आंचलिक पत्रों एवं पत्रकारों को नयी शक्ति और नया सामर्थ्य देने के साथ ही ग्रामीण और वनवासी अंचलों की समस्याआें को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।

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