मंगलवार, 26 जून 2007

१५ पर्यावरण समाचार

१५ पर्यावरण समाचार
म.प्र. में बाघ संरक्षण की योजना बनेगी
टाइगर स्टेट म.प्र. में बाघों की कमी बताने वाला आंकड़ा सामने आते ही वन विभाग ने डेमेज कंट्रोल के प्रयास शुरू कर दिए हैं । अब प्रदेश में टाइगर कंजर्वेशन प्लान तैयार करने और वनग्रामों को हटाने के लिए आकर्षक पैकेज बनाने की तैयारी शुरू हो गई है ।
गौरतलब होगा कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून ने वन्य प्राणियों की गणना रिपोर्ट जारी करते हुए म.प्र. में बाघों के रहवास के संंबंध में एक रिपोर्ट जारी की है । इस मौके पर वन विभाग के तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे । इस रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण पिछले दिनों प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीबी गंगोपाध्याय ने वनमंत्री हिम्मत कोठारी के समक्ष किया ।
इस रिपोर्ट में मप्र में बाघों के घटते रहवास स्थल तथ वनों पर जैविक दबाव पर चिंता जारिह की गई है । इधर वनमंत्री श्री कोठारी ने इस सबके मद्देनजर बाघ संरक्षण की नई योजना बनाने के निर्देश दिए हैं, वहीं राष्ट्रीय उद्यानों को जोड़ने के लिए कॉरिडोर क्षेत्र के वनों की स्थिति में सुधार के निर्देश दिए है ं ।
इसके अलावा ऐसे सभी गांव भी चिहि्न्त किए जाएँगें, जिनकी दशा ठीक नहंी है । यहां सरकारी योजना से जीवनस्तर सुधारने के तमाम प्रयास शुरू किए जाएँगें। संरक्षित वन क्षेत्रों से वनग्रामों को विस्थापित करने के लिए आकर्ष पैकेज भी किया जाएगा ।
इसके लिए केंद्र सरकार को योजना भेजकर मदद मांगी जाएगी । उल्लेखनीय होगा कि हाल की गणना रिपोर्ट में बाघों की संख्या सिर्फ २६५ बताई गई है और टाइगर स्टेट कहलाने वाले म.प्र. के लिए यह गहरा झटका है ।
मिजोरम का तापमान बढ़ रहा है
पिछले पंद्रह वर्ष से ग्लोबल वार्मिंग की मार झेल रहे मिजोरम का मनमोहक प्राकृतिक वातावरण जल्द ही अतीत बन सकता है ।
राज्य के पर्यावरण और वनमंत्री आर. लालथंगिलाना ने अधिकारिक रिकार्डोंा का हवाला देते हुए बताया कि १५ वर्ष में मिजोरम में तापमान में औसतन २.७५ डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है जबकि विश्व में औसतन ०.६ से २.५ डिग्री सेल्सियस तक ही तापमान में बढ़ोतरी हुई है ।
श्री लालथंगिलाना ने पिछले दिनों विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में औसत तापमान २३.८८ डिग्री सेल्सियस रहता था । हालांकि २००० में यह २५.६४ डिग्री और २००५ में २६.६३ डिग्री सेल्सियस पहुँच गया ।
नेपाल में कई नई प्रजातियाँ मिलीं
नेपाल में पक्षियों की २०, स्तनधारियों की ४ तथा फूलदार पौधों की ७०० से ज्यादा नई प्रजातियों का पता चला है ।
पक्षियों की नई प्रजातियों में मूँछों वाली पुदकी, वृहद श्वेत अग्रभाग वाला हंस, चितकबरी तूती, पलास बंटिंग, लाल कंठ वाली मुर्गाबी, काला पीला ग्रोस्बीक और झब्बेदार पूंछ वाला व्हीदियर शामिल है । स्तनधारियों की प्रजातियों में भालू, विडाल , भारतीय नेवला, हिमालयी शैलमूषक और तिब्बती चिंकारा शामिल है । देश में संरक्षित वन क्षेत्र में पिछले एक दशक में करीब ९००० वर्ग किलोमीटर की वृद़्धि हुई है ।
नेपाल में २९ प्रतिशत भू-भाग संरक्षित वन क्षेत्र है । नेपाल में नौ राष्ट्रीय उद्यान , तीन वन्य जीव अभ्यारण्य, तीन संरक्षण क्षेत्र तथा एक शिकार क्षेत्र है । नेपाल में बर्फ से ढँकी हिमालय की चोटियों से लेकर तराई के मैदानी भाग तक लगभग सभी तरह की जलवायु पाई जाती है । देश में अब तक ८५० से भी अधिक पक्षियों की प्रजातियों की पहचान की जा चुकी है । यह खोज वैज्ञानिकों के लिए विशेष महत्व रखती है ।
कीटनाशकों से मस्तिष्क कैंसर का खतरा
कीडों- मकोड़ों से बचने के लिए खेतों और घर के बगीचे में डाले जाने वाले कीटनाशक फसल और पेड़- पौधों की रक्षा तो करते हैं, लेकिन इनसे मस्तिष्क कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है । हाल ही में किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है । शोधकर्ताआें ने पाया कि खेतों में काम करने वाले या किसी न किसी रूप में कीटनाशकों के संपर्क में आए व्यक्तियों में मस्तिष्क कैंसर की संभावना अधिक पाई जाती है ।
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