गुरुवार, 9 जुलाई 2009

८ लघुकथा

फूलों की बगिया
-श्रीमती नीलम राकेश
रूपा अपने गुलाब के पौधे पर खिले सुन्दर गुलाब के फूलों को मुग्ध नजरों से देख रही थी । अनजाने ही उसका मन अतीत की ओर चला गया । इस साल रूपा पहली बार गांव गई थी। दादी के पास गांव जा कर वहां की हरियाली ने उसके मन को ऐसा छुआ कि शहर में जन्मी चौदह साल की रूपा को अचानक अपना शहर , अपनी कॉलोनी बहुत वीरान और सूखे लगने लगे । गांव से लौटी रूपा बहुत बेचैन रहती । तभी बरसात शुरू हो गई । चारों ओर जंगली घास निकलने लगी । एक दिन रूपा ने अपनी कॉलोनी के सभी बच्चें को एकत्र करके अपनी बात उन्हें समझाई `` साथियों मैं इन छुटि्टयों में गांव गई थी और वहंा मैने देखा चारों ओर खूब पेड़ पौधे और हरियाली होेने के कारण, वहां का वातावरण बहुत शुद्घ रहता है । इसीलिये वहां लोग कम बीमार पड़ते हैं । क्यों ना हम सभी कॉलोनी के बीच इस खाली मैदान को एक सुन्दर पार्क बना लें ? अपनी कॉलोनी के फूलों की सुगन्ध और शुद्घ हवा से भर दें ।'' अमन चहक कर बोला `` हाँ दीदी ! बड़ा मजा आयेगा। हम सब मिलकर पौधे लगायेंगें ।'' बाकी बच्चें को भी बात समझ में आ गई थी । सब बच्च्े वर्मा आंटी के माली के पास गये । बच्चें के उत्साह को देखकर माली काका उनका साथ देने को तैयार हो गये । कॉलोनी में बीस बच्च्े थे । सबने मिलकर दस क्यारियां बनाई । दो -दो बच्चें की टोलियों ने एक-एक क्यारी की जिम्मेदारी ले ली । अपनी गुल्लक के पैसों से पौघे मंगाये गये । माली काका की मदद से उन्हें लगाया गया । सब बच्च्े पूरी लगन से उनकी देखभाल में जुट गये। बच्चों के उत्साह को देख कर माली काका खुशी से उनके साथ जुड़ गये । बच्चें के उत्साह से उनके माता-पिता भी प्रभावित हुए ।और उनके कहने पर उनके माता पिता ने भी अपने - अपने घरों के आगे दो-दो पेड़ लगाये । अपने हाथों लगाये पौधों का बढ़ना , उन पर नई पत्तियों का आना, कलियेां का खिलना,नन्हें बच्चें को रोमांचित कर जाता । साथ ही साथ एक लक्ष्य के प्रति समर्पित हो कर साथ - ासथ काम करने से बच्चें कीे अन्दर एकता की भावना पैदा हुई और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा । अचानक रूपा अपने कन्धे पर किसी का स्पर्श से चौंक कर वर्तमान में लौट आई । वर्मा आंटी खड़ी मुस्कुरा रही थीं , बोली `` रूपा यहंा खड़ी क्या देख रही हो ? चलो पार्क में सब लोग तुम्हारी प्रतिक्षा कर रहे हैं । आज का यह बसन्त पंचमी का पर्व हम सब बच्चें की इस फूलों की बगिया में मनायेंगें । आज हम सब कॉलोनी के बड़े सदस्य तुम्हारी इस बाल टोली को सम्मानित करेंगें। तुम बच्चें ने वह कार्य कर दिखाया है , जिसे हम बड़ों ने सोचा भी नहीं था। आंटी के साथ पार्क की ओर आती रूपा ने देखा रंगबिरंगे परिधानों में सजे लोग और क्यारियों में झूमते सतरंगे फूल उनकी बगिया की शोभा को दुगुना कर रहे थे । रूपा के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई । ***
घटती आबादी से चिंतित है जापान
जापान की जनसंख्या में लगातार हो रही कमी देश के लिए चिंता का विषय बन गई है । स्वास्थ्य विभाग के एक रिपार्ट के अनुसार जापान में लोगों की प्रजनन दर में वृद्धि हुई है लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या घट रही है । रिपोर्ट में बताया गया है कि जापान मंे मरने वालों की संख्या जन्म लेने वालों की संख्या से ज्यादा हैं। वहां जितने बच्च्े जन्म लेते हैं उसकी तुलना में ५१,३०० लोग ज्यादा मरते है । इस समय जापान की जनसंख्या १२ करोड़ ७६ लाख है और २०१५ तक एक-चौथाई से ज्यादा लोग ६५ वर्ष से ज्यादा उर्म के हो जांएगें। यदि जनसंख्या इसी दर से घटती रही तो अगले ५० वर्षो में देश की एक तिहाई जनसंख्या खत्म हो जाएगी । रिपोर्ट में बताया गया है कि २००८ में जापान की प्रजनन दर बढ़कर १.३७ हो गई है जो कि पिछले साल की तुलना में ०.०३ प्रतिशत अधिक है । लेकिन यह आवश्यकता से काफी कम है यदि जापान अपनी वर्तमान जनसंख्या को बनाए रखना चाहता है तो भी प्रजनन दर २.०७ होनी चाहिए । गौरतलब है कि विकसित देशों में जापान की प्रजनन दर सबसे कम है। संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रजनन दर २.१२ है जबकि ब्रिटेन में यह दर १.८४ है ।

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