कविता
वन है जीवन का आधार
डॉ. गार्गीशरण मिश्र मराल
वन से वर्षा पैदावार, वन है जीवन का आधार ।
दवा, वनोपज, छाया, काठ,
कंद, मूल, फल का वरदान,
रोके भूमि क्षरण विस्तार
सूखे का भी करे निदान,
बाढ़, प्रदूषण को दे रोक, प्राणवायु का दे उपहार ।
उर्वर मिट्टी का दे दान,
मौसम का भी करे विधान,
पशु पक्षी को जीवनदान,
सभी प्राणियों का यह प्राण,
वन प्राणी वन का श्रृंगार मत करो इनका संहार
यह धरती का धानी चीर,
वायु शुद्धि का यंत्र विशेष,
प्रकृति सुंदरी का श्रृंगार,
प्रकृति संतुलन मंत्र अशेष,
वन से जन, जन से वन रक्षित यह पृथ्वी का जीवन सार ।
वन है जीवन का आधार
डॉ. गार्गीशरण मिश्र मराल
वन से वर्षा पैदावार, वन है जीवन का आधार ।
दवा, वनोपज, छाया, काठ,
कंद, मूल, फल का वरदान,
रोके भूमि क्षरण विस्तार
सूखे का भी करे निदान,
बाढ़, प्रदूषण को दे रोक, प्राणवायु का दे उपहार ।
उर्वर मिट्टी का दे दान,
मौसम का भी करे विधान,
पशु पक्षी को जीवनदान,
सभी प्राणियों का यह प्राण,
वन प्राणी वन का श्रृंगार मत करो इनका संहार
यह धरती का धानी चीर,
वायु शुद्धि का यंत्र विशेष,
प्रकृति सुंदरी का श्रृंगार,
प्रकृति संतुलन मंत्र अशेष,
वन से जन, जन से वन रक्षित यह पृथ्वी का जीवन सार ।
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