शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

प्रसंगवश
पर्याप्त् खाघान्न के बावजूद विश्व में बढ़ती भुखमरी 
हाल में राष्ट्र संघ की रिपोर्ट में बताया गया है कि खाद्यान्न की कमी न होने के बावजूद भुखमरी फिर से बढ़ रही है । राष्ट्र संघ के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार विश्व स्तर पर लगभग ८१.५ करोड़ लोग यानी विश्व आबादी का ११ प्रतिशत हिस्सा भुखमरी का शिकार है । १५ वर्षो में पहली बार भुखमरी में यह वृद्धि देखी गई है । 
वैश्विक समुदाय की व्यापक पहल के कारण विश्व में सन १९९० और २०१५ के बीच कुपोषित लोगों की संख्या आधी रह गई थी । सन २०१५ में राष्ट्र संघ सदस्यों ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों को अपनाया था जिनका उद्देश्य २०३० तक भुखमरी को खत्म कर देना था । 
लगातार समाचारों में आने वाली खबरें गवाह है कि पिछले कुछ वर्षो से हमारा ग्रह प्राकृतिक आपदाआें से पटा रहा है जिसके कारण शरणार्थियों की संख्या और हिंसा बढ़ी है और जीवन दूभर होने लगा है । ये आपदाएं गरीबों, शरणार्थियों और युद्ध ग्रस्त क्षेत्रों के लोगों की भोजन तक पहुंच को मुश्किल बना देती है । छोटे किसानों और पशु पालकों को अपनी फसलों, पशुआें और जमीन के बारे मे निर्णय करने के लिए जरूरी सेवाएं बाजार और ऋण आसानी से उपलब्ध नहीं है । सरकारी और वैश्विक विकल्प सीमित है और जातीय, लिंग और शैक्षिक बाधाएं इनके आड़े आती हैं । नतीजा यह होता है कि कई बार संकट की स्थिति में वे सुरक्षित या टिकाऊ खाद्य उत्पादन नहीं कर पाते है । 
पूरे विश्व में सामाजिक और राजनैतिक उथल-पुथल चरम सीमा पर है । सन् २०१० से राज्यों के बीच संघर्ष में ६० प्रतिशत वृद्धि हुई है और आंतरिक सशस्त्र संघर्ष में १२५ प्रतिशत की वृद्धि हुई है । रिपोर्ट के अनुसार भोजन की दृष्टि से असुरक्षित ५० प्रतिशत लोग हिंसाग्रस्त इलाकों में रहते हैं । इसी प्रकार से तीन चौथाई कुपोषित बच्च्े संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में रहते है । और इन्हीं क्षेत्रों में लगातार तूफान, सूखा और बाढ़ की स्थिति भी देखी गई है जिसका बड़ा कारण वैश्विक जलवायु परिवर्तन है । ऐसी परिस्थितियों से पार पाने के लिए खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना होगा । 

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