पर्यावरण समाचार
म.प्र. को मिल सकता है टाइगर स्टेट का दर्जा
मध्यप्रदेश को एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिल सकता है । वन विभाग की बाघों को लेकर ताजी गणना में प्रदेश में दो साल से संरक्षित क्षेत्रों में ८९ बाघ बढ़ने की जानकारी सामने आई है । अब प्रदेश में एक अनुमान के तहत कुल बाघों की संख्या ३९७ हो गई है । वन विभाग ने बाघों की गणना के लिए ३१ जनवरी से पांच फरवरी तक एक विशेष अभियान चलाया था । इस अभियान के प्रारंभिक आंकड़े काफी उत्साहवर्धक नजर आ रहे है । प्रदेश के अभयारण्य और टाइगर रिजर्व से बाघों को लेकर पिछले दो सालों में लगातार अच्छी खबर सुनने को मिल रही है ।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले दो सालों में ५१ बाघ ही बढ़े हैं । दो साल पहले हुई गणना मे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के ३८ बाघों को शामिल नहीं किया गया था । इस वजह से प्रदेश में बाघों की ताजा गणना के बाद इन ३८ बाघों सहित कुल ८९ बाघों को शामिल किया गया है । दरअसल २० से २७ जनवरी २०१४ के बीच हुई गणना में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के ३८ बाघों सहित कुल ८९ बाघों को शामिल किया गया है । दरअसल २० से २७ जनवरी २०१४ के बीच हुई गणना में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व े ३८ बाघ भी शामिल थे, लेकिन नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने वर्ष २०१५ की अपनी रिपोर्ट में इन बाघों को शामिल नहीं किया था ।
बाघों की गिनती के लिए इंप्रेशन पेड और कैमरा टिप पद्धति को अपनाया गया । इसके तहत ४५ दिन तक टिप कैमेर लगाए गए है । मार्च तक इन कैमरों की मदद से बाघों की तस्वीरें ली जाएगी । इन तस्वीरों का मिलान सॉफ्टवेयर से किया जायगा । ये सॉफ्टवेयर पीठ की धारियों और सिर पर बने चिन्हों से बाघ की पहचान करता है । इस सॉफ्टवेयर के आधार पर फाइनल रिपोर्ट तैयार होगी, पूरी रिपोर्ट मई-जून में आएगी, तब बाघों की संख्या का पता चलेगा ।
वर्ष २०१४ में बाघों की गणना के बाद मध्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छीन गया था । कर्नाटक में ४०६, उत्तराखंड में ३४० व म.प्र. में ३०८ बाघ थे ।
म.प्र. को मिल सकता है टाइगर स्टेट का दर्जा
मध्यप्रदेश को एक बार फिर टाइगर स्टेट का दर्जा मिल सकता है । वन विभाग की बाघों को लेकर ताजी गणना में प्रदेश में दो साल से संरक्षित क्षेत्रों में ८९ बाघ बढ़ने की जानकारी सामने आई है । अब प्रदेश में एक अनुमान के तहत कुल बाघों की संख्या ३९७ हो गई है । वन विभाग ने बाघों की गणना के लिए ३१ जनवरी से पांच फरवरी तक एक विशेष अभियान चलाया था । इस अभियान के प्रारंभिक आंकड़े काफी उत्साहवर्धक नजर आ रहे है । प्रदेश के अभयारण्य और टाइगर रिजर्व से बाघों को लेकर पिछले दो सालों में लगातार अच्छी खबर सुनने को मिल रही है ।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले दो सालों में ५१ बाघ ही बढ़े हैं । दो साल पहले हुई गणना मे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के ३८ बाघों को शामिल नहीं किया गया था । इस वजह से प्रदेश में बाघों की ताजा गणना के बाद इन ३८ बाघों सहित कुल ८९ बाघों को शामिल किया गया है । दरअसल २० से २७ जनवरी २०१४ के बीच हुई गणना में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के ३८ बाघों सहित कुल ८९ बाघों को शामिल किया गया है । दरअसल २० से २७ जनवरी २०१४ के बीच हुई गणना में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व े ३८ बाघ भी शामिल थे, लेकिन नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने वर्ष २०१५ की अपनी रिपोर्ट में इन बाघों को शामिल नहीं किया था ।
बाघों की गिनती के लिए इंप्रेशन पेड और कैमरा टिप पद्धति को अपनाया गया । इसके तहत ४५ दिन तक टिप कैमेर लगाए गए है । मार्च तक इन कैमरों की मदद से बाघों की तस्वीरें ली जाएगी । इन तस्वीरों का मिलान सॉफ्टवेयर से किया जायगा । ये सॉफ्टवेयर पीठ की धारियों और सिर पर बने चिन्हों से बाघ की पहचान करता है । इस सॉफ्टवेयर के आधार पर फाइनल रिपोर्ट तैयार होगी, पूरी रिपोर्ट मई-जून में आएगी, तब बाघों की संख्या का पता चलेगा ।
वर्ष २०१४ में बाघों की गणना के बाद मध्यप्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छीन गया था । कर्नाटक में ४०६, उत्तराखंड में ३४० व म.प्र. में ३०८ बाघ थे ।
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