रविवार, 16 अप्रैल 2017

सम्पादकीय
नर्मदा को भी मिले जीवित इंसान का दर्जा
     गंगा और यमुना नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा दे चुकी उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिछले दिनों एक और ऐतिहासिक फैसला सुनाया । उसने गंगोत्री-यमुनोत्री व अन्य ग्लेशियरों, नदी-नालों, बरसाती नाले, तालाब, वायु, जंगल, घास के मैदान और झरनों को भी जीवित व्यक्ति का दर्जा प्रदान करते हुए मौलिक अधिकार दे दिया । हाइकोर्ट ने कहा कि जो कोई भी इन्हें नुकसान पहुंचाता है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए ।
    मध्यप्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली और मां का दर्जा प्राप्त् नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए भी ऐसे ही पहल की मांग उठने लगी है । संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद नदी में कूड़ा फेंकने या उसमें अतिक्रमण होने पर होने पर उसके घोषित कानूनी अभिभावक नदी की ओर से न्यायालय में मुकदमा कर सकते है । यदि नदी के पानी से किसी का खेत बह गया तो वह व्यक्ति नदी के खिलाफ भी मुकदमा दर्जा करा सकेगा ।
    मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी का देवी के रूप में पूजते है । नर्मदा नदी अनुपपूर जिले के अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलकर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर करीब १३१२ किलोमीटर का सफर तय करते हुए भरूच के आगे खंभात की खाड़ी में विलीन हो जाती है । मध्यप्रदेश में नर्मदा का प्रवाह क्षेत्र १०७७ किमी है, जो इसकी कुल लंबाई का ८२.२४ प्रतिशत है ।
    प्रदेश के १५ जिलों से होकर बहने वाली नर्मदा अपनी सहायक नदियों सहित प्रदेश के बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई एवं पेयजल का बारहमासी स्त्रोत है । नर्मदा नदी का कृषि, पर्यटन तथा उघोगों के विकास मेंमहत्वपूर्ण योगदान है । नर्मदा के तट पर ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, जो प्रदेश की आय का महत्वपूर्ण स्त्रोत है । इस प्रकार म्रध्यप्रदेश के जनजीवन में नर्मदा का सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है ।

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