रविवार, 16 अप्रैल 2017

पर्यावरण परिक्रमा
गंगा और यमुना को मिले इंसानों के अधिकार
    पिछले दिनों उच्च् न्यायालय ने गंगा और यमुना नदी को जीवित मानते हुए केन्द्र सरकार को इन्हें इंसानों की तरह अधिकार देने के निर्देश दिए है । अदालत ने पवित्र गंगा नदी को देश की जीवित इकाई के रूप में पहचान दी है ।
    कोर्ट ने केन्द्र से जल्द गंगा प्रबंधन बोर्ड बनाने के आदेश दिए   है । वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खण्डपीठ में हरिद्वार निवासी मो. सलीम की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया ।
    गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही न्यूजीलैंड ने उत्तरी द्वीप में बहने वाली वांगानुई नदी को एक जीवित संस्था के रूप में मान्यता देने वाले बिल पारित किया है । इसके बाद इस नदी को जीवित इकाई के रूप में मान्यता प्राप्त् हो गई है और उसे इंसानों के समान अधिकार मिल गए है ।
    शहरीकरण और बढ़ती आबादी के चलते पिछले दिनों दुनियाभर की नदियों के अस्तित्व पर खतरों को देखते हुए न्यूजीलैड ने अभूतपूर्व पहल की है । दुनिया में पहली बार इस देश ने अपनी एक नदी वांगानुई को इंसान का दर्जा दिया है। इसके तहत उसके पास इंसानी जैसे अधिकार होगें ।
    नदी को इंसान का दर्जा मिलने से भविष्य में वह अपने अधिकारों को संरक्षित कर सकती है। यदि कोई उसे प्रदूषित करता, उसके बेसिन पर अतिक्रमण करता, किसी अन्य प्रकार से नुकसान पहुंचाता    है तो वह उसे कोर्ट में घसीट सकती है । माओरो जनजाति द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि उसकी ओर से मुकदमा लड़ेगे ।
भारत में कम हुई खुशहाली, चार पायदान नीचे पहुंचा
    दुनिया का सबसे खुशहाल देश नॉर्वे है, जबकि १५५ देशों में भारत १२२ वें स्थान पर है । इस रैकिंग के बाद हमारा देश खुशहाली के मामले में चीन, पाकिस्तान और नेपाल से भी पिछड़ गया है । पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय खुशहाली दिवस पर जारी यह रिपोर्ट २०१२ के बाद से यह पांचवी रिपोर्ट है । वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट २०१७ में सबसे निचले पायदान पर सीरिया और यमन है । यानी इन देशों में सबसे कम खुशहाली है । अमेरिका की रैकिंग में गिरावट आई है । वह इस सूची में १४वें स्थान पर रहा । इसकी वजह असमानता व भ्रष्टाचार का माना जा रहा है ।
    वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट २०१७ तैयार करने वाले सस्टेनलेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क (एसडीएसएन) के डायरेक्टर जैफरी एस.के. मुताबिक, खुशहाल देश वह है जहां खुशहाली, समाज में आपसी भरोसा, लोगों के बीच बराबरी और सरकार पर भरोसा ज्यादा है और इन सभी के बीच अच्छा संतुलना है । इस सालाना रिपोर्ट का मकसद सरकारों और सिविल सोसायटी को खुशहाली के बेहतर तरीके बताना है ।
    इन छह पैमानों पर नापी जाती है खुशहाली - प्रतिव्यक्ति जीडीपी, सामाजिक प्रोत्साहन, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, जीवन चुनने की आजादी, उदारता और भ्रष्टाचार ।
कमजोर हो सकता है इस वर्ष मानसून
    स्काइमेट के मुताबिक २०१७ में एक बार दक्षिण पश्चिम मानसून कमजोर रहने वाला है । मौसम एजेंसी के मुताबिक २०१७ में भारत के लिए यह खास मानसून लंबी अवधि के औसत का ९५ फीसदी रह सकता है । मौसम विभाग के मुताबिक कमजोर मानसून एक बार फिर देश में खरीफ बुआई के लिए बुरी खबर बन कर आ सकता है । देश में जून से सितम्बर तक होने वाली बारिश खरीफ फसल के लिए अहम है । देश में ६० फीसदी से अधिक लोग कृषि पर निर्भर है और देश के अधिकांश भाग मेंखरीफ फसल पूरी तरह से दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भर है ।
    मौसम एजेंसी के मुताबिक कमजोर मानसून के लिए इस बार अल नीनो जिम्मेदार है । एक बार फिर से अल-नीनो डराने लगा है । प्रशांत महासागर से मिल रहे संकेत को देखते हुए लग रहा है कि एक बार अल नीनो का खतरा बढ़ रहा   है । ऑस्ट्रेलिया मौसम विभाग के मुताबिक अल-नीनो बढ़ने से एशिया में सूखा और दक्षिण अमेरिका में भारी बारिश की संभावना बन रही   है । एजेंसी के मुताबिक कम से कम ६० फीसदी अल-नीनो की संभावना है । अल-नीनो का असर जुलाई से देखनो को मिल सकता है । लिहाजा मौसम एजेंसी की मानें तो २०१६ में अच्छे मानसून से मजबूत खरीफ फसल के बाद एक बार फिर २०१७ में खराब मानसून की आशंका है ।
    स्काइमेट के मानसून पूर्वानुमान में कहा गया है कि जून में औसत के मुकाबले १०२ प्रतिशत बारिश हो सकती है । ७० प्रतिशत संभावना सामान्य बारिश की है । २० प्रतिशत संभावना सामान्य से अधिक बारिश की है । १० प्रतिशत संभावना सामान्य से कम बारिश की है । जुलाई में औसत के मुकाबले ९४ प्रतिशत बारिश हो सकती है । ६० प्रतिशत संभावना सामान्य बारिश की है । १० प्रतिशत संभावना सामान्य से अधिक बारिश की है । ३० प्रतिशत संभावना सामान्य से कम बारिश की है ।
    अगस्त में औसत के मुकाबले ९३ प्रतिशत बारिश हो सकती है । ६० प्रतिशत संभावना सामान्य बारिश की है । ३० प्रतिशत संभावना सामान्य से कम बारिश की है ।
    स्कायमेट के मुताबिक मध्य भारत मेंे मानसून जून के दूसरे हफ्ते   तक पहुंचता है । वहीं २१-२४ जून तक उत्तर भारत में मानसून पहूंचने की संभावना रहती है । मौसम विशेषज्ञ के मुताबिक इस बार मानसून ५६ फीसदी तक कम रह सकता है ऐसे में खरीफ फसलों की कीमतों में तेजी आ सकती है ।
सबसे कम पढ़ी-लिखी महिलाआें वाले राज्य
    मध्यप्रदेश को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक ओर खराब तस्वीर सामने आई है जो महिला साक्षरता को लेकर है । यहां ४० फीसदी से ज्यादा महिलाएं अभी भी अनपढ़ है । यानी सिर्फ ५९.२४ फीसदी महिलाएं ही शिक्षित है । यह स्थिति तब है जब महिला साक्षरता का राष्ट्रीय औसत करीब ६५ फीसदी है । यानी राष्ट्रीय औसत से भी मध्यप्रदेश करीब छह फीसदी नीचे है ।
    महिला साक्षरता को लेकर यह खुलासा मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा संसदीय समिति को उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट में सामने आया है। इसमें मध्यप्रदेश सहित देश के दस राज्यों की महिला साक्षरता दर को काफी खराब माना गया है । इनमें मध्यप्रदेश आठवे स्थान पर है, जहां यह दर करीब ५१ फीसदी है । यानी ४९ फीसदी महिलाएं अभी भी अनपढ़ है । रिपोर्ट में दूसरे स्थान पर राजस्थान है, जहां करीब ४८ फीसदी महिलाएं अशिक्षित है । तीसरे स्थान पर झारखंड है, जहां करीब ४५ फीसदी महिलाएं अनपढ़ है । मालूम हो, महिला साक्षरता पर यह रिपोर्ट वर्ष २०११ की जनगणना के आधार पर तैयार की गई है ।
नरवाई जलाने से खत्म होती हैंभूमि की उर्वरा क्षमता
प्रतिवर्ष रबी कटाई के बाद किसान खेतों में नरवाई जला देते   हैं । इससे होने वाले नुकसान में मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व एवं मिट्टी की उर्वरा क्षमता को खत्म हो जाना है । साथ ही इससे जमीन बंजर हो रही   है । नरवाई जलाने से आसपास के वातावरण का ताप बढ़ने लगता है । इससे विभिन्न प्रकार की गैसे निकलती है जो कि ग्लोबल वार्मिग के लिए उत्तरदायी है । इसका परिणाम वर्तमान मेंहम जलवायु परिवर्तन के रूप में देख रहे है । साथ ही पशुआें को प्राप्त् होने वाला भूसा भी नहीं बचता है ।
    नरवाई जलाने से मिट्टी में स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाले कार्बनिक पदार्थ में कमी आ जाती है । ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि फसल कटाई के उपरांत जो फसल अवशेष रह जाते हैं, उनका उचित तरीके से प्रबंधन किया जाना  चाहिए ।
    म.प्र. में ऐसे क्षेत्रों में विशेष जागरूकता अभियाना चलाया  जाएगा । फसल कटाई कार्य प्रारंभ करने के पूर्व नरवाई जलाने वाले क्षेत्रों को चिन्हित क्षेत्र के किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान से अवगत कराया जाएगा । साथ ही फसल अवशेषों के प्रबंधन से होने वाली संभावित आय के बारे   में व्यापक रूप से प्रचार - प्रसार    कर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ।
    क्षेत्रों में कंबाईन हार्वेस्टर से फसल कटाई की जाती है, वहां हार्वेस्टर के साथ स्ट्राटीपर एवं रीपरकम बाइंडर के उपयोग की सलाह दी है । जिससे फसल को काफी नीचे से काटा जा सकता है । ऐसे में नरवाई जलाने की आवश्यकता नहीं होती है । उन्होंने बताया कि खेती की गहरी जुताई रिवर्सिबल प्लाऊ तथा हेप्पीसीडर, जीरो टीलेज सीडड्रिल से बोवनी एवं रोटावेटर चलाकर फसल अवशेष मिट्टी में मिलाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है । इन यंत्रों के उपयोग से फसल अवशेषों को मिट्टी में ही मिलाया जा सकेगा, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति में बढ़ोत्तरी होगी और उत्पादन में भी वृद्धि होगी ।

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