सोमवार, 11 फ़रवरी 2008

६ पर्यावरण परिक्रमा

जंगल और जमीन पर अब आदिवासियों का अधिकार
वर्षो तक अन्याय और शोषण के शिकार रहे आदिवासियों को अन्तत: जंगल और जमीन पर अधिकार मिल गया है । अनुसूचित जनजाति और पारंपरिक रुप से जंगल में रहने वाले अन्य वनवासी, वनाधिकार मान्यता कानून को लागू करने सम्बंधी नियम और विनियमों को एक जनवरी २००८ को अधिसूचित कर दिया गया है । इस कानून के तहत जंगल में रहने वाले लोगों को वन भूमि पर खेती करने, पशुआे को चराने, मामूली वनोत्पादों का इकट़्ठा करने का अधिकार होगा । ये अधिकार उन्हीं आदिवासियों को मिलेंगे जो १३ दिसंबर २००५ के पहले से अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं और वहीं रह भी रहे है । अन्य वनवासियों में इन अधिकारों का फायदा वहीं उठा सकेंगे जिनकी तीन पीढ़िया १३ दिसम्बर २००५ के पहले से अपना जीविकोपार्जन वनोत्पादों से कर रही हों । एक पीढ़ी २६ वर्ष की मानी जायेगी । ये अधिकार अधिकतम चार हेक्टेयर क्षेत्र पर लागू होंगे। इस कानून से जुड़े दावों का निपटारा ग्राम पंचायत की वनाधिकार समिति करेगी जिसमें ग्राम पंचायत के १०-१५ सदस्य होंगे । समिति के एक तिहाई सदस्य अनूसूचित जनजाति के और एक तिहाई महिलाएं रहेंगी। यह समिती कानून के दावों की जांच के लिये सम्बद्ध क्षेत्र में जाकर इसकी पहचान करेगी । दावे के बारे में संतुष्ट होने के बाद वह अपनी सिफारिश तहसील स्तर की समिति को भेजेगी और वह उन पर विचार के बाद अपनी अनुशंसा जिला स्तर की समिति को भेजेगी । जिला स्तर की समिति में जिला पंचायत के तीन सदस्य होंगे जिनमें से दो अनुसूचित जनजाति के होंगे इस कानून के तहत मिले अधिकार राष्ट्रीय उद्यानों और पक्षी विहारों पर भी लागू रहेंगे । सरकार इस कानून के तहत वन क्षेत्रों में स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी केन्द्र की स्थापना, पेयजल की आपूर्ति तथा बिजली और टेलीफोन की लाइन बिछाने जैसे काम कर सकेगी । इस कानून के तहत प्राप्त् हक उत्तराधिकार में तो दिये जा सकते है लेकिन किसी को हस्तांतरित नहीं किये जा सकेंगे । यदि सम्बन्धित व्यक्ति शादी शुदा होगा तो इस कानून से प्राप्त् संपत्ति पति.पत्नी के नाम संयुक्त रुप से होगी लेकिन अविवाहित होने की स्थिति में यह एक ही व्यक्ति के नाम पर होगी । उत्तराधिकारी नहीं होने की स्थिति में यह संपत्ति मालिक के निकटतम सम्बन्धी को मिलेगी । संपत्ति में पत्नी का भी नाम होने से महिलाआे का सशक्तिकरण होगा । मामूली वनोपज एवं वनोत्पादों में बांस, झाड़ी, बेत, टेसर, रेशम के कीड़े बूटियां जैसी चीजें शामिल की गई हैं । अवैध रुप से जमीन से बेदखल किये गये अनुसूचित जनजाति और अन्य वनवासियों का पुनर्वास का अधिकार होगा। वनभूमि के हकदारो की पहचान और पुष्टि की प्रक्रिया पूरी होने के पहले अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासियों को मिलने वाले अधिकारों के लिए उनके दांवो की पहचान की प्रक्रिया शुरु करने का जिम्मा ग्रामसभा को सौपा गया है । इससे १९९६ के पंचायत सम्बन्धी कानून के प्रावधानों के अनुरुप स्थानीय समुदायों का अपने प्राकृतिक संसाधन के प्रबंन्धन का अधिकार रहेगा । जंगल में रहने वाले लोग सरकार की विभिन्न योजनाआें का फायदा उठाने के भी हकदार होंगे । जंगल में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासियों को जंगल और जमीन का अधिकार मिलने से वन्य जीव, वन और जैव विविधता के संरक्षण सुरक्षा और उन्हें समृद्ध करने की जिम्मेदारी इन्ही लोगों की होगी ।
दिल्ली में चौराहों पर १०० करोड़ का तेल जलता है
क्या आप जानते हैं कि दिल्ली की चौराहों पर जब लालबत्ती होती है तो वाहनों में १००० करोड़ रुपये का ईधन फूंक चुका होता है । देशभर के चौराहों, रेल फाटकों और जाम में फंसे वाहन खड़े-खड़े करीब साल भर में ५००० करोड़ रुपये का तेल फूंक चुके होते हैं। बढ़ते तेल मूल्यों से आज पूरी दुनिया चिंतित है । भारत और चीन में जिस तेजी से पेट्रोलियम पदार्थो की खपत बढ़ती जा रही है उतनी तेजी के साथ इनकी खपत में किफायत के बारे में जागरुकता नहीं बढ़ रही है । हर साल हम करीब १० करोड़ टन कच्च्े तेल का आयात कर रहे हैं इस पर खरबों रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च होती है। तैल भंडार दिनों दिन सिकुड़ते जा रहे हैं इसलिये सभी को पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में किफायत बरतनी चाहिये । पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने तेल संरक्षण के लिये देश भर में जागरुकता बढ़ाने के लिये एक लाख रुपये का पुरस्कार कार्यक्रम शुरु करने की घोषणा की है । श्री देवड़ा ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की बचत कीजिये ताकि देश में लंबे समय तक इनकी उपलब्धता बनी रहे । सभी को लगातार तेल संरक्षण के प्रयास करते रहने चाहिये । देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में हर साल करीब ढाई प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है । इसमें से यदि दो से ढाई प्रतिशत खपत की भी बचत की जाती है तो सालाना ८००० से १०००० करोड़ रुपयांे की बचत की जा सकती है ।
इको फ्रैंडली लाइफ का नया मंत्र
इन दिनों चारों ओर पर्यावरण बचाने की बात कही जा रही है, ऐसे में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के असिटंेट वाइस चांसलर ने पर्यावरण हितैषी जीवन जीने का आसान उपाय सुझाया है जिसमें कोई खर्च भी नहीं आता हैं । सेंट लुईस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के असिटेंट वाइस चांसलर मेट मेल्टन कहते हैं कि पर्यावरण मित्र जीवन जिया जा सकता है । इसके लिए उन्होने कुछ उपाय सुझाए है । उनका कहना है कि सबसे पहले अपने हर दिन की बिजली और पानी की खपत में कटौती करना चाहिए । साथ ही घरों से निकलने वाले कचरे की मात्रा को भी नियंत्रित करना चाहिए । इतना करने से ही पर्यावरण बचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया जा सकता है । श्री मेट का कहना है कि घरों में पारंपरिक बल्बों की बजाय फ्लोरोसेंट बल्ब (सीएफल) का उपयोग करना चाहिए। ये महँगे जरुर होते है लेकिन बिजली के बिल में ३० फीसदी से ज्यादा की कटौती की जा सकती है । अमेरिका पर्यावरण संरक्षण एजेंसी स्टार के अनुसार सीएफएल में पारंपरिक बल्बों की तुलना में ७५ फीसदी कम ऊर्जा लगती है और ये १० गुना ज्यादा समय तक चलते भी हैं । इससे दोतरफा बचत होती है, बिजली का बिल कम आता है और बल्ब की कीमत भी वसूल हो जाती है । इलेक्ट्रीक उपकरणों जैसे टीवी, एसी की जरुरत न होने पर स्विच ऑफ करके रखें और प्लग भी निकाल लें । बॉटल का पानी इस्तेमाल करने की बजाय अपना पानी खुद फिल्टर करें । क्योंकि प्लास्टिक बॉटलों का निर्माण पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है । उपयोग की हुई बॉटलो को फेंकने की बजाय दोबारा भरकर इस्तेमाल करें । श्री मेट के अनुसार दूसरा टिप्स यह है कि अपनी कार या दोपहिया वाहन को हमेशा अच्छी कंडीशन में रखें और ट्रैफिक के नियमों का पालन करें । शहर और हाइवे पर निर्धारित गति से कार चलाने पर इंर्धन की खपत कम होती है । इसके अलावा डिशवाशर, वाशिंग मशीन और ड्रायर को चलाने से पहले उन्हें पूरा भर लें, क्यों की इन मशीनों में ऊर्जा की खपत ज्यादा होती है । एक बार में पूरा भरकर उपयोग करने से इन्हें बार-बार चलाने की जरुरत नहीं पड़ेगी । इसके अलावा वाशिंग मशीन में गर्म पानी की बजाय ठंडा पानी इस्तेमाल करना चाहिए, इससे बिजली की काफी बचत हो जाती है ।
मंगल पर जीवन के नये सबूत
अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों द्वारा चार वर्ष पूर्व मंगल ग्रह (लाल ग्रह) पर भेजे गए दो यान से हाल ही में एसे चित्र प्राप्त् हुए हैं, जिनमें वहाँ जीवन व एलियन होने के प्रमाण मिलते है । नासा ने लाल ग्रह पर दो यान स्प्रिट और अपॉच्यूनिटी को चार वर्ष के मिशन पर भेजा था । इसी दौरान यानों के कैमरों से खींचे गए चित्रों में मंगल पर जीवन होन के सबूत मिले हैं । यान ने लाल ग्रह पर पहाड़ी से नीचे की ओर उतर रहे हरी ड्रेस पहने मानव जैसे दिखने वाले आदमी का फोटो खींचा है । ब्रिटिश अखबारों की माने तो अंतरिक्ष यान द्वारा खींचे गए चित्र एलियन के दिखाई देते हैं, जो वर्ष २००७ में खींचे गए थे । नासा के दोनो यानो ने अप्रेल २००४ में सफलतापूर्वक मंगल ग्रह का पूरा चक्कर लगा लिया था । इस दौरान एकत्र सबूतों मे भू-वैज्ञानिक वहाँ पानी, पर्यावरण और जीवन की खोज कर रहे हैं। जून और जुलाई २००३ में फ्लोरिडा के कैप कैनवेरल से प्रक्षेपित दोनों यानों ने ४८७ मिलियन और ४५६ मिलियन किमी की यात्रा पूरी करने के बाद लाल ग्रह के पीछे की और गति थामी थी । इस दौरान उन्हें कई धूल भरी जगहों से परेशानी पूर्वक गुजरना पड़ा । मंगल ग्रह पर घूमने के लिए यान को सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला बनाया गया था । उनमें अनजान ग्रह की सतह पर चलने के लिए विशेष प्रकार के छ: मशीनी पैर लगाए गए थे । यान के सभी ओर उच्च् क्षमता वाले कैमरे लगाए गए थे, जिससे ३६० डिग्री और स्टीरियो पेनिक परिणाम मिल सके । लगभग ८२० मिलियम डॉलर वाले इस मिशन की सफलता फिलहाल जाहिर नहीं की गई है । लेकिन यह जो चित्र नासा द्वारा पिछले दिनों जारी किए गए, उससे दुनियाभर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों मंे उत्साह और बढ़ गया है । इन चित्रो के अध्ययन से यह बात जाहिर की गई है कि लाखों वर्ष पहले लाल ग्रह पर पानी हुआ करता था । अब वहाँ के पूर्व और वर्तमान के और कई राज खुलने की संभावना बढ़ गई है । ***

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