स्वास्थ्य
दवा के दाम से दबता अमेरिका
लता जिश्नु
अमेरिका के नागरिक भी अब महाकाय दवा कंपनियों की ताकत व औषधियों के समक्ष त्राहिमाम कर रहे हैं । यह आश्चर्यजनक है कि हेपेटाइटिस सी के उपचार की जो दवा अमेरिका में ८४००० अमेरिका डॉलर में पड़ती है वही दवाई भारत में महज ९०० अमेरिकी डॉलर यानि करीब एक प्रतिशत मूल्य में उपलब्ध है ।
अमेरिका के कानून निर्माता भी अब घबड़ाकर राहत का रास्ता खोज रहे हैं । दवा कंपनियों के रसूख के चलते वहां के राज्यों की परिषदों में इन कंपनियोंकी निगरानी रखने संबंधी कानून तक पारित नहीं हो पा रहे हैं ।
गिल्डेड साइंसेस तब उच्च् औषधि मूल्य का प्रतीक बन गया जब उसने हेपेटाइटस सी के उपचार हेतु ''सोवाल्डी'' नामक औषधि जारी की । इसके उपचार के एक कोर्स का मूल्य ८४,००० अमेरिकी डालर यानि १,००० डालर (करीब ६४००० रु.) प्रति गोली है । पूरा विश्व इससे दहल गया । इसे लेकर विकसित विश्व में भी गुस्सा फूट पड़ा जो कि अब तक नवाचार, शोध एवं विकास के नाम पर बाजार में उच्च् औषधि मूल्यों की वकालत करते नहीं अघाते थे । अमेरिकी संसद भी सोवाल्डी के मूल्य को लेकर आगबबूला हो उठी । वैसे भारत में अब इसका मूल्य घटकर ९०० डालर प्रति कोर्स रह गया है । इसके अलावा इस दवाई के पेटेेंट को भी यहां चुनौती दी गई है ।
वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित अमेरिकी राष्ट्रीय बीमा कार्यक्रम मेडिकेयर जिसके कि ५.४ करोड़ सदस्य हैंने पाया कि पिछले वर्ष उसका हेपेटाइटीस सी बीमारी के उपचार से संबंधित भुगतान सातवें आसमान यानि ४.७ अरब डालर पर पहुंच गया । जो उसके पिछले वर्ष मात्र २८.६ करोड़ डालर ही था । एक अन्य स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम मेडिकेड़जो कि ७ करोड़ लोगों का बीमा करता है ने अपने दावों में से चौथाई भुगतान इसी दवाई हेतु किया । ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि उसे मेडिकेयर संस्थानांे की तरह दवाई कंपनियों से दवाई की कीमतों पर मोलभाव करने की अनुमति नहीं है । यदि कोई सोचता है कि सिर्फ सोवाल्डी ही अत्यधिक मंहगी है तो वह गलती पर है । कई अन्य विशिष्ट औषधियां भी इस श्रेणी में मौजूद है । उदाहरणार्थ सिस्टिक फाइब्रोसिस (फेफड़े में गठान बनना) के उपचार हेतु जो विशिष्ट दवाई दी जाती है उसका वार्षिक मूल्य ३,११,००० अमेरिकी डालर यानि करीब १,९२,८२,००० रु. (एक करोड़ बयानवे लाख बयासी हजार रु.) पड़ता है ।
मजेदार बात यह है कि बड़ी दवा कंपनियों के खिलाफ अब राज्य को भी लड़ाई करना पड़ रही है । अब तक अमेरिका के पांच राज्यों केलिफोर्निया, आरेगान, पेंसीलेवेनिया, उत्तरी कारालोना और मेस्साच्युसेट्स के कानून निर्माताओं द्वारा विद्रोह खुलकर सामने आ गया है और वे औषधियों के मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता संबंधी कानून ला रहे हैं । अत्यंत विलंब से शुरु हुई इस बगावत के नायक हैंकेलिफोर्निया विधायिका के सदस्य डेविड चिऊ । वे डेमोक्रेेट हैं और सेन फ्रांसिस्को से चुनकर आते हैं । उन्होंने एक विधेयक प्रस्तावित किया है जिसमें कि औषधि निर्माताओं से उनके द्वारा मूल्य निर्धारण की व्याख्या करने को कहा गया है । यह पहला विघेयक है जो उद्योग से पारदर्शिता की मांग कर रहा है ।
''प्रिस्क्रिपशन ड्रग प्राइसिंग ट्रांसपेरंसी एक्ट'' दवा कंपनियों को इस बात के लिए मजबूर करेगा कि ऐसे सभी उपचार जिनकी लागत १०००० अमेरिकी डालर से ज्यादा है, से प्राप्त् होने वाले लाभ एवं निर्माण व्यय की सूचना दें ।
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