कविता
शुभकामनाएं
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
नए साल की शुभकामनाएं
खेतों की मेडों पर
धूल भरे पांव को
कुहरे में लिपटे उस छोटे से गांव को
नए की साल शुभकामनाएं
जाते के गीतों को
बैलों की चाल को
करघे को कोल्हू को
मछुआें के जाल को
नए की साल शुभकामनाएं
इस पकती रोटी को
बच्चे के शोर को
चौके की गुनगुन को
चूल्हे की भोर को
नए की साल शुभकामनाएं
वीराने जंगल को
तारो को रात को
ठंडी दो बंदूकों में घर की बात को
नए की साल शुभकामनाएं
इस चलती आंधी में
हर बिखरे बाल को
सिगरेट की लाशों पर
फूलों से ख्याल को
नए की साल शुभकामनाएं
कोट के गुलाब और
जूड़े के फूल को
हर नन्हींयाद को हर छोटी भूल को
नए की साल शुभकामनाएं
उनको जिनने चुन-चुन कर
ग्रीटिंग कार्ड लिखे
उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे
नए की साल शुभकामनाएं
शुभकामनाएं
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
नए साल की शुभकामनाएं
खेतों की मेडों पर
धूल भरे पांव को
कुहरे में लिपटे उस छोटे से गांव को
नए की साल शुभकामनाएं
जाते के गीतों को
बैलों की चाल को
करघे को कोल्हू को
मछुआें के जाल को
नए की साल शुभकामनाएं
इस पकती रोटी को
बच्चे के शोर को
चौके की गुनगुन को
चूल्हे की भोर को
नए की साल शुभकामनाएं
वीराने जंगल को
तारो को रात को
ठंडी दो बंदूकों में घर की बात को
नए की साल शुभकामनाएं
इस चलती आंधी में
हर बिखरे बाल को
सिगरेट की लाशों पर
फूलों से ख्याल को
नए की साल शुभकामनाएं
कोट के गुलाब और
जूड़े के फूल को
हर नन्हींयाद को हर छोटी भूल को
नए की साल शुभकामनाएं
उनको जिनने चुन-चुन कर
ग्रीटिंग कार्ड लिखे
उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे
नए की साल शुभकामनाएं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें