शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

पर्यावरण परिक्रमा
कूड़ा जलाने से हवा हो जाती है खराब
    भारत को लेकर चौंकाने और चिंता में डालने वाली रिपोर्ट आई     है । यहां पर सड़क के किनारे कूड़ा जलाए जाने से जो धुंआ पैदा होता है, वह सामान्य हवा को एक हजार गुना तक जहरीला बना देता है । उसमें सांस लेने से तमाम तरह की बीमारियों का अंदेशा बना रहता है । यह बात अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में कही गई    है ।
    रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर साल करीब दो अरब टन कूड़ा पैदा होता है । इसमें से करीब आधे कुड़े को जलाकर खत्म किया जाता है । जो कूड़ा जलाया जाता है, उसका ज्यादातर भाग आबादी वाले इलाकों में जलाया जाता है । बहुत से शहरों में कूड़े को एकत्रित करने के लिए कोई तरीके वाली व्यवस्था नहीं है । भारत में ऐसे तमाम शहर हैं । इन्हीं शहरों में सड़कों और गलियों के किनारे जहां-तहां कूड़ा पड़ा रहता है और उसे निस्तारण के नाम पर एकत्रित करके जला दिया जाता है ।
    बैगलूरू जैसे शहरो में हालात कमोबेश यही है । यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकेल बर्जिन के अनुसार अगर कहीं आग लगे कूडे के ढेर के पास खड़े होकर सांस ली जाए तो सामान्य हवा से एक हजार गुना ज्यादा जहरीली हवा शरीर में जाएगी । कोई व्यक्ति दिन में सिर्फ एक मिनट के लिए ऐसी हवा में सांस ले ले तो उसके शरीर कई नुकसानदायक तत्व पहुंच जाते हैं । यह रिपोर्ट एक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है ।

एलपीजी सिलेंडर अब सुन्दर और आकर्षक होगे
    घरेलू रसोई गैस उपभोक्ताआें के लिए अच्छी खबर है । भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय आगामी दिनों में ऐसे पारदर्शी रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराएगा । इसमें लीकेज होने, आग लगने या फटने की समस्या ही नहीं होगी ।
    इसके साथ ही सिलेंडर में पुरानी सील की जगह अब नए प्रकार की सील लगी होगी, जिससे यदि कोई आपके सिलेंडर में से गैस निकलेगा तो पता चल जाएगा । अगर सब कुछ सही रहा, तो अगले साल तक सभी गैस कंपनियां अपने उपभोक्ताआें को पारदर्शी रसोई गैस सिलेंडर देगा ।
    सुविधाजनक होगा सिलेंडर :- एचसीपीएल एवं बीपीसीएल गैस कंपनी ने कई जिलों में नई सील लगे सिलेंडर की आपूर्ति शुरू कर दी है । टेंपर्ड प्रूफ सील में खास तरीके के प्लास्टिक का उपयोग किया जाएगा । सील पर विशेष प्रकार के होलोग्राम की पट्टी लगाई जाएगी जो सिलेंडर के पूरे नोजल को कवर करती है । यह एक बार सिलेंडर पर लग गई तो पूरी तरह फिट हो जाती है । खोलने-निकालने की कोशिश करने पर यह सील टूट जाती है, जिसे वापस नहीं लगाया जा सकता है ।
    सरकार के मुताबिक सालभर में पारदर्शी सिलेंडर हर जगह उपलब्ध कराया जाएगा । इसके बाद मंत्रालय सभी गैस एजेंसियों द्वारा सप्लाई किए जाने वाले सिलेंडर की सील बदलेगा, जिससे गैस की रीफिलिंग, कालाबाजारी पर पूर्णत: रोक लगाया जा सकता है । पारदर्शी रसोई गैस सिलेंडर की सिक्युरिटी करीब २४००-२४५० रूपये होगी । पुराने उपभोक्ता ९५० से १००० रूपये अतिरिक्त देकर पुराने सिलेंडर को बदलकर पारदर्शी सिलेंडर ले    सकेगें ।
    पुरानी सील की जगह नई की प्लास्टिक ऐसी, जिसे निकालने पर चटक जाएगी । अभी पुरानी सील की प्लास्टिक इतनी पतली नरम होती है कि अगर इस पर गरम पानी डाला जाए तो यह फैल जाती है । जिसे निकालकर अवैध रीफिलिंग कर लेते हैं, जिससे उपभोक्ता को पता नहीं लग पता है कि सिलेंडर से गैस निकली है या नहीं । नई सील लगाने के बाद अगर सील से जरा भी छेडछाड़ की गई, तो वह चटक जाएगी और दुबारा नहीं जुड़ेगी ।
 तय मात्रा से ज्यादा नमक खाते हैं भारतीय
    भारतीय अपने खाने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय की गई मात्रा का दोगुना नमक लेते है । ज्यादा नमक खाने से ह्दय रोग का खतरा बढ़ता है और समय से पहले मौत होने लगी है । जार्ज संस्थान की ओर से किए गए अध्ययन में कहा गया है कि १९ वर्ष से अधिक उम्र के लोग रोजाना १९.९८ ग्राम नमक खाते हैं । डब्ल्यूएचओ ने रोजाना पांच गा्रम नमक के सेवन को ही उचित माना है । देश के दक्षिणी और पूर्वी हिस्से के लोग नमक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं ।
    उच्च् रक्तचाप में नमक सबसे बड़ी भूमिका निभाता है । रक्तचाप बढ़ने से ह्रदय रोग का खतरा बढ़ जाता है । देश में हर साल करीब २३ लाख लोग ह्रदय रोग के कारण मौत के शिकार होते हैं ।    
१० वर्ष में भूजल खतरनाक स्तर तक नीचे चला जाएगा
    यदि धरती के संसाधनों का बेतहाशा दोहन जारी रहा तो आबोहवा में बदलाव के कारण देश में अगले १० वर्षो में ६० प्रतिशत भूजल खतरनाक स्तर पर नीचे चला जाएगा, जबकि २५ प्रतिशत उपजाऊ जमीन बंजर होना शुरू हो जाएगी ।
    विश्व वन्य जीव कोष की जीवंत ग्रह शीर्षक की २०१६ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार मानवीय गतिविधियों के कारण वैश्विक तापमान बढ़ने से वर्ष २०८० से २१०० तक खाघान्न उत्पादन में ४० प्रतिशत की कमी होने की आशंका  है । इसके अलावा ७० प्रतिशत जलस्त्रोतों के प्रदूषित होने का खतरा है । देश मे साफ पानी में रहने वाली ७० प्रतिशत मछलियां लुप्त् होने के कगार पर हैं, जबकि ५७ प्रतिशत उभयचर लुप्त्प्राय है । वर्ष १९९१ से अब तक ३८ प्रतिशत दलदली क्षेत्र समाप्त् हो चुके हैं।
    रिपोर्ट के अनुसार समुद्र का जल स्तर प्रतिवर्ष १.३० मिलीमीटर से बढ़ा तो समूचे दक्षिण एशिया में भारत में जलवायु परिवर्तन का खतरा सबसे ज्यादा होगा । यदि वर्ष २१०० तक समुद्र का जल स्तर एक मीटर बढ़ गया तो १४००० वर्ग किलोमीटर तटवर्ती इलाका जलमग्न हो जाएगा । बाढ़, सुखा और लू के कारण २००० से २०१५ के बीच ५००० से ज्यादा लोगों की जानें   गई । वन्य जीवों की प्रजातियों के न रहने से इको प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी और स्वच्छ हवा, पानी खाना जैसे प्राकृतिक संसाधन समाप्त् हो जाएंगे । श्री लंबेरतिनि ने कहा कि जैव विविधता के समाप्त् होने के खतरे के मद्देनजर मानव जाति को उत्पादन और उपभोग के तौर-तरीकों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है ।
    पिछले ४० वर्षो में उत्तरप्रदेश के बुंदलखंड और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में कम बारिश हो रही है । विश्व में २०२० तक दो तिहाई वन्य जीवों का अस्तित्व समाप्त् हो जाने का खतरा है । वर्ष १९७० से २०१२ के बीच मछली, पक्षी, स्तनधारी, उभयचर और सरीसृप ५८ प्रतिशत तक कम हो चुके है । डब्ल्यू.डब्ल्यू. एफ के अंतर्राष्ट्रीय महानिदेशक डॉ. मार्कोलंबेरतिनी ने कहा - हमारे जीवनकाल में ही वन्य जीव अभूतपूर्व दर से नदारद होते जा रहे है । यह सिर्फ इस बात के लिए चिंता का विषय नहीं है कि जिन खूबसूरत वन्य जीवों को हम प्यार करते हैं, वे समाप्त् होते जा रहे हैं, बल्कि जैव विविधिता, जंगलों, नदियों और समुद्रों के लिए जरूरी है ।
कानून के शासन में भारत ६६वें पायदान पर
    कानून के शासन मामले में ०.५१ स्कोर के साथ भारत ६६ वें स्थान पर है । अमेरिकी शोध संगठन वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट (डब्ल्यूजेपी) ने अपने रूल ऑफ लॉ इंडेक्स २०१६ में दुनिया के ११३ देशों की रैकिग की है । अधिकांश कारकों में भारत चीन और पाकिस्तान से आगे है ।
बेहतर स्थिति  (शीर्ष  पांच देश)
रैकिंग  देश             स्कोर
१    डेनमार्क        ०.८९
२    नॉर्वे        ०.८८
३    फिनलैंड        ०.८७
४    स्वीडन        ०.८६   
५    नीडरलैंड    ०.८६   
    कानून के दायरे में सरकार - डेनमार्क शीर्ष पर है । भारत का स्थान ३५वां और स्कोर ०.६४ है । पाकिस्तान का स्थान ७२वां है । रूस और चीन भी हमसे पीछे है । दोनों का स्थान क्रमश: १०० और १०४ है ।
    भ्रष्टाचार मुक्त सरकारी महकमें- डेनमार्क शीर्ष पर है । भारत ०.४४ स्कोर के साथ ६९वे स्थान पर है । पाक ९७ स्थान पर   है । सरकार की पारदर्शिता - नॉर्वे शीर्ष पर है । भारत ०.६६ स्कोर के साथ २८वें स्थान पर हैं । पाकिस्तान और चीन क्रमश: ७९ और ८९ हैं ।
    मूलाधिकारों की रक्षा - डेनमार्क शीर्ष पर । भारत ०.५० स्कोर के साथ ८१वें स्थान पर हैं । रूस, पाकिस्तान और चीन क्रमश: ९७,१०१ और १०८ वें स्थान पर हैं ।
    नागरिक सुरक्षा - सिंगापुर शीर्ष पर है । भारत ०.५६ स्कोर के साथ १०४वें स्थान पर है । चीन ४१वें पाकिस्तान ११३ वें स्थान पर है ।
    सरकारी नीतियों का क्रियान्वयन - सिंगापुर शीर्ष पर    है । भारत ०.४६ स्कोर के साथ ७७वें स्थान पर है । वहीं चीन और पाकिस्तान क्रमश: ८० और १०९ स्थान पर है ।

कोई टिप्पणी नहीं: