शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

प्रसंगवश
दिनेश भराड़िया - डुप्लेक्स रेडियो तकनीक की खोज
मनीष श्रीवास्तव
    हाल ही में रेडियो तरंगो की दुनिया में एक भारतीय मूल के दिनेश भराड़िया ने अपनी खोज से नई क्रांति ला दी है । डुप्लेक्स रेडियो तकनीक  की खोज के लिए मार्कोनी सोसायटी द्वारा इस साल के पॉल बैरन यंग स्कॉलर अवार्ड दिनेश भरड़िया देने की घोषणा की गई है । यह पुरस्कार मार्कोनी के सम्मान में उनकी बेटी जियोइया मार्कोनी ब्राग ने प्रारंभ किया है ।
    रेडियो तरंगो की दुनिया में मार्कोनी जाना-माना नाम है । रेडियो तरंगों को लेकर उन्होंने कई खोजे की थी । किन्तु एक गुत्थी वे भी नहीं सुलझा पाए थे - एक ही तरंग बैंड पर एक समय में सूचनाआें को प्राप्त् करना तथा उसी दौरान प्रसारित करना संभव है या नहीं । उनके बाद भी कई वैज्ञानिकों ने इसे लेकर कई शोध किए लेकिन किसी को भी यह सफलता अब तक हासिल नहीं हो पाई थी । दिनेश भराड़िया के अनुसार तरंग प्रणाली की यह समस्या बेहद जटिल थी । इसमें जब रेडियो कार्य करता है तो उसे प्राप्त् होने वाली तरंगो को लगभग १०० अरब गुना शोर प्रभावित करता है । प्राप्त् होने वाले सिग्नल आसपास के माहौल पर तथा वहां मौजूद तरंगों से भी प्रभावित होते हैं । इस वजह से एक समय पर सूचनाएं प्राप्त् करने तथा उन्हें भेजना संभव नहीं हो पाता था । किन्तु भराड़िया ने प्रयोगों के आधार पर ऐसी तकनीक बनाने में कामयाबी पा ही ली, जिसके माध्यम से १५० साल पुरानी गुत्थी का समाधान हो गया । भराड़िया ने यह खोज मैसाचूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी के सहयोग से की । सफलता की इस नई इबारत से आमजन को बेहद लाभ  होने वाला है । कई क्षेत्रों में इस नवीन तकनीक से आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिलने वाले हैं ।
    डुप्लेक्स रेडियो तकनीक के कई फायदे हैंजैसे इससे इमेजिंग तकनीक, चालक रहित कार जैसे अनुप्रयोगों में मदद मिलेगी और दो तरफा बातचीत करने वाले रेडियो का निर्माण संभव हो सकेगा । दृष्टिहीनों को भी इस तकनीक से विशेष लाभ मिलेगा ।                       

कोई टिप्पणी नहीं: