मंगलवार, 16 मई 2017

पत्रिका-२
हिन्दी पत्रकारिता में रतलाम का योगदान
डॉ. मोहन परमार
    रतलाम का हिन्दी पत्रकारिता इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है । भारत में हिन्दी के प्रथम समाचार पत्र उदन्त  मार्तंड के सन् १८२६ में प्रकाशन के २३ वर्ष पश्चात् मध्यप्रदेश में इन्दौर से १८४९ में पहला समाचार पत्र मालवा अखबार प्रकाशित हुआ ।
    रतलाम में सबसे पहले १८६७ में रत्नप्रकाश समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ । उस समय भारतीय पत्रकारिता में हिन्दुस्तानी हिन्दी एवं उर्दू भाषा में संयुक्त रूप से समाचार सामग्री प्रकाशित करने का प्रचलन था । उस दौर में प्रकाशित बनारस अखबार एवं मालवा अखबार इसी प्रकार के समाचार पत्र थे । रत्नप्रकाश साहित्यिक एवं समकालीन सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी देने वाला पत्र था ।
     रतलाम के पंडित रामकिशोर नागर के संपादन में प्रकाशित इस पत्र में कौशल उन्नयन के अन्तर्गत मदरसों एवं विश्वविद्यालयों में रोजगारमूलक शिक्षा को महत्व दिया जाता था । क्षेत्रीय भाषा को प्राथमिकता के साथ ही स्त्री शिक्षा के विकास पर भी सामग्री होती थी । इस प्रकार राज्याश्रय प्राप्त् प्रथम पत्र रत्नप्रकाश अक्टूबर १८८७ तक नियमित प्रकाशित होता रहा ।
    रतलाम में हिन्दी पत्रकारिता में ऐसे प्रकाश स्तम्भ दिखायी पड़ते है जिनकी ज्योति हिन्दी पत्रकारिता के लिए  मशाल के समान है । रतलाम शहर को हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास की दो गौरवशाली घटनाआें के साक्षी होने का सम्मान प्राप्त् है । भारत की पहली महिला पत्रिका और पहली पर्यावरण पत्रिका के प्रकाशन का गौरव रतलाम को प्राप्त् है ।
    सन १८८८ में रतलाम से श्रीमती हेमन्त कुमारी चौधरी के संपादन मेंदेश की पहली महिला पत्रिका सुगृहिणी मासिक का प्रकाशन प्रारंभ हुआ था । श्रीमती हेमन्त कुमारी लाहौर में महाविद्यालय के प्राचार्य नवीनचन्द्र राय की बेटी थी और उनके पति आर.एस. चौधरी रतलाम राज्य की सेवा मेंथे । सुगृहिणी में स्त्री शिक्षा का प्रचार प्रसार एवं सामाजिक कुरीतियों के विरूद्ध महिलाआें में जागृति पैदा करने संबंधी सामग्री रहती थी ।
    देश की पहली महिला पत्रिका के प्रकाशन के लगभग एक शताब्दी पश्चात १९८७ में रतलाम से ही पर्यावरण पर देश की पहली राष्ट्रीय हिन्दी मासिक पर्यावरण डाइजेस्ट का प्रकाशन पर्यावरणविद डॉ. खुशालसिंह पुरोहित के संपादन में प्रारंभ हुआ । विगत तीन दशकों से पत्रिका का प्रकाशन नियमित हो रहा है । पर्यावरण डाइजेस्ट की यह विशेषता है कि इसमें समाचार, विचार एवं दृष्टिकोण का समन्वय है जो पत्रिका की पठनीयता को बनाये रखता है । समसामयिक मुद्दों ऊर्जा स्वास्थ्य, रहन सहन, वन्य जीवन, स्थायी विकास और प्रौघोगिक जैसे मुद्दों से जुड़ी वैचारिक सामग्री के प्रचार प्रसार में पत्रिका हमेशा अग्रणी रही है ।
    हिन्दी पत्रकारिता के विकास में रतलाम की पत्रकारिता ने उल्लेखनीय भूमिका का निर्वहन किया है जिसका वर्तमान स्वरूप हमारे सामने है । रतलाम पत्रकारिता की दृष्टि से सदैव विचारशील एवं प्रेरक रहा है । सन् १९३४ में हिन्दी के प्रसिद्ध कवि गोपाल सिंह नेपाली के संपादन में साप्तहिक रतलाम टाइम्स का प्रकाशन प्रारंभ हुआ । इस पत्र में जैन जगत के समाचारों के साथ कहानी, कविता और लेख आदि प्रकाशित होते थे ।
    रतलाम टाइम्स तत्कालीन साहित्य का प्रवक्ता रहा है । स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान रतलाम टाइम्स द्वारा प्रकाशित हिन्दी विशेषांक मेंदेश भर के प्रमुख कवियों की रचनायें प्रकाशित की गयी थी । श्री नेपाली के संपादन में रतलाम से ही पुण्यभूमि नामक साप्तहिक पत्र का प्रकाशन भी हुआ था । अब तक रतलाम से प्रकाशित प्रमुख पत्रों में दैनिक प्रसारण, हमदेश, आलोकन, दैनिक चेतना, दैनिक प्रकाश किरण एवं स्वतंत्र ऐलान के साथ ही साप्तहिक गगन घोष, लोक राज्य, उपग्रह, प्रचंड, रतलाम समचार, रतलाम केसरी और रतलाम क्रानिकल आदि पत्रों का प्रकाशन होता रहा है । इन पत्र पत्रिकाआें का रतलाम के पत्रकारिता एवं साहित्य के विकास में अपना अमूल्य योगदान रहा है ।
    हिन्दी के बड़े समाचार पत्रों के आंचलिक संस्करणों की शुरूआत हुई तो पिछले कुछ वर्षोमें रतलाम से दैनिक भास्कर, राज एक्सप्रेस, दबंग दुनिया और पत्रिका के स्थानीय संस्करणों का प्रकाशन प्रारंभ हुआ । इन दिनों रतलाम शहर से ६ दैनिक, २१ साप्तहिक, २ पाक्षिक एवं २६ मासिक पत्रों का प्रकाशन हो रहा  है ।

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