मंगलवार, 16 मई 2017

सम्पादकीय
पर्यावरण चेतना के संकल्प के तीन दशक
  क्रांतिकुमार वैद्य
    इस वर्ष जनवरी माह से पर्यावरण डाइजेस्ट प्रकाशन के ३१वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है । तीन दशक की प्रकाशन यात्रा मेंपत्रिका को अपने पाठकों, लेखकों एवं सहयोगियों का निरन्तर स्नेह मिला, इसी स्नेह की ऊर्जा से इस संकल्प का सातत्य बना हुआ है ।
    म.प्र. के रतलाम शहर से सन् १९८७ में ट्रेडल मशीन पर मुद्रण से लेकर वर्तमान में ऑफसेट पर बहुरंगी आवरण सहित मुद्रण और इंटरनेट संस्करण तक की यात्रा में पत्रिका में पर्यावरण से जुड़े विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय/अन्तराष्ट्रीय लेखकों, पत्रकारों सामाजिक कार्यकर्ताआें और विचारकों के लगभग चार हजार से अधिक लेख प्रकाशित हुए हैं । इनमें पर्यावरण से जुड़ी ज्वलंत राष्ट्रीय समस्याआें, पर्यावरण और विकास, रचनात्मक प्रयास, प्रदूषण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता प्रबंधन और वन संरक्षण जैसे सैकड़ों विषय शामिल हैं ।
    पर्यावरण संतुलन के मार्ग को प्रशस्त करने वाली पर्यावरण डाइजेस्ट केवल पत्रिका ही नहीं है, अपितु जन चेतना का एक सशक्त अभियान है । पर्यावरण चेतना का यह छोटा सा दीप अनेक झंझावातों के बावजूद शिशु मृत्यु के कठिन समय को पार कर यहां तक पहुंच गया है, तो इसके पीछे पर्यावरण प्रेमी मित्रों का संबल रहा है । यह संबल ही वर्तमान और भविष्य की यात्रा की गति एवं शक्ति का आधार है । पर्यावरण डाइजेस्ट ने आज तक कभी किसी सरकार संस्थान या आंदोलन का मुख पत्र बनने का प्रयास नहीं किया । पत्रिका की प्रतिबद्धता सदैव सामान्य जन के प्रति रही है ।
    आज मानवीय असंवेदनशीलता और प्रकृति के प्रति आदर भाव मे कमी आने से पर्यावरण के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया । इन खतरों के प्रति लोक चेतना पैदा करने में पर्यावरण डाइजेस्ट अग्रणी रही है । पर्यावरण डाइजेस्ट की ३० बरसों की प्रकाशन यात्रा में जिन मित्रों का सहयोग और आशीर्वाद मिला उनके प्रति आभार के साथ ही इस बीच कुछ सहयोगी बिछड़ गये, उनका पुण्य स्मरण करते हुए उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते है ।  इन्हीं शब्दों के साथ.....             

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