प्रसंगवश
नर्मदा से हो सही विकास - मेधा पाटकर
सरदार सरोवर को लेकर चिखल्दा (धार) में मेधा पाटकर एवं अन्य साथियों को अनशन के १२वें दिन ७ अगस्त २०१७ को प्रशासन द्वारा अनशन स्थल से जबरन हटाकर अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया ।
नर्मदा बचाआें आन्दोलन की नेत्री मेधा पाटकर के ३२ वर्ष के संघर्ष मेंयह उनका चौथा आमरण अनशन था, इसके पूर्व वे शेरकुंआ, भोपाल और दिल्ली मेंअनशन कर चुकी है । मेधाजी ने अपनी गिरफ्तारी के ठीक पहले कहा कि - आज मध्यप्रदेश सरकार हमारे १२ दिन के अनशन पर बैठे हुए १२ साथियों को मात्र गिरफ्तार करके जवाब दे रही है । ये कोई अहिंसक आन्दोलन का जवाब नहीं है । मोदीजी के राज में शिवराजजी के राज में आंकड़ों का खेल, कानून का उल्लघंन और केवल बल प्रयोग जो आज पुलिस लाकर और कल पानी लाकर करने की उनकी मंशा है । इसका उपयोग ये हम लोग इस देश में गांधी के सपनों की हत्या मानते हैं, बाबा साहेब के संविधान को भी न मानने वाले ये राज पर बैठे है । वे समाजों के, गांव के किसान, मजदूरोंऔर मच्छुवारों की कोई परवाह नहीं करते । यह इस बात से स्पष्ट हो रहा है ।
एक बाजू मुख्यमंत्री खुद कह रहे है कि ट्रिब्यूनल का फैसला जो कानून, उसका अमल पूरा हो चुका है । दूसरे बाजू बोल रहे अनशन तोड़ने के बाद ही चर्चा करेंगे । इसके साथ जिन मुद्दों पर सब तो रख चुके हैं । तो अब यह चोटी पर जाना पड़ेगा, अहिसंक आन्दोलन और जवाब समाज ने देना पड़ेगा । नर्मदा घाटी के लोगों पर बहुत कहार मचाने जा रहे हैं । प्रकृति साथ दे रही हैं, गुजरात पानी से लबालब है, यहां पानी नहीं भरा है लेकिन कल क्या होगा कौन जाने ?
उनकी सरकार और उनकी पार्टी किस प्रकार से विकास को आगे धकेलना चाह रही है । इस देश के कोने-कोने में संघर्ष पे उतरे साथी कह रहे है, वही बात फिर अधूरिखित । हम इतना ही चाहते है कि नर्मदा से हो सही विकास, समर्थकों की यही है आस - यह हमारा नारा आज केवलनर्मदा घाटी के लिए नहीं है, देश में कोई भी अब विस्थापन के आधार पर विकास मान्य न करें । विकल्प वही तय करें ।
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