सम्पादकीय
कीर्तिमान की दौड़ में हांफते पौधे
पिछले कुछ वर्षो देश में पर्यावरण चेतना के विस्तार नेसमाज में प्रकृतिक संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के प्रयासों को नया आयाम दिया है ।
यह सुखद है कि देश में सरकारों के साथ ही अनेकव्यक्ति और संस्थाआें ने पौधे लगाने के काम में अपनी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी कर वानिकी चेतना का नया वातावरण बनाया है । इन दिनों देश भर में न केवल सामाजिक संस्थाएें अपितु राज्य सरकारें भी एक ही दिन या किसी निश्चित समयावधि में अधिकतम संख्या में पौधे लगाने की दौड़ में शामिल हो रही है । यह शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता है ।
मध्यप्रदेश में भी राज्य सरकार ने पौधारोपण का एक जन आन्दोलन चलाया, यहां तक तो ठीक है लेकिन विश्व रिकार्ड के लिए एक दिन के रिकार्ड समय में करोड़ों पौधे लगाकर किसी निजी संस्थान से प्रमाण-पत्र हासिल करने के प्रयास कोकिसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता है ।
आकाड़ों और कीर्तिमान की इस अंतहीन दौड़ में केवलआंकड़ों के एकत्रीकरण एवं संख्याबल के आधार पर विजेता बनने के प्रयासों में आयोजकों की सारी शक्ति लग रही है । पौधशाला से आये पौधों की स्थिति देखने, उनको ठीक से रोपित करने और रोपण के बाद की देखरेख का महत्वपूर्ण कार्य पीछे छूटता जा रहा है जो कि किसी भी पौधारोपण की सफलता का मुख्य आधार होता है ।
बेहतर होगा कि कीर्तिमानों की दौड़ छोड़कर सरकारें, संस्थाएें और पर्यावरण प्रेमी लोग पौधारोपण प्रक्रिया की शुरूआती दौर में और बाद में पौधों को पेड़ बनाने के पवित्र लक्ष्य को पूरा करने में अपनी क्षमता, दक्षता और योग्यता का उपयोग कर सके तो यह देश के लिए एवं पर्यावरण के लिए ज्यादा हितकर होगा ।
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