सम्पादकीय
मूर्ति विजर्सन का इको फेंडली समाधान
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी एनजीटी ने प्लास्टर ऑफ पेरिस प्रतिमाआें पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया है और देश के कई हिस्सों में इस पर प्रतिबंध भी है । हमें इससे निपटने के वैकल्पिक तरीकों का विकास करना होगा ।
नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधन संस्थान (नीरी) ने पीओपी मूर्तियों के विसर्जन में अमोनियम बायकार्बोनेट नामक एक पदार्थ को उपयोगी पाया है । अमोनियम बायकार्बोनेट के उपयोग से प्लास्टर ऑफ पेरिस बहुत कम समय में विघटित हो जाता है । अमोनियम बायकार्बोनेट प्लास्टर ऑफ पेरिस के साथ अभिक्रिया करके कैल्शियम कार्बोनेट और अमोनियम सल्फेट में विघटित हो जाता है । सबसे खास बात यह है कि विघटन के बाद बचे पदार्थोको दोबारा उपयोग किया जा सकता है । अमोनियम सल्फेट एक जाना-माना उर्वरक है जिसका उपयोग खेतों में किया जाता है । इस प्रकार प्लास्टर ऑफ पेरिस के विघटन से प्राप्त् अमोनियम सल्फेट का उपयोग खेतोंमें हो सकेगा ।
विघटन के बाद अमोनियम सल्फेट जल की उपरी पर्त में तैरने लगता है । इसका उपयोग मिट्टी की क्षारीयता को कम करने के लिए भी किया जाता है । प्लास्टर ऑफ पेरिस के विघटन से प्राप्त् दूसरा पदार्थ कैल्शियम कार्बोनेट नीचे तली में बैठ जाता है जिसका उपयोग सीमेंट उद्योग में दोबारा से किया जा सकता है । इस प्रकार इस तकनीक के उपयोग से जहां जल प्रदूषित होने से बचेगा, वहीं विभिन्न पदार्थो को दोबारा से उपयोग किया जा सकेगा । इस प्रकार यह तकनीक पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित होगी ।
आजकल इको-फ्रेंडली तरीके से त्यौहार मनाने पर जोर दिया जा रहा है । ऐसे में हम सभी को पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से ऐसे ही तरीके अपनाने चाहिए जो प्रदूषण को कम करते हो ।
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