शनिवार, 16 सितंबर 2017

सामयिक
भारतीय प्रतिभा की चमक
मनीष श्रीवास्तव
हाल ही में विज्ञान के क्षेत्र में भारत को कई सम्मान मिले हैं । एक तरफ भारत को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दी जाने वाली कल्पना चावला स्कॉलरशिप प्राप्त् हुई है तो वही दूसरी ओर भारतीय मूल की छात्रा ने जूनियर नोबेल पुरस्कार जीत कर देश का मान बढ़ाया है । 
भारत में विज्ञान को लोकप्रिय करने के  लिए जाने-माने विज्ञान संचारक जयन्त नार्लीकर को हाल ही में सम्मानित किया गया है । देश की नई युवा शक्ति को विज्ञान के क्षेत्र में रूचि जगाने वाली यह बेहद महत्वपूर्ण खबरे हैं जिनसे युवा प्रेरित होकर भारत को विज्ञान क्षेत्र में सिरमौर बना सकते हैं । इन तीनों पुरस्कार विजेताआें के बारे में यहां चर्चा की जा रही है । 
१ महाराष्ट्र, अमरावती की रहने वाली २१ वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा सोनल बाबरवाल को हाल ही में वैश्विक स्तर पर दी जाने वाली कल्पना चावला छात्रवृत्ति इंटरनेशनल स्पेस युनिवर्सिटी, फ्रांस की ओर से दी जाती है । पहली बार किसी भारतीय को यह छात्रवृत्ति प्राप्त् हुई है । 
सोनल को प्रारंभ से ही रोबोटिक्स, स्पेस और पर्यावरणीय विषयों पर गहन अध्ययन करने में रूचि रही है । सोनल ने माउंट कार्मल हाईस्कूल, अमरावती  से  पढ़ाई करने के बाद इलेक्ट्रानिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन में सिपना कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी अमरावती से बी.टेक. पूरा किया । अंतरिक्ष क्षेत्र में रूचि के चलते सोनल ने अंतरिक्ष से संबंधित विषयों पर कई प्रेजेन्टेशन भी बनाए हैं । 
इंटरनेशनल स्पेस यूनिवर्सिटी की स्थापना १९८७ में हुई थी । इसके बाद से यहां अब तक १०० देशों के ४२०० छात्र स्नातक परीक्षा पास कर चुके हैं । इस संस्थान से दुनिया भर के अंतरिक्ष विशेषज्ञों की टीम जुड़ी हुई है जो छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान करती है । इस स्कॉलरशिप के लिए छात्रों को कई स्तरों पर परीक्षा ली जाती है । सबसे बेहतर अंक लाने वाले तथा अच्छे अकादमिक रिकार्ड वाले छात्रों को ही यह स्कॉलरशिप मिल पाती है । 
इंटरनेशनल स्पेस यूनिवर्सिटी भारतीय अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के सम्मान मेंयह छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है । इसका उद्देश्य तकनीक और अंतरिक्ष क्षेत्र में महिलाआें को आगे लाना है । वे महिलाएं जिनकी पृष्ठभूमि विज्ञान, मेडिसिन और अंतरिक्ष से सम्बधित विषयों की रही है वे इस स्कॉलरशिप का लाभ ले सकती है और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर सकती हैं । अब सोनल बबरवाल दुनिया भर में स्पेस साइंस की पढ़ाई के लिए चर्चित कॉर्क इंस्टीटयृट ऑफ टेक्नॉलाजी, आयरलैण्ड से स्नातकोत्तर पढ़ाई पूरी करेगी । 
२. भारतीय अमेरिकी मूल की इन्द्राणी दास को साल २०१६ का जूनियर नोबेल पुरस्कार दिया गया  है । ये अभी सिर्फ १७ वर्ष की है । उन्हें मस्तिष्क संबंधी बीमारियों तथा उनके इलाज के संबंध में की गई महत्वपूर्ण रिसर्च के लिए यह पुरस्कार दिया गया है । 
अमेरिका की सोसायटी फॉर साइंस एंड पब्लिक संस्था द्वारा हाई स्कूल स्तर पर विज्ञान और गणित के क्षेत्र में प्रतिवर्ष व्यापक स्तर पर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है । अमेरिका की सबसे पुरानी प्रतियोगिताआें में इसकी गिनती है । इसे ही जूनियर नोबेल पुरस्कार कहा जाता है । इन्द्राणी दास ने भी इसी प्रतियोगिता में जीत दर्ज की है । इसके लिए उन्हें जूनियर नोबेल पुरस्कार और १.६३ करोड़ रूपए की धनराशि दी गई है । इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि अब तक पिछली प्रतियोगिताआेंमें १२ ऐसे जूनियर नोबेल पुरस्कार विजेता हुए है जिन्होंने आगे चलकर अपनी खोजों के लिए नोबेल पुरस्कार भी जीता    है ।
३. जयन्त विष्णु नार्लीकर विज्ञान क्षेत्र का जाना-माना नाम    है । विज्ञान लोकप्रिकरण के लिए उन्होंने आजीवन कार्य किया है । उन्हें विज्ञान सेवा के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है । हाल ही में उन्हें विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं देने के लिए लक्ष्मीपत सिंधानिया - आईआईएम लखनऊ नेशनल लीडरशिप पुरस्कार २०१६ से सम्मानित किया गया है । श्री नार्लीकर की प्रारंभ से विज्ञान विषयों में गहरी रूचि रही है । उनका जन्म १९ जुलाई १९३८ को कोल्हापुर (महा.) में हुआ था । उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बनारस में पूरी करने के बाद उच्च् शिक्षा कैम्ब्रिज विश्वविघालय से प्राप्त् की । ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के विषय में माना जाता है कि बिग बैंग के कारण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई थी लेकिन इसी संबंध में एक और धारणा प्रचलित रही है जिसे फे्रड हॉयल का स्टडी स्टेट सिद्धान्त कहा जाता है । 
इस सिद्धान्त पर नार्लीकर भी फ्रेड हॉयल के साथ काम कर चुके है । अब तक कई विज्ञान कथाआें तथा विज्ञान विषयों पर उनकी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं । उन्होंने विज्ञान के कई गूढ़ विषयों को सरल भाषा में लिखा है कि ताकि आम व्यक्ति भी विज्ञान को रूचि के साथ पढ़ सकें ।  

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