बुधवार, 20 जून 2018

पर्यावरण समाचार
भारत ई-कचरा पैदा करने वाले शीर्ष ५ देशों में
सरकार द्वारा स्वच्छ भारत अभियान और स्मार्ट शहर परियोजना पर जोर दिए जाने के बावजूद भारत ई-कचरा पैदा करने वाले शीर्ष पांच देशों में बना हुआ है । एसोचैम नेक द्वारा हाल में कराए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है । सोमवार को जारी इस अध्ययन के अनुसार, ई-कचरा पैदा करने वाले देशों की सूची में चीन, अमेरिका, जापान और जर्मनी जैसे देश शीर्ष स्थान पर बने हुए है । यह अध्ययन पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी किया गया है ।
अध्ययन मेंकहा गया है, भारत में महाराष्ट्र ई-कचरा में सर्वाधिक १९.८ फीसदी का योगदान है और मात्र ४७,८१० टन सलाना रिसाइकिल करता है, जबकि तमिलनाडु १३ फीसदी का योगदान करता है और ५२,४२७ टन रिसाइकिल करता है । उ.प्र. १०.१ फीसदी का योगदान और ८६,१३० टन कचरा रिसाईकिल करता है । इसके बाद पश्चिम बंगाल (९.८ प्रतिशत) दिल्ली (९.५ प्रतिशत), कर्नाटक (८.९ प्रतिशत), गुजरात (८.८ प्रतिशत) और मध्यप्रदेश (७.६ प्रतिशत) ई-कचरे में अपना योगदान देते है । भारत में करीब २० लाख टन सलाना ई-कचरा पैदा होता है और ४,३८,०५० टन कचरा सलाना रिसाईकिल किया जाता है ।
ई-कचरे में हटाए गए कंप्यूटर कैथोड रे ट्यूब, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी), मोबाईल फोन व चार्जर, कॉम्पैक्ट डिस्क, हेडफोन के साथ लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले, प्लाज्मा टी.वी., एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर शामिल है ।
कभी प्रकृति की पूजा करने वाले देश मेंआज उसका निरादर चिंतित करता है । हमारे पौराणिक ग्रंथों में धरती, प्रकृति, पेड़ और पौधों, जीव जंतुआें की पूजा और उनके संरक्षण का पाठ सिखाया गया है, लेकिन भौतिकता की आंधी में हम उन सीखों को भुला बैठे है, तभी तो २०१८ के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में सबसे नीचे के पांच देशों के साथ खड़े है ।
अध्ययन में कहा गया है कि असुरक्षित ई-कचरे की रीसाइकिलिंग के दौरान उत्सर्जित रसायनों/प्रदूषकों के संपर्क में आने से तंत्रिका तंत्र, रक्त प्रणाली, गुर्दे व मस्तिष्क विकार, श्वसन संबंधी विकार, त्वचा विकार, गले में सूजन, फेफड़ों का कैंसर, दिल, यकृत को नुकसान पहंुचना है । एसोचैम-नेक द्वारा भारत मेंइलेक्ट्रिकल्स एंड इलेक्ट्रिॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पर किए गए संयुक्त अध्ययन के मुताबिक ई-कचरे की वैश्विक मात्रा २० प्रतिशत की संयुक्त वृद्धि दर से २०१६ में ४.४७ करोड़ टन से २०२१ तक ५.५२ करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है ।

नए मॉडल के साथ मौसम पूर्वानुमान में दूसरे नंबर पर भारत
खराब मौसम से होने वाले जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए मौसम विभाग ने पूर्वानुमान का एक नया मॉडल तैयार किया है । यह यूरोप के  बाद सर्वश्रेष्ठ मॉडल है ।
इससे खराब मौसम का ज्यादा सटीक पूर्वानुमान मिल सकेगा और प्रशासन को तैयारी के लिए ज्यादा समय मिलेगा । यह जानकारी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने दी । उन्होंने बताया कि पहले मौसम विभाग बताता था कि २३ किलोमिटर के दायरें में भारी बारिश, लू या शीतलहर की संभावना है । अब वह १२ किलोमीटर के दायरे के लिए स्पष्ट चेतावनी जारी करने की स्थिति में होगा । इससे प्रशासन बेहतर तरीके से उस इलाके पर फोकस पर पाएगा । हालांकि यह मॉडल आंधी-तूफान के साथ बिजली कड़कने के पूर्वानूमान में सुधार नहीं कर पाएगा । इसके अलावा अब तक मौसम विभाग `बारिश' शीतलहर आदि की संभावना बताता था । अब वह प्रतिशत भी बताएगा । इससे बेहतर मॉडल सिर्फ यूरोपीयन सेंटर ऑफ मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्ट के पास है । वह नौ किमी रिजॉल्यूशन के साथ पूर्वानुमान जारी करता है । अमेरिका का मॉडल भी १२ किमी रिजॉल्यूशन इस्तेमाल करता है ।
नया मॉडल पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रापिकल मेटियोरोलॉजी तथा नोएडा स्थित राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानूमान केंद्र के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है । इसमें पूणे और नोएडा केंद्रों में ४५० करोड़ की लागत से आठ पेटाफ्लॉप स्पीड वाले कम्प्यूटर लगे है । इसके अलावा आंकड़ों के विश्लेषण के लिए बेहतर तकनीक अपनाई गई है ।

म.प्र. में २१ सौ करोड़ से बनेगा ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर
प्रदेश में आगामी पांच वर्षों में ४९२५ मेगावॉट की नवकरणीय विद्युत परियोजनाये स्थापित होने वाली है, जिनमें सोलर विद्युत परियोजना के अंतर्गत ३१५० मेगावॉट एवं नान सोलर परियोजना में १८२० मेगावॉट बिजली उत्पादन की संभावना है । म.प्र. पावर ट्रांसमिशन कंपनी के द्वारा प्रदेश की नवकरणीय विद्युत परियोजनाआें की बिजली निकासी एवं ट्रांसमिशन सिस्ट्म के सुदृढ़ीकरण एवं ट्रांसमिशन सिस्ट्म के सुदृढ़ीकरण एवं ट्रांसमिशन सिस्टम से अंतर संबंधता हेतु ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है । जिसके प्रथम चरण की अनुमानित लागत २१०० करोड़ रुपए है ।
ट्रांसमिशन सिस्ट्म सुदृढ़िकरण के कार्य दो चरणों में करने की योजना बनाई गई है । प्रथम चरण की लागत २१०० करोड़ एवं द्वितीय की १४७५ करोड़ रुपये अनुमानित की गई है ।
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