प्रसंगवश
देश में महिला-पुरूष वेतन में बड़ा अंतर
दुनियाभर में महिलाएं घर संभालने सेलेकर बच्चें की देखभाल करने तक, ऐसेअनेक काम करती हैं जिनके बदले उन्हें पैसेनहीं मिलते। पैंसेमें देखा जाएं तोउनके काम की कीमत ७०० लाख करोड़ रूपए होती है । यह एपल के सालाना रेवेन्यू का ४३ गुना है । ऑक्सफैम ने पिछलेदिनोंजारी स्टडी रिपोर्ट में यह जानकारी दी । भारत के बारेमें इसनेकहा कि शहरी महिलाएं रोजाना ३१२ मिनट और गांवों में २९१ मिनट अवैतनिक काम करती है । शहरों में पुरूष २९ मिनट और गावों में ३२ मिनट ऐसेकाम करतेहैं जिनके उन्हें पैसेनहीं मिलते। महिलाआें का अवैतनिक काम ६ लाख करोड़ रूपए यानी जीडीपी के ३.१ प्रतिशत के बराबर है । यह अंतर अमीरों में भी दिखता है । भारत के ११९ अरबपतियों में सिर्फ ९ महिलाएं है ।
ऑक्सफैम ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की पिछले साल की रिपोर्ट केहवाले से बताया है कि भारत मेंमहिला-पुरूष के वेतन में ३४ प्रतिशत अंतर है । जेंडर गेप इंडेक्स में भारत को १०८वें नंबर पर रखा गया है । २००६ की तुलना में भारत १० पायदान नीचे आया है । घर-परिवार की देखभाल करना महिलाआें का मुख्य काम माना जाता है । पैसे कमाना प्राथमिकता में नहीं है ।
ऑक्सफैम के अनुसार भारत में महिलाआें के खिलाफ हिंसा रोकने के अनेक कानून हैं । लेकिन उन पर अमल चुनौती हैं । वकीलों के एक समूह के १७ साल के संघर्ष के बाद २०१३ में ऑफिस में यौन प्रताड़ना के खिलाफ कानून बना । लेकिन हाल के मी-टू आंदोलन के बाद ही महिलाआें के लिए रास्ता खुला । ज्यादातर महिलाएं अनौपचारिक क्षेत्र में हैं । उनके सामने शोषण सहने या नौकरी छोड़ने के ही विकल्प होते हैं ।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर मेंमहिलाआें की तुलना में पुरूषों के पास ५० प्रतिशत ज्यादा संपत्ति है । ८६ प्रतिशत कंपनियोंके प्रमुख पुरूष ही हैं । इसलिए टैक्स में कटौती का ज्यादा फायदा पुरूषों को ही मिलता है । वहीं, फीस के पैसे नहीं हुए तो पहले लड़कियों को स्कूल से निकाला जाता है ।
सम्मेलन से पहले ग्लोबल टैलेंट इंडेक्स जारी किया गया । भारत इसमें एक स्थान के सुधार के साथ ८०वें स्थान पर पहुंच गया है । स्विट्जरलैंड पहले स्थान पर बना हुआ है । ४५वें नंबर पर चीन ब्रिक्स देशों में सबसे आगे हैं ।
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