सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

पर्यावरण समाचार
महाकुंभ को ग्रीन कुंभ का दर्जा दिलाने में लगे साधु-संत
    उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में चल रहे महाकुंभ में आस्था के साथ सामाजिक सरोकार की भी गंगा बह रह है जहां साधु-संत इसे ग्रीन कुंभ का दर्जा दिलाने में जुटे हैं ।
    ग्रीन कुंभ का दर्जा दिलाने में बड़ी संख्या में विदेशियों का भी सहयोग मिल रहा है । विदेशों से आने वाले श्रद्धालु तथा योग ध्यान की दीक्षा लेने वाले बड़ी संख्या में  ग्रीन कुंभ अभियान से जुड़े हैं । पर्यावरण संरक्षण के लिए संतोंने कमान संभाली है तो उनके विदेशी शिष्य भी कहां पीछे रहने वाले थे । वह भी इस अभियान का हिस्सा बन गए ।
    संगम तट पर पहुंचे महात्मा इन दिनों गंगा को बचाने और इस कुम्भ को ग्रीन कुम्भ का दर्जा दिलाने में लगे हुए  हैं । जल संरक्षण और अविरल निर्मल गंगा के प्रवाह के लिए सगंम किनारे विशेष आयोजन किया जारहा है ।
    देसी बाबा के विदेशी भक्तों ने पर्यावरण के प्रति लोगोंको जागरूक करने के लिए हरित समाधि भी ली । ग्रीन कुम्भ के संकल्प में शामिल होने के लिए कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी एल जोशी भी आए थे । प्रयाग के अरैल घाट पर स्थित स्वामी चिदानन्द के परमार्थ निकेतन शिविर मेंभारी संख्या में  विदेशी भक्त भी विशेष अंदाज में शामिल हो रहे हैं ।
    हरित कुम्भ का संकल्प लेने वाले बाबा के विदेशी भक्तों ने पर्यावरण प्रेम को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अपने आप को एक हरे पेड़ के रूप में सजाया और फिर पूरे मेले क्षेत्र में घूम घूमकर लोगों को हरित कुम्भ के संकल्प को दोहराया । स्वामी चिदानंद की एक भक्त मडोना पेड़ बनी तो उनकी एक और भक्त सारिका ने खुद को तितली के  रूप में सजाया । इन रंग-बिरंगी विदेशी भक्तों को देखकर ऐसा लग रहा था मानो गंगा लोगों के मन में बस गई है ।
मध्यप्रदेश में ५०० रूपये में बिक रहा है डायनॉसॉर का अंडा
    मध्यप्रदेश के फॉसिल वाले इलाके धार में डायनॉसॉर  के कीमती अंडे मिट्टी के भाव बेचे जा रहे हैं । इंटरनेशनल मार्केट में डायनॉसॉर के एक अंडे की कीमत १ करोड़ रूपये है, मगर यहां पर गैरकानूनी तरीके से एक अंडा ५०० रूपये मेंबेचा जा रहा है ।
    मध्यप्रदेश के धार जिले में पाडल्या में ८९ हेक्टेयर इलाके को फॉसिल साइट नोटिफाई किया गया है । यहां पर डायनॉसॉर और उनके अंडों के फॉसिल बड़ी तादाद में पाए जाते हैं । मगर साल २००७ में यह एरिया सेफ नहीं है । फॉसिल स्टडी करने वाले साइटिस्ट्स के लिए यहां मिलने वाले डायनॉसॉर के अंडोंकी काफी डिमाण्ड है । ऐसे में उनकी स्टडी के लिए यहां से बड़े पैमाने पर फॉसिल्स की स्मगलिंग हो रही है । १४५ से ६६ लाख मिलियन साल पहले क्रिटेशस पीरियड के दौरान के फॉसिल्स को निकालकर खुलेआम बेचा जा रहा है, मगर रोकने वाला कोई नहीं ।
    सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के आने वाले स्मगलर ट्राइबल इलाकोंमें आते है और लोगों को पैसों का लालच देकर आराम से स्मगलिंग को अंजाम देते हैं । मध्यप्रदेश सरकार अब आकर जागी है और फॉसिल प्रिजर्वेशन ऐक्ट लाने जा रही है, ताकि इस गोरखधंधे पर लगाम कसी जा सके । वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस बारे में कानून का ड्राफ्ट लॉ डिपार्टमेंट के पास भेजा जा चुका है ।
    मध्यप्रदेश के वन मंत्री सरताज सिंह का कहना है कि अभी तक डायनॉसॉर के कितने अंडे निकाले जा चुके है, इसका कोई हिसाब नहीं है । इस गोरखधंधे को रोकने के लिए अभी तक कुछ नहीं किया गया है, ऐसे में एक सख्त कानून बनाना बेहद जरूरी है । उन्होनें कहा, सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे पाई और नाकाम रही । इस बात से स्मगलर्स के हौसले बहुत बढ़े हुए हैं । अगर ऐक्ट बन जाता है, तो फॉसिल्स को बचाया जा सकता है ।

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