रविवार, 15 मार्च 2015

वातावरण
स्वच्छ ऊर्जा से गंदा होता पर्यावरण 
नीना भण्डारी
आज से करीब ५० वर्ष पूर्व आस्ट्रेलिया में परमाणु हथियारों के  लिए हुए परीक्षणों की वजह से वहां के देशज निवासी एवं उनकी पैतृक भूमि वन  वनस्पति, पानी, हवा एवं वातावरण सभी कुछ प्रदूषित हो गया है । पांच दशकों के बाद भी स्थितियां काबू में नहीं आ पा रही हैं । 
हमारे राजनीतिक परमाणु ऊर्जा को स्वच्छ ऊर्जा बता रहे हैं । जबकि दूसरी ओर वैज्ञानिक तथ्य बता रहे हैं कि प्लूटोनियम २३९ कम से कम २४००० वर्षों तक सक्रिय रहता है । परमाणु हथियारों की समाप्ति भी क्या इस संकट से हमारी सभ्यता को बचा पाएगी ?
स्युकोलेमन-हासिल्डिनी नामक एक कोकाथा-मुला देश महिला तब तीन वर्ष की थी जब ब्रिटेन ने पश्चिमी आस्टे्रलिया के तट पर स्थित मोंटे बेल्लो द्वीप एवं दक्षिण आस्टे्रलिया के ईमु फील्ड एवं मारालिंगा में परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था । सन्१९५२ से १९६३ के मध्य कुल १२ बड़े परीक्षण किए गए जिसने जहां स्यु एवं उसका परिवार और समुदाय जिस विशाल क्षेत्र में रहता था उसे प्रदूषित कर दिया था। स्यु अपने बुजुर्गोंा द्वारा उस क्षेत्र की स्वस्थ जलवायु एवं जीवनशैली का वर्णन करते हुए कहती हैं, ''जब परीक्षण प्रारंभ हुए तब उस क्षेत्र में देशज लोग रह रहे थे। परीक्षण के निकटस्थ क्षेत्रों के अनेक लोग या तो तुरन्त मारे गए या बीमार पड़ गए । पहले परमाणु बम का नाम था - 'टोटेम १' जो कि व्यापक क्षेत्र में फैलाऔर उससे फैले ''काले कोहरा'' की वजह से अनेक लोेग मारे गए या अंधे हो गए एवं बहुत बीमार भी    पड़े । उनका कहना है,''हमारे समुदाय के बुजुर्ग लोेग ''नुल्लाबोर धूल के  तूफान'' का जिक्र करते हैं, जो कि मारालिंगा परीक्षणों का परिणाम    था । हम लोग उस स्थान पर नहीं थे, लेकिन धूल एक जगह पर नहीं   टिकी । हवा उसे जहां ले गई वह वहां गई । लोग कैंसर से मर रहे थे और हमारे लिए यह एक नई स्थिति थी । ''उन्हें आस्टे्रलिया न्यूक्लीयर फ्री अलायंस (एएनएफ ए) द्वारा विकिरण पर हो रहे एक सेमिनार में समझ मेें आई थी ।
देशज लोगांे ने सन् १९९७ में ए.एन.एफ.ए. का गठन किया था जिसे पहले अलायंस अगेंस्ट यूरेनियम के नाम से जाना जाता था । इसमें आस्टे्रलिया के अनेक देशज समुदायों के लोग एवं गैर सरकारी संगठन इसमंे शामिल थे । देशज लोगों के लिए यह भूमि ही उनकी संस्कृति का आधार है । वह यह सुनकर स्तब्ध रह गई थी कि जो जंगली झाड़ी से निकला भोजन वह खाते हैं वह संभवत: संदूषित हैं । उसका कहना था कि यह (झाड़ियां) हमारे भोजन का सुपर मार्केट है, और हमारी औषधियों का औषधालय है, और इनकी देखभाल हमारा धर्म है । यह अर्थहीन है कि आप देशज हैं या नहीं क्योंकि देश के इस भाग में परिवारों में असामयिक बीमारी और मृत्यु एक सामान्य बात है। कैंसर एक बड़ी समस्या है और लोग थायराइड से भी बड़ी मात्रा में पीड़ित हैं । 
परीक्षण के समय प्रजनन संबंधी समस्याएं, मृत शिशु जन्म एवं जन्म के समय अपंगता सर्वव्याप्त हो गई थी, लेकिन  विकिरण  की समस्या वंशानुगत हस्तांतरित होती जा रही है । वह चाहती हैं कि परमाणु हथियारों पर स्थायी प्रतिबंध लगे एवं जिस यूरेनियम से यह तैयार होता है उसे जमीन के अंदर दबा रहने दिया जाए । गत वर्ष राष्ट्रीय सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसी एवं नागरिक समाज पहली बार ओस्लो (नार्वे) मेंे परमाणु हथियारों के मानवों पर प्रभाव विषय पर आयोजित पहले सम्मेलन में मिले थे । इसके बाद अक्टूबर २०१४ में मेक्सिको में ऐसी ही बैंक में संयुक्त राष्ट्र संघ के १९३ में से१५५ सदस्य देश मिले और उन्होंने सं.रां साधारण सभा हेतु साझा वक्तव्य भी तैयार किया । इससे परमाणु हथियारों के विरुद्ध वातावरण का निर्माण पुन: आंरभ हुआ है ।
तमाम विरोधों के बावजूद इस वक्त दुनिया में करीब १७००० परमाणु हथियारों का भंडारण है जबकि शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद रूस एवं अमेरिका ने बड़ी मात्रा में इन हथियारों को नष्ट किया है। आस्ट्रेलिया के समूहों का मानना है कि यह सही वक्त है जबकि आस्टे्रलिया भी उन देशों में शामिल हो जाए जो कि परमाणु हथियारों के  विरोध में है । हाल ही में रेडक्रास द्वारा यहां किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि १० में से ८ आस्टे्रलियाई नागरिक इन हथियारांे के खिलाफ   हैं । गौरतलब है विकिरण के प्रभाव समय व स्थान तक सीमित नहीं हैं । इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य, कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ता रहेगा । गौरतलब है आस्टे्रलिया के देशज समुदायों में अब यूरेनियम के दुष्प्रभावों को लेकर जागरुकता बढ़ती जा रही है ।
सन्१९८४ में समुदायों की परमाणु परीक्षण संबंधी बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर आस्टे्रलिया की सरकार ने मारालिंग रायल कमीशन का गठन किया । इसमें विकिरण के  प्रभाव एवं रेडियोएक्टिव पदार्थ एवं जहरीले पदार्थोंा के निपटान के दौरान संपर्क में व्यक्तियों के संरक्षण को ध्यान में रखा गया था । रोजमेरी नामक एक कार्यकर्ता का कहना है कि गुप्त फाइलंे सन् २००३ तक यानि परमाणु परीक्षण के ५० वर्ष बाद तक तो उपलब्ध ही नहीं थीं । यहां सभी को मालूम था कि प्लूटोनियम २३९ को इस क्षेत्र में खुले में रखा गया  था । यह जहर मिट्टी में आ गया है, हवाओं के माध्यम से सब ओर फैल गया और लोग इसी में सांस ले रहेे हैं । इतना ही नहीं जंगली झाड़ी जिन्हें आप खाते हैं वह भी प्रदूषित हो चुकी है ।
गौरतलब है इस संदूषण के  बावजूद कुछ लोगों का दावा है कि यह क्षेत्र सुरक्षित है और वे इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते हैं । इस पूर्व परीक्षण स्थल की सफाई की जिम्मेदारी संघीय सरकार की है। मारलिंगा क्षेत्र की सफाई के  निरीक्षण के लिए सरकार द्वारा नियुक्त एलन्ष पार्किसन्स का कहना है कि यहां पर व्यापक प्रदूषण है और करीब १०० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को अभी भी साफ किया जाना है। यह प्लूटोनियम २३९ है और आगामी २४००० वर्ष बाद भी यहां उसमें से आधा तो मौजूद रहेेगा ।
रोजमेरी का कहना है कि परमाणु परीक्षण के परिणाम स्वरूप अनेक लोगों की तो तत्काल मृत्यु हो गई थी, लेकिन कई लोग लंबी बीमारी के साथ जीवन बिता रहे हैं, जिनमें कैंसर व विकलांगता प्रमुख  हैं । इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग मानसिक अवसाद व मानसिक बीमारियों से भी ग्रस्त हैं । इसके जबरदस्त विपरीत सामाजिक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं । इसने न केवल संस्कृति का नाश किया है बल्कि लोेगोंको और भी अंधेर में धकेल दिया है । परमाणु निषेध के पैरोकार चाहते हैं कि सरकार इस विध्वंस में अपनी भूमिका स्वीकारे एवं यूरेनियम के खनन पर रोक लगाए । ए.एन. एफ.ए. की बैक में यह बात सामने आई है कि आस्टे्रलिया के सैन्य प्रशिक्षण के दौरान ४० हजार राउंड यूरेनियम बुझे हथियार तैनात किए गए थे । इससे स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरीत प्रभावों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है ।
कार्यकर्त्ताआेंने मांग की है कि सरकार संबंधित शोध के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराए । साथ ही पीड़ितों को यथोचित मुआवजा भी दंे तथा बीमार लोेगों की चिकित्सा प्रक्रिया पर भी पुनर्विचार करे । इसके अलावा जिन लोगों की जमीनंे अधिग्रहित की गई थीं या बर्बाद हुई हैं उन्हें भी पर्याप्त मुआवजा दिया  जाए । वैसे लोगों को आशा है कि विएना सम्मेलन की वजह से त्रासदी के बचे लोगों में उम्मीद जगी है और वे एक परमाणु हथियार मुक्त विश्व के सपने की आकांक्षा रख रहे  है । 

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