रविवार, 15 मार्च 2015

कविता
आओ पर्यावरण बचायें 
डॉ. विजय पण्डित
आओ पर्यावरण बचायें 
धरा प्रदूषण दूर भगायें । 
साफ रखें नाले व नाली,
पालीथीन न चलने वाली,
कूड़ा-करकट दूर हो घर से 
घर-घर में आये खुशहाली,
कपड़े के थैले सिलवायें । 
धरा प्रदूषण दूर भगायें । 
हरियाली देती है जीवन,
वृक्षों से जन्मों का बंधन
कल को दम ये घुट जायेगा 
मत काटो ये महके उपवन 
अधिकाधिक सब पेड़ लगायें
धरा प्रदूषण दूर भगायें । 
जल जीवन है इसे बचाओ
जोहड़ और तालाब बनाओ 
सूख न जाये भरा समन्दर
ऐसा न हो कल पछताओ
पानी न बेकार बहायें 
धरा प्रदूषण दूर भगायें । 
कल को जब जंगल न होगा 
कभी सुरक्षित कल न होगा 
नल तो होगा गली-गली में
पर उस नल में जल न होगा 
घर-घर तुलसी नीम लगायें 
धरा प्रदूषण दूर भगायें । 

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