रविवार, 15 मार्च 2015

स्वास्थ्य
अपाच्य भोजन भी लाभदायक हो सकता है 
डॉ. सुशील जोशी
आमतौर पर कहा जाता है कि सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए क्योंकि वहीं स्वास्थ्यप्रद है । मगर अचरज की बात है कि हाल के वर्षो में भोजन के अपाच्य हिस्सों पर काफी ध्यान दिया गया है । 
पहले बात आई रेशेदार पदार्थो की । रेशे यानी फाइबर जिस पदार्थ (सेल्यूलोज) के बने होते हैं उन्हें पचाने की क्षमता हममें नहीं होती । हममें ही क्या, इन रेशों को पचाने की क्षमता किसी भी जन्तु में नहीं होती । गाय, भैंस वगैरह यदि घास-फूस पर जीते हैं तो इसलिए कि उनके पाचन तंत्र में कई सूक्ष्मजीव इन रेशों को पचाते हैं और गाय-भैसों को पोषण उपलब्ध कराते हैं । 
आजकल बात चल रही है अपाच्य स्टार्च की । हमारे भोजन मे ंप्रोटीन, वसा, खनिज लवणों के अलावा जो प्रमुख घटक होता है वह स्टार्च या मंड ही है । रोटी, चावल वगैरह के अलावा दालों में भी काफी मात्रा में स्टार्च पाया जाता है । स्टार्च एक किस्म का कार्बोहायड्रेट है । वैसे तो सेल्यूलोज भी कार्बोहायड्रेट ही है मगर इन दोनों की संरचना काफी अलग-अलग है । जंतुआें के शरीर में स्टार्च को पचाने के लिए एक एंजाइम होता है एमायलेज । अलबत्ता, हम जितना भी स्टार्च खाते हैं वह सारा का सारा पचता नहीं है । कुछ स्टार्च एमायलेज की क्रिया से अछूता रह जाता है । इस तरह के स्टार्च को अपाच्य या प्रतिरोधी स्टार्च कहते हैं।
जब हमारे शरीर में स्टार्च का पाचन होता है तो शर्कराबनती है - मुख्य रूप से ग्लूकोज बनता है । यह ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है । यानी स्टार्च मूलत: ऊर्जादायी खाद्य पदार्थ है । बताते है कि १ ग्राम स्टार्च से इतनी ऊर्जा मिलती है कि १ किलोग्राम पानी का तापमान करीब ४ डिग्री सेल्सियस बढ़ाया जा सकता है । तकनीकी भाषा में कहते है कि स्टार्च में प्रति ग्राम ४ किलोकैलोरी ऊर्जा होती है । हम प्रतिदिन लगभग २०० ग्राम स्टार्च खाते हैं । आप सोच सकते हैं कि यह हमें कितनी सारी ऊर्जा प्रदान करता है । वैसे शरीर में इस ऊर्जा का अधिकतम उत्पादन गर्मी के रूप में नहीं बल्कि एक रासायनिक पदार्थ के रूप में होता है । 
इसका मतलब हुआ कि यदि हम ऐसा स्टार्च खाएं जो अपाच्य या प्रतिरोधी है तो हमें उतनी कम ऊर्जा प्राप्त् होगी । जैसा कि आप जानते ही हैं आजकल समाज के एक वर्ग को मोटापा और वजन बढ़ाने की समस्या त्रस्त किए हुए है । ऐसे लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अपना कैलोरी उपभोग कम करें । लिहाजा इन लोगों के लिए अच्छी खबर है कि अपाच्य स्टार्च खाकर वे इस लक्ष्य की पूर्ति कर सकते हैं । अलबत्ता, अपाच्य स्टार्च के और भी कई फायदे गिनाए जा रहे हैं । 
पहले यह देखते है कि स्टार्च अपाच्य क्यों हो जाता है । सबसे पहले १९३७ में पोलैण्ड के वैज्ञानिक एफ. नोवोत्नी ने रिपोर्ट किया था कि कुछ स्टार्च एमायलेज एंजाइम से विघटित नहीं होते । आगे चलकर कई अन्य वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की । तब से इस संबंध में खोजबीन चलती रही है कि आखिर क्यों कुछ स्टार्च अपचनीय साबित होते हैं । इस तहकीकात का नतीजा यह निकाला है कि अपाच्य स्टार्च चार किस्म के होते हैं । 
हम जो भी स्टार्च खाते हैं, जाहिर है वह वनस्पति स्त्रोतों से प्राप्त् होता है । यदि यह स्टार्च कोशिकाआें के अंदर हो, तो हम इसे पचा नहीं पाते । कारण यह है कि वनस्पति कोशिकाआें की बाहरी कोशिका दीवार को विघटित करने के लिए हमारे पास उपयुक्त एंजाइम ही नहीं   है । तो यह हुआ पहले किस्म का अपचनीय स्टार्च । 
दूसरे किस्म का अपाच्य स्टार्च वह होता है जो बड़े-बड़े क्रिस्टल के रूप में पाया जाता है । यह स्टार्च चाहे सुपाच्य हो मगर इसके पाचन में दिक्कत यह होती है कि बड़े क्रिस्टल की मात्रा के हिसाब से उनकी बाहरी सतह का क्षेत्रफल अपेक्षाकृत कम होता है । लिहाजा एमायलेज एंजाइम को क्रिया करने के लिए जगह कम मिलती है । इसलिए ऐसे बड़े क्रिस्टल वाले स्टार्च हमारी छोटी आंत मेंपूरी तरह पच नहीं पाते । यह अपाच्य स्टार्च का दूसरा प्रकार है । 
अपाच्य स्टार्च की तीसरी किस्म का संबंध स्टार्च की रासायनिक रचना से है । स्टार्च एक बहुलक यानी पोलीमर पदार्थ है । ग्लूकोज के अणु एक-दूसरे जुड़कर लंबी-लंबी श्रृंखलाएं बना लेते है । यही स्टार्च है । ग्लूकोज के अणु आपस में कई तरह से जुड़ सकते   हैं । उनमें हर जगह शाखाएं भी निकली होती हैं जो स्वयं ग्लूकोज की श्रृंखलाएं होती है । इसके अलावा ग्लूकोज के अणुआेंपर कुछ अन्य समूह भी जुड़ जाते हैं । इन सबकी वजह से स्टार्च के गुणधर्मो में अंतर आ जाते हैं और कभी - कभी वह एमायलेज का प्रतिरोधी बन जाता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि स्टार्च का विशाल अणु कुछ इस तरह तहदार बन जाता है कि एमायलेज को उन जगहों तक पहुंचने में असुविधा होती है, जहां वह क्रियाकर सके । ये तीसरे प्रकार के अपाच्य स्टार्च मूलत: रासायनिक या भौतिक संरचना के चलते प्रतिरोधी बन जाते हैं ।
अपाच्य स्टार्च का चौथा प्रकार मानव निर्मित होता है । जब पोषण वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रतिरोधी स्टार्च स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकते हैं तो उन्होनें कोशिशें शुरू कर दी कि स्टार्च अणुआें में ऐसे परिवर्तन किए जाएं कि वह अपाच्य हो जाए । 
तो सवाल उठता है कि अपाच्य स्टार्च जब हमें ऊर्जा प्रदान नहीं कर सकता तो इसके फायदे क्या हैं और क्यों आजकल पोषण के क्षेत्र में अपाच्य स्टार्च का बोलबाला है । 
पहला फायदा तो, जैसा कि ऊपर कहा गया था, यह है कि आप जितना स्टार्च खाएंगे उसमें से अपाच्य स्टार्च से आपको ऊर्जा नहीं मिलेगी । यानी यदि आप ऐसा भोजन चुनते हैं जिसमें अपाच्य स्टार्च की मात्रा ज्यादा है तो आप भरपेट खा सकते हैं मगर इससे आपको अपेक्षाकृत कम ऊर्जा मिलेगी । यानी मोटापे पर रोक लगाने में अपाच्य स्टार्च बड़ी भूमिका निभा सकता है ।
मगर इसके फायदे और भी है । छोटी आंत मेंयह स्टार्च अपाच्य रहता है और बड़ी आंत में जस का तस पहुंच जाता है । यहां करोड़ों बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीव इसका इन्तजार कर रहे होते हैं । ये सूक्ष्मजीव इस मायने में हमसे अलग हैं कि ये वनस्पति कोशिका की दीवार को पचा सकते हैं । तो किस्म १ का अपाच्य स्टार्च इन सूक्ष्मजीवों को उपलब्ध होता है । अन्य किस्म के प्रतिरोधी स्टार्च भी इन सूक्ष्मजीवों द्वारा पचाए जाते हैं । इस प्रक्रिया को किण्वन कहते हैं । 
ऐसा बताया जाता है कि अपाच्य स्टार्च के किण्वन से जहां मिथेन आदि गैसे बनती हैं, वही कुछ वसा अम्ल भी बनते हैं । ये वसा अम्ल कार्बन की छोटी-छोटी श्रृंखलाआें के होते हैं । जैसे एसिटिक अम्ल, प्रोपिओनिक अम्ल और ब्यूटिरिक अम्ल । कहते हैं कि ये छोटी श्रृंखला वाले वसा अम्ल आंतों में लाभदायक सूक्ष्मजीवों की वृद्धि में सहायक होते हैं । 
विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि अपाच्य स्टार्च के सेवन से खून में ग्लूकोज का स्तर कम रहता है और आंतों के कैंसर का खतरा भी कम होता है । इसके अलावा बताते हैं कि ऐसे स्टार्च के सेवन से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी घटती है । 
तो अपाच्य स्टार्च लोकप्रिय हो गए हैं । कई खाद्य कंपनियां आजकल अपने खाद्य पदार्थो में अपाच्य स्टार्च मिलाती हैं । यह अपाच्य स्टार्च कारखानों में बनाया जाता है । मगर कई सारे खाद्य पदार्थो में कुदरती रूप से काफी मात्रा में अपाच्य स्टार्च पाया जाता है । 
उदाहरण के लिए १०० ग्राम भुनी हुई मूंगफली में ४२ ग्राम अपाच्य स्टार्च होता है । १०० गा्रम कच्च्े मटर के दानों में लगभग १ ग्राम तो उबले मटर के दानों में पूरा १० ग्राम अपाच्य स्टार्च पाया जाता  है । आलू, कच्च कैला वगैरह में बहुत अधिक मात्रा में अपाच्य स्टार्च स्टार्च में बदल जाता है और यदि उबले आलू को २४ घंटे फ्रिज में रखा जाए तो अपाच्य स्टार्च की मात्रा फिर बढ़ जाती है । यानी भोजन के पकाने के तरीकोंसे भी अपाच्य स्टार्च की मात्रा बढ़ाई जा सकती है । 

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