रविवार, 15 मार्च 2015

सम्पादकीय
ऑक्सीटोसिन शराब को बेअसर करता है 
 ऑक्सीटोसिन एक रसायन है जो हमारे मस्तिष्क में कुदरती तौर पर बनता है और माना जाता है कि यह सामाजिक संबंधों के बनने बिगड़ने में अहम भूमिका निभाता है । मगर सिडनी विश्वविघालय के माइकल बोवेन ने इसी रसायन का एक विचित्र असर चूहों में देखा है। 
जिन चूहों को ऑक्सीटोसिन की खुराक दी गई थी उन्हें शराब का नशा नहीं चढ़ा । ऑक्सीटोसिन की खुराक के बाद शराब पीने वाले चूहे ऐसे घूमते-फिरते और चौकन्ने रहे जैसे उन्होनें शराब पी ही नहीं हो । 
इस असर की जांच एक और प्रयोग से की गई । कुछ चूहों को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन सीधे दिमाग में दिया गया । उनके दिमाग में इंजेक्शन के जरिए जितना ऑक्सीटोसिन पहुंचाया गया वह प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ऑक्सीटोसिन से डेढ़ लाख गुना ज्यादा था । कुछ चूहों को वैसे ही रहने दिया गया । अब दोनों तरह के चूहों को शराब पिलाई गई और उनमें शारीरिक गतियों पर नियंत्रण तथा प्रतिक्रियाकी समयबद्ध जांच की गई । पता चला कि ऑक्सीटोसिन ने शराब के असर को एकदम बेअसर कर दिया था - हालांकि उन्हें जो शराब पिलाई गई थी वह एक इंसान के लिए डेढ़ बोतल के बराबर थी । श्री बोवेन का कहना है कि जिन चूहों को ऑक्सीटोसिन और शराब दोनों मिले थे वे उन चूहों से अलग नहीं दिखे जिन्हें कुछ भी नहीं मिला था । 
तो ऑक्सीटोसिन ऐसा क्या करता है ? बात यह है कि दिमाग में शराब को जोड़ने के लिए एक ग्राही होता है, इसे गाबा ग्राही कहते हैं । इस ग्राही से जुड़कर ही शराब अपना रंग दिखाती है । श्री बोवेन की टीम ने पाया कि ऑक्सीटोसिन इन ग्राहियों के दो हिस्सों से जुड़ जाता है जिसकी वजह से अल्कोहल वहां तक पहुंच ही नहीं पाता । 
ऐसा लगता है कि ऑक्सीटोसिन के इस विचित्र असर का फायदा लोग शराब पीकर भी नशे से मुक्त रहने में उठा सकते है । इसका मतलब शायद यह निकाला जाए कि यदि आप ऑक्सीटोसिन ले लेंगे तो नशा करने के लिए आपको ज्यादा शराब पीना होगी । 
वैसी अभी इसानों पर ऑक्सीटोसिन और अल्कोहल के संबंध को देखना बाकी है मगर श्री बोवेन का ख्याल है कि इसका उपयोग शराब की लत छुड़ाने में हो सकता है । आगे वे इसी पर शोध करने का विचार रखते है । 

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